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इस वर्ष विशेष रहेगा का उत्तराखण्ड का राज्य स्थापना दिवस का आयोजन

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उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना के 24 वर्ष पूरे होने तथा 25वीं रजत जयन्ती के शुभारम्भ के रूप में वर्षभर आयोजित होने वाले देवभूमि रजतोत्सव की शुरूआत होगी 9 नवम्बर को

उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना के 24 वर्ष पूरे होने तथा 25वीं रजत जयन्ती के शुभारम्भ के रूप में इस वर्ष मनाया जाना वाले राज्य स्थापना दिवस को भव्यता से आयोजित किए जाने के मुख्यमंत्री के निर्देशो के क्रम में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिवालय में सभी अधिकारियों के साथ राज्य स्थापना दिवस की तैयारियों की समीक्षा की।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने निर्देश दिए कि मुख्यमंत्री के विजन के अनुरूप इस वर्ष राज्य स्थापना दिवस का विशेषरूप से भव्य आयोजन किया जाना हैं। उन्होंने कहा कि क्योंकि इस वर्ष उत्तराखण्ड राज्य के स्थापना के 24 वर्ष पूरे हो जाएंगे तथा 25वीं रजत जयन्ती की शुरूआत हो जाएगी, इसलिए प्रदेशवासियों के लिए इसका विशेष महत्व है। इस वर्ष राज्य स्थापना दिवस 9 नवम्बर 2024 से अगले वर्ष 9 नवम्बर 2025 तक पूरे वर्ष मनाये जाने वाले ‘‘देवभूमि रजतोत्सव’’ की शुरूआत भी हो जाएगी। इस वर्ष राज्य स्थापना दिवस का आयोजन लगभग 6 नवम्बर से आरम्भ होकर सप्ताह भर तक किये जाने का प्रस्ताव है, जिसकी शुरूआत नई दिल्ली में उत्तराखण्ड सदन के शुभारम्भ, दिल्ली में रहने वाले विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत उत्तराखण्ड मूल के अधिकारियों, कार्मिकों व प्रवासियों की भागीदारी से आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है। इसके अगले क्रम में प्रवासी उत्तराखण्ड सम्मेलन के आयोजन, भव्य खेल एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम, महिला सशक्तीकरण की थीम पर विशेष उत्सव का आयोजन, जरूरतमंदों के लिए बहुद्देशीय शिविरों का आयोजन, मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों का अयोजन, दिव्यांगों के लिए विशेष कार्यक्रम, विभिन्न सम्मान व पुरस्कार वितरण कार्यक्रमों का आयोजन, राज्य आन्दोलकारियों व शहीदों की गौरवगाथा जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने 24 वर्षों में राज्य की उपलब्धियों एवं विकास की सम्भावनाओं पर स्कूल व काॅलेज स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर इसमें युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने साल भर आयोजित होने वाले देवभूमि रजतोत्सव प्रदेश के सभी वर्गों, विशेषरूप से महिलाओं, स्कूली बच्चों व युवाओं की सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने मण्डल स्तर तथा जिला स्तर पर भी राज्य स्थापना दिवस को भव्यता से आयोजित किए जाने हेतु विशेष तैयारियों के निर्देश दिए हैं।

बैठक में अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांशु, पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार सहित सभी विभागों के सचिव, अपर सचिव, जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून व अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।

गणेश महोत्सव में पंहुचे CM धामी

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को देर सांय गणेश महोत्सव सेवा समिति भारूवाला ग्रान्ट क्लेमनटाउन द्वारा श्री शिव रघुनाथ मंदिर में आयोजित गणेश महोत्सव में सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री ने भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की उन्होने कहा कि सनातन परम्परा में किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व सर्वप्रथम भगवान गणेश के आह्वान का विधान है। भगवान गणेश को प्रथम आराध्य एवं विघ्नहर्ता बताते हुए इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी के जीवन में सुख.समृद्धि तथा आरोग्यता की भी कामना की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान गणेश की कृपा से हम सब ऊर्जावान रहते है। उन्होने कहा कि हमारी सरकार देवभूमि की सनातन संस्कृति को बढावा देने तथा देवभूमि का मूल स्वरूप बनाए रखने के लिये निरन्तर प्रयासरत है।
मंदिर समिति एवं गणेश महोत्सव सेवा समिति के अध्यक्ष श्री दिनेश जुयाल ने मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में मदिर के सौन्दर्यकरण हेतु स्वीकृत धनराशि के प्रति उनका आभार व्यक्त किया इस अवसर पर पूर्व मेयर सुनील उनियाल गामा, समिति के सचिव श्री महेश पांण्डे, श्री दिनेश भट्ट सहित बडी संख्या में क्षेत्रवासी उपस्थित थे।

मॉ का हाल जानने अस्पताल पहुंचे योगी आदित्यनाथ।

ऋषिकेश। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी माता का हाल जानने ऋषिकेश एम्स अस्पताल पहुंचे। उनके साथ मौके पर हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत के अलावा अन्य आला अधिकारी व मंत्रीगण मौजूद रहे। आपको बता दें कि पिछले कुछ समय से एम्स ऋषिकेश में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की माता जी का उपचार चल रहा है। जिसके लिए उन्हें चिकित्सकीय परामर्श पर समय समय पर अस्पताल में रूटीन चैकअप के लिए आना पड़ता है। जिसके लिए वह पिछले कुछ दिनों से यहां अस्पताल में भर्ती हैं। रविवार को दोपहर में सीएम योगी आदित्यनाथ अपनी माताजी का हालचाल जानने ऋषिकेश एम्स पहुंचे। जहां संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉक्टर मीनू सिंह की अगुवाई में चिकित्सकों, फैकल्टी सदस्यों व अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर योगीजी ने अपनी माताजी का हालचाल जाना व एम्स अस्पताल प्रशासन से उनके स्वास्थ्य व उपचार संबंधी जानकारी ली। इस दौरान सीएम योगी ने एम्स ट्राम साथ सेंटर में भर्ती रूद्रप्रयाग हादसे के घायलों का हालचाल भी जाना व अस्पताल प्रशासन को उन्हें बेहतर उपचार देने को कहा। मौके पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल, निवर्तमान ऋषिकेश मेयर अनीता ममगाईं, निदेशक एम्स प्रो. मीनू सिंह, उप निदेशक (प्रशासन) ले. कर्नल अमित पराशर, कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक डा. भारत भूषण, जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार सिंह आदि मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों से की मुलाकात

जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति का लिया जायजा

केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ-पात्र लोगों तक पहुंचाना हमारा प्रयास

प्रधानमंत्री द्वारा देशवासियों के नाम संबोधित पत्र भी मुख्यमंत्री ने आम जनता को किया भेंट

जन समस्याओं का त्वरित निस्तारण है अधिकारियों का दायित्व-मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को डाकरा बाजार गढ़ी कैट क्षेत्र का स्थलीय भ्रमण कर विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित लाभार्थियों से मुलाक़ात की तथा जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति का भी जायजा लिया।मुख्यमंत्री आवास परिसर से होते हुए डाकरा बाजार गढ़ी कैट क्षेत्र पहुंचे, मुख्यमंत्री ने उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन निःशुल्क खाद्यान, आयुष्मान योजना आदि विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित लाभार्थियों से बातचीत की तथा उनकी कुशलक्षेम भी जानी।

लोगों को किस योजना के तहत क्या-क्या लाभ मिला है, लाभार्थियों से मुख्यमंत्री ने इसकी भी जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचाने का हमारा प्रयास है। उन्होंने कहा कि जन समस्याओं के त्वरित निस्तारण हेतु सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री को अचानक अपने मध्य पाकर लाभार्थी अचंभित होने के साथ काफी खुश एवं उत्साहित नजर आए। स्थानीय लोगों ने उन्हें विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करने के लिये प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को आशीर्वाद के साथ धन्यवाद भी दिया ।

मुख्यमंत्री ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान आम जनता एवं लाभार्थियों को देशवासियों के नाम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का पत्र भी सौंपा।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता के नाम प्रेषित अपने पत्र में उल्लेख किया है कि ‘‘10 वर्ष पूर्व जब आप सबने मुझे अपना आशीर्वाद देकर आपकी सेवा करने का अवसर दिया था, तब हमने अंत्योदय के मूल मंत्र के साथ देश के सबसे निचले पायदान के लोगों को भी मुख्यधारा में शामिल करने के लक्ष्य के साथ शुरुआत की थी। सरकार बनते ही हमने संकल्प लिया था कि हमारी सरकार गरीबों के लिए समर्पित सरकार रहेगी।

सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की प्रेरण से हमने इन 10 सालों में निरंतर ऐसी योजनाएं लागू की, जिससे गरीब की मुश्किलें कम हो और उनका जीवन आसान बने। हमारे देश में लंबे समय तक गरीबी हटाओं के नारे तो लगते रहे, लेकिन इन नारों के बावजूद गरीबी नहीं हटी। प्रधानमंत्री ने कहा है कि कि ‘‘हमारे लिए चार जातियां सर्वोपरि है- गरीब, युवा, किसान और महिला। मेरा मानना है कि जब देश के गरीब, युवा किसान और महिलाओं का विकास होगा तभी देश का विकास होगा। आज देश में गरीब कल्याण, महिला कल्याण, युवा उत्थान एवं किसान सम्मान का नया अध्याय लिखा जा रहा है।

वर्ष 2014 से अब तक 25 करोड़ लोग स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के मामले में गरीबी से बाहर आए है। गांव-गांव में बिजली पहुंचाई, हर घर नल से जल पहुंच रहा है। करोड़ों लोगों के लिए आयुष्मान योजना और जन औषधि केंद्र वरदान साबित हो रहा है।’’ अपने पत्र में प्रधानमंत्री ने कहा है कि ‘‘अयोध्या में प्रभु श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होना देशवासियों के 500 साल से भी ज्यादा के धैर्य और बलिदान के प्रति निष्ठा भाव और सम्मान का प्रतीक है। यह क्षण नए भारत के आत्मनिर्भर और विश्वगुरु बनने के सकल्प का भी उद्घोष है। पिछले 10 वर्षों में हमारी सरकार ने रामराज्य के मार्ग पर चलकर भारत को आत्मनिर्भर और विश्वगुरु बनने की दिशा में तेजी से आगे कदम बढ़ायें है।

देश का तिरंगा चंद्रयान 3 ने चांद पर लहराया। जी-20 की सफलतापूर्वक अध्यक्षता कर विश्व का मार्गदर्शन किया, देश की लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित कर महिलाओं को उनका अधिकार दिलाया। इनके अलावा रेल, सड़क, एयरपोर्ट, शिक्षण संस्थान, तकनीक केंद्र, सीमा सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय रिश्ते हर मामले में भारत आगे बढ़ रहा है। यह देशवासियों के आशा और आशीर्वाद से ही संभव हो पाया है। बीते 10 वर्ष न सिर्फ देश के सर्वांगीण विकास के रहे हैं बल्कि ये आपके हम पर विश्वास के भी रहे है। मुझे पूरा विश्वास है कि आगे भी मुझे आपका आशीर्वाद और प्यार मिलता रहेगा ताकि मैं और तीव्र गति और ऊर्जा से आपकी सेवा करते हुए विकसित और सशक्त नए भारत के सपने को पूरा कर सकूँ।’’

मुख्य सचिव ने सौंग बांध परियोजना की प्रोसिजर क्लियरेन्स कार्यों में देरी पर सख्त नाराजगी व्यक्त की

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सौंग बांध परियोजना की प्रोसिजर क्लियरेन्स कार्यों में देरी पर सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए सम्बन्धित कार्यवाही को जल्द से जल्द पूरा करने के कड़े निर्देश सिंचाई विभाग तथा कार्यदायी संस्था यूपीडीसीसी लि0 को सचिवालय में आयोजित सौंग बांध की ईएफसी (व्यय वित्त समिति) के दौरान दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि देहरादून शहर में जलापूर्ति की कमी के कारण भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पेयजल के उद्देश्य से सौंग बांध अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है।

इससे देहरादून शहर को पेयजल आपूर्ति हेतु 150 एमएलडी रॉ वाटर, नलकूपों के रख रखाव के व्यय की बचत, भूमिगत जल रिचार्ज, बाढ़ नियंत्रण एवं पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। बैठक में सिंचाई विभाग द्वारा जानकारी दी गई कि वन विभाग द्वारा 127 हेक्टेयर वन भूमि प्रत्यावर्तित किये जाने हेतु सैद्धान्तिक स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है तथा निजी भूमि के अधिग्रहण की कार्यवाही गतिमान है।

इसके साथ ही मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने जामरानी बांध परियोजना की उच्चाधिकार समिति (एचपीसी) की बैठक के दौरान परियोजना पर सैद्धान्तिक सहमति देते हुए इससे सम्बन्धित प्रस्तुतिकरण अगली कैबिनेट में रखने हेतु तैयारी के निर्देश दिए हैं। बैठक में अपर मुख्य सचिव आन्नदवर्धन, प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, दिलीप जावलकर सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने हिमालयन बास्केट का किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में हिमालयन बास्केट का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने चंपावत से वर्चुअल रूप से जुड़े लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हिमालयन बास्केट की शुरुआत वर्ष 2018 में सुमित और स्नेहा थपलियाल ने की थी। उन्होंने कहा कि सुमित पेशे से एक इंजीनियर हैं और स्नेहा एक मार्केटिंग पेशेवर हैं। देवभूमि से होने के कारण, दोनों हमेशा स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए कुछ अलग करना चाहते थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों ने डेयरी, खेती और उनके पहलुओं से संबंधित विकल्पों पर विचार कर हिमालयन बास्केट की स्थापना का निर्णय लिया। हिमालयन बास्केट के तहत दूध, हल्दी, पुदीना जैसे कृषि उत्पाद खरीदकर इनसे अलग-अलग उत्पाद बनाकर विदेशों में सप्लाई करते हैं। उत्पाद बनाने के लिए 200 से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूध से बनने वाले उत्पाद ‘चुरपी’ और ‘घी’ की अधिक डिमांड है। क्योंकि चुरपी गाय के दूध से बना एक विशेष कठोर पनीर है और दोनों ने उत्तराखंड में इसके उत्पादन का बीड़ा उठाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह सरकार और जिला प्रशासन की मदद से दोनों को बागवानी कोल्ड स्टोर लीज पर मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग भी इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं हमारी सरकार उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा स्वप्न और संकल्प है कि एक आदर्श चंपावत बनाएं। इसके लिए हमें चाहिए कि चंपावत के जो भी उत्पाद हैं, वो सभी आदर्श होने चाहिए। इस अवसर पर जिलाधिकारी नवनीत पांडे, भाजपा जिलाध्यक्ष निर्मल मेहरा आदि उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी पहुंचकर लिया स्थिति का जायजा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को दोपहर बाद हल्द्वानी पहुंचकर गुरूवार को सांय हुई उपद्रव की घटना की स्थिति का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी बनभूलपुरा में हुई घटना में घायल महिला पुलिस दल समेत अन्य पुलिसकर्मियों, प्रशासन, नगर निगमकर्मी और पत्रकार साथियों का भी हाल चाल जाना। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने क़ानून तोड़ा है एवं सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है उनके सारे वीडियो फुटेज और फुटप्रिंट उपलब्ध हैं। इस घटना में शामिल सभी उपद्रवियों को चिन्हित कर, उन पर विधिसम्मत कार्रवाई की प्रक्रिया गतिमान है।

मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में शांति एवं कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एडीजी कानून और व्यवस्था ए.पी अंशुमान को प्रभावित क्षेत्र में कैंप करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अवैध निर्माण को हटाये जाने के दौरान पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों एवं कार्मिकों पर हुए हमले तथा क्षेत्र में अशांति फैलाने की घटना को सख्ती से लेते हुए अराजक तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों से शान्ति बनाये रखने की अपील करते हुए अराजक तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही के निर्देश दिये है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिये कि प्रदेश में किसी को भी कानून व्यवस्था से खिलवाड करने की छूट नहीं दी जायेगी। प्रशासनिक अधिकारी निरंतर क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये हर समय सजग रहे तथा हर स्थिति में अमन चैन एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये प्रयासरत रहें।

Breaking News.Uttarakhand में हरक सिंह रावत के ठिकानों पर ED की छापेमारी.

Breaking News.Uttarakhand में हरक सिंह रावत के ठिकानों पर ED की छापेमारी.

उत्तराखंड (Uttarakhand ) में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) (ED) की एंट्री हो गई है. ईडी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के नेता हरक सिंह रावत (Harak Singh rawat, former cabinet minister) (Congress leader harak Singh rawat) के 10 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है. उत्तराखंड में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (Corbett National Park) (Corbett Tiger Reserve) में 6000 पेड़ों के अवैध कटान और इसके आसपास अवैध रूप से निर्माण के मामले में जांच चल रही है .सीबीआई (CBI investigation on Corbett Tiger Reserve) इस पूरे प्रकरण पर पहले ही नैनीताल हाई कोर्ट (Nainital High court) के निर्देश पर जांच कर रही है. जबकि कई गड़बड़ियां पकड़े जाने के बाद उत्तराखंड वन विभाग (Uttarakhand Forest) के कई आईएफएस अधिकारियों को ED ने रडार पर ले लिया था और अब हरक सिंह रावत (Harak Singh rawat) के ठिकानों पर छापेमारी की गई है. हरक सिंह रावत 2022 में विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election) से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके बाद ही ऐसा लगता है कि उनकी मुश्किल है बढ़ गई हैं. हरक सिंह रावत अभी लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2024) लड़ने की तैयारी में भी जुटे हुए हैं. हरिद्वार सीट (Haridwar Loksabha Election)से उनकी तैयारी चल रही हैं।

समान नागरिक संहिता पर एक कदम आगे ba

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देहरादून। 6 फरवरी 2024 का दिन उत्तराखण्ड के स्वर्णिम इतिहास में दर्ज हो गया है। आज समान नागरिक संहिता (UCC) का अधिनयम (Bill) विधानसभा के पटल पर रख दिया गया। सरकार के इस कदम के बाद उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य बन गया है जहां यूसीसी को लागू करने की दिशा में ठोस पहल की गई है। चूंकि राज्य की धामी सरकार को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है लिहाजा इस बिल का सदन में पारित होना तय माना जा रहा है। संवैधानिक जरूरत पड़ी तो इस कानून को लागू करने से पहले अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के भेजा जाएगा। लेकिन, वहां भी इसकी मंजूरी में कोई अड़चन नहीं आएगी क्योंकि तमाम परिस्थितियां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मंशा के अनुकूल हैं।

 आखरिकार मंगलवार को वो दिन आ ही गया जिसका उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देश का एक बड़ा वर्ग बेसब्री से इंतजार कर रहा था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने वायदे के अनुरूप देवभूमि में यूसीसी को लागू करने की ओर निर्णायक कदम उठा दिया। पूर्वाह्न तकरीबन 11 बजे मुख्यमंत्री स्वयं यूसीसी के ड्राफ्ट की प्रति लेकर विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने पहुंचे। माथे पर तिलक, सफेद कुर्ता पैजामा, नारंगी रंग का वास्कट और गले में मफलर पहने धामी आत्मविश्वास से लबरेज दिखे। उनके के चेहरे पर संतुष्टि का भाव भी था। हो भी क्यों न ! वह 2022 के विधानसभा चुनाव से ऐनपूर्व जनता से किया वायदा पूरा करने जो जा रहे थे। समान नागरिक संहिता (UCC) के रूप में एक ऐसा कानून जो जो जाति से परे, धर्म से परे, यहां तक कि आप स्त्री हैं या पुरुष, इससे भी परे होगा। जिस कानून में आम और खास का भेद नहीं होगा। यानि जो सभी के लिए एक समान होगा। 

202 पेज के समान नागरिक संहिता अधिनयम 2024 का ड्राफ्ट हर पहलू पर विचार विमर्श करने के बाद तैयार किया गया है। सलीके से तैयार किए गए इस ड्राफ्ट में शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों को ही शामिल किया गया है। इन विषयों, खासतौर पर विवाह प्रक्रिया को लेकर जो प्राविधान बनाए गए हैं उनमें हर जाति, धर्म अथवा पंथ की परम्पराओं और रीति रिवाजों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। वैवाहिक प्रक्रिया में धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। धार्मिक रीति-रिवाज जस के तस रहेंगे। ऐसा भी नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे। खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन सख्ती इस बात पर की गई है कि हर दम्पती को अनिर्वाय रूप से अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा। अन्यथा वे सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने से वंचित रहेंगे। तलाक के बगैर कोई व्यक्ति दूसरी शादी नहीं कर पाएगा। ऐसा करने पर उसे दण्ड या आर्थक दण्ड या फिर दोनो भुगतने होंगे।

अधिनियम में जहां एक ओर विवाह, तलाक और विवाह की शून्यता के पंजीकरण के लिए सुगम एवं सरल प्रक्रिया बनाई गई है। सम्बंधित दम्पती और अधिकारियों की भी जिम्मेदारी व जवाबदेही तय की गई है। यदि कोई नागरिक विवाह का पंजीकरण करने में अनदेखी करता है या नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके लिए अधिकतम 25000 के अर्थदण्ड का प्राविधान रखा गया है। साथ ही यदि उप निबंधक जानबूझकर संहिता में निहित कार्यवाही करने में विफल रहता है तो वह भी अधिकतम 25000 रुपये के अर्थदण्ड का अधिकारी होगा।

विवाह, तलाक एवं विवाह की शून्यता के पंजीकरण के लिए एक सरकारी तंत्र बनाया जाएगा। जिसमें महा निबंधक सचिव स्तर, निबंधक उपजिलाधिकारी एवं उप निबंधक राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी होंगे। नागरिकों के पास सूचना का अधिकार की तर्ज पर रजिस्ट्रेशन को लेकर अपील का अधिकार भी होगा। निबंधक एवं महा निबंधक दो अपीलीय स्तर के अधिकारी होंगे। साथ ही हर स्तर पर पंजिका का रखरखाव किया जाएगा। ताकि पारदर्शिता बनी रहे। अपील के लिए समयबद्ध समय सीमा भी तय की गई है, ताकि प्रक्रिया में अनावश्यक देरी न हो।

संहिता में दाम्पत्य अधिकारों को सरुक्षित बनाने के हर संभव प्राविधान किए गए हैं। साथ ही जो महर, प्रभूत, स्त्रीधन या कोई अन्य सम्पत्ति जो पत्नी को उपहार स्वरूप दी गई है, वह भरण पोषण के दावे में सम्मिलित नहीं होकर अतिरिक्त होगी। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे की अभिरक्षा सामान्यत माता के पास रहेगी। संहिता में बच्चों की अभिरक्षा के अन्तर्गत बच्चों का हित सर्वोत्तम एवं कल्याण सर्वोपरि होगा। कोई विवाद होने पर दम्पती के मेल मिलाप के लिए न्यायालय हरसंभव समुचित प्रयास करेंगे।

शून्य एवं शून्यीकरण विवाह के लिए नियम बनाए गए हैं। विवाह विच्छेद के लिए किसी भी पक्ष को मारकर्म, क्रूरता, कम से कम दो वर्ष तक बिना युक्तियुक्त कारण से अलगाव, धर्म परिवर्तन, विकृत चित, निरन्तर मानसिक विकार, संचारी यौन रोग, लगातार 7 वर्ष तक किसी पक्ष के जीवित रहने की सूचना नहीं होने का आधार लिया गया है। विवाह विच्छेदन की कार्यवाही अनुतोष एवं आपसी सहमति से ही जा सकेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि किसी भी प्रथा, रूढ़ि परम्परा या किसी पक्षकार को किसी व्यक्तिगत विधि या अधिनियम के अनुसार विवाह विच्छेदन (तलाक) नहीं हो सकेगा। इस संहिता के लागू होने के बाद संहिता में प्राविधानित प्रक्रिया के अनुसार ही विवाह विच्छेदन होगा। पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार होंगे। लिव-इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी होगा। लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा होगी। लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।

उम्मीद की जा रही है कि यह समान नागरिक संहिता उत्तराखण्ड के मध्य एक प्रगतिवादी, लोकप्रिय एवं सर्ववर्ग ग्राही संहिता साबित होगी। यह संहिता उत्तराखण्ड के नागरिकों के उच्च मानसिक स्तर का द्योतक होगी तथा राज्य के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगी।

समान नागरिक संहिता पर एक कदम आगे बड़ी बीजेपी

देहरादून। 6 फरवरी 2024 का दिन उत्तराखण्ड के स्वर्णिम इतिहास में दर्ज हो गया है। आज समान नागरिक संहिता (UCC) का अधिनयम (Bill) विधानसभा के पटल पर रख दिया गया। सरकार के इस कदम के बाद उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य बन गया है जहां यूसीसी को लागू करने की दिशा में ठोस पहल की गई है। चूंकि राज्य की धामी सरकार को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है लिहाजा इस बिल का सदन में पारित होना तय माना जा रहा है। संवैधानिक जरूरत पड़ी तो इस कानून को लागू करने से पहले अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के भेजा जाएगा। लेकिन, वहां भी इसकी मंजूरी में कोई अड़चन नहीं आएगी क्योंकि तमाम परिस्थितियां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मंशा के अनुकूल हैं।

 आखरिकार मंगलवार को वो दिन आ ही गया जिसका उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देश का एक बड़ा वर्ग बेसब्री से इंतजार कर रहा था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने वायदे के अनुरूप देवभूमि में यूसीसी को लागू करने की ओर निर्णायक कदम उठा दिया। पूर्वाह्न तकरीबन 11 बजे मुख्यमंत्री स्वयं यूसीसी के ड्राफ्ट की प्रति लेकर विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने पहुंचे। माथे पर तिलक, सफेद कुर्ता पैजामा, नारंगी रंग का वास्कट और गले में मफलर पहने धामी आत्मविश्वास से लबरेज दिखे। उनके के चेहरे पर संतुष्टि का भाव भी था। हो भी क्यों न ! वह 2022 के विधानसभा चुनाव से ऐनपूर्व जनता से किया वायदा पूरा करने जो जा रहे थे। समान नागरिक संहिता (UCC) के रूप में एक ऐसा कानून जो जो जाति से परे, धर्म से परे, यहां तक कि आप स्त्री हैं या पुरुष, इससे भी परे होगा। जिस कानून में आम और खास का भेद नहीं होगा। यानि जो सभी के लिए एक समान होगा। 

202 पेज के समान नागरिक संहिता अधिनयम 2024 का ड्राफ्ट हर पहलू पर विचार विमर्श करने के बाद तैयार किया गया है। सलीके से तैयार किए गए इस ड्राफ्ट में शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों को ही शामिल किया गया है। इन विषयों, खासतौर पर विवाह प्रक्रिया को लेकर जो प्राविधान बनाए गए हैं उनमें हर जाति, धर्म अथवा पंथ की परम्पराओं और रीति रिवाजों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। वैवाहिक प्रक्रिया में धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। धार्मिक रीति-रिवाज जस के तस रहेंगे। ऐसा भी नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे। खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन सख्ती इस बात पर की गई है कि हर दम्पती को अनिर्वाय रूप से अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा। अन्यथा वे सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने से वंचित रहेंगे। तलाक के बगैर कोई व्यक्ति दूसरी शादी नहीं कर पाएगा। ऐसा करने पर उसे दण्ड या आर्थक दण्ड या फिर दोनो भुगतने होंगे।

अधिनियम में जहां एक ओर विवाह, तलाक और विवाह की शून्यता के पंजीकरण के लिए सुगम एवं सरल प्रक्रिया बनाई गई है। सम्बंधित दम्पती और अधिकारियों की भी जिम्मेदारी व जवाबदेही तय की गई है। यदि कोई नागरिक विवाह का पंजीकरण करने में अनदेखी करता है या नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके लिए अधिकतम 25000 के अर्थदण्ड का प्राविधान रखा गया है। साथ ही यदि उप निबंधक जानबूझकर संहिता में निहित कार्यवाही करने में विफल रहता है तो वह भी अधिकतम 25000 रुपये के अर्थदण्ड का अधिकारी होगा।

विवाह, तलाक एवं विवाह की शून्यता के पंजीकरण के लिए एक सरकारी तंत्र बनाया जाएगा। जिसमें महा निबंधक सचिव स्तर, निबंधक उपजिलाधिकारी एवं उप निबंधक राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी होंगे। नागरिकों के पास सूचना का अधिकार की तर्ज पर रजिस्ट्रेशन को लेकर अपील का अधिकार भी होगा। निबंधक एवं महा निबंधक दो अपीलीय स्तर के अधिकारी होंगे। साथ ही हर स्तर पर पंजिका का रखरखाव किया जाएगा। ताकि पारदर्शिता बनी रहे। अपील के लिए समयबद्ध समय सीमा भी तय की गई है, ताकि प्रक्रिया में अनावश्यक देरी न हो।

संहिता में दाम्पत्य अधिकारों को सरुक्षित बनाने के हर संभव प्राविधान किए गए हैं। साथ ही जो महर, प्रभूत, स्त्रीधन या कोई अन्य सम्पत्ति जो पत्नी को उपहार स्वरूप दी गई है, वह भरण पोषण के दावे में सम्मिलित नहीं होकर अतिरिक्त होगी। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे की अभिरक्षा सामान्यत माता के पास रहेगी। संहिता में बच्चों की अभिरक्षा के अन्तर्गत बच्चों का हित सर्वोत्तम एवं कल्याण सर्वोपरि होगा। कोई विवाद होने पर दम्पती के मेल मिलाप के लिए न्यायालय हरसंभव समुचित प्रयास करेंगे।

शून्य एवं शून्यीकरण विवाह के लिए नियम बनाए गए हैं। विवाह विच्छेद के लिए किसी भी पक्ष को मारकर्म, क्रूरता, कम से कम दो वर्ष तक बिना युक्तियुक्त कारण से अलगाव, धर्म परिवर्तन, विकृत चित, निरन्तर मानसिक विकार, संचारी यौन रोग, लगातार 7 वर्ष तक किसी पक्ष के जीवित रहने की सूचना नहीं होने का आधार लिया गया है। विवाह विच्छेदन की कार्यवाही अनुतोष एवं आपसी सहमति से ही जा सकेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि किसी भी प्रथा, रूढ़ि परम्परा या किसी पक्षकार को किसी व्यक्तिगत विधि या अधिनियम के अनुसार विवाह विच्छेदन (तलाक) नहीं हो सकेगा। इस संहिता के लागू होने के बाद संहिता में प्राविधानित प्रक्रिया के अनुसार ही विवाह विच्छेदन होगा। पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार होंगे। लिव-इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी होगा। लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा होगी। लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।

उम्मीद की जा रही है कि यह समान नागरिक संहिता उत्तराखण्ड के मध्य एक प्रगतिवादी, लोकप्रिय एवं सर्ववर्ग ग्राही संहिता साबित होगी। यह संहिता उत्तराखण्ड के नागरिकों के उच्च मानसिक स्तर का द्योतक होगी तथा राज्य के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगी।