उत्तराखंड सरकार ने आंदोलन कर रहे बेरोजगार संघ के दबाव में सरकार ने युवकों की ज्यादातर मांगें मान लेने का दावा किया है। सरकार इस बात को लेकर तैयार हो गई है कि पटवारी भर्ती प्रकरण की जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में की जाए । आंदोलनरत युवक सीबीआई से तमाम भर्ती घोटाले की जांच की मांग कर रहे थे । सरकार ने सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया है और अपील की है कि युवक इस जांच पर भरोसा रखें। इस बीच 12 फरवरी को पटवारी भर्ती की परीक्षा एक बार फिर से होगी। लोक सेवा आयोग इस भर्ती को कर रहा है।
आयोग का दावा है कि पुराने पेपर नष्ट कर दिए गए हैं ,और एक्सपर्ट्स की देखरेख में पूरी भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से होगी। इस साल आयोग की तरफ से 32 भर्ती परीक्षाएं आयोजित करने की तैयारी की गई है। आंदोलन कर रहे युवकों की मांग थी कि पुरानी सभी भर्तियों को रद्द कर दिया जाए । लेकिन अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इसको लेकर स्पष्ट बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि “अगर सभी भर्तियां निरस्त हो जाएंगी तो निराशाजनक माहौल बन जाएगा “.
सरकार का दावा है कि जिन लोगों ने गड़बड़ियां की हैं उन्हें पकड़ा गया है और अभी भी धरपकड़ जारी है। इस बीच खबर आई कि एक कोचिंग सेंटर के मालिक को भी एसआईटी ने पकड़ लिया है। इस सेंटर पर लंबे समय से नजर रखी जा रही थी। पेपर लीक प्रकरण में यह सेंटर संदेह के घेरे में था। इस बीच सरकार ने नकल विरोधी अध्यादेश को तैयार किया और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड ) गुरमीत सिंह ने इसे मंजूरी दे दी। अब सभी भर्ती परीक्षाएं इसी अध्यादेश के दायरे में ही होंगी। सरकार का दावा है कि पूरे देश में यह सबसे ज्यादा सख्त कानून है जो नकल को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
1. पटवारी भर्ती की जांच रिटायरजज की निगरानी में होगी
2. नकल विरोधी अध्यादेश को मंजूरी
3. कोचिंग संचालक गिरफ्तार
4. सीबीआई जांच नहीं राधा रतूड़ी
5. पुलिस की भूमिका की जांच हो, गढ़वाल कमिश्नर करेंगे जांच
6. अगर सभी परीक्षाएं निरस्त होंगी तो निराशा होगी
7. इस साल 32 परीक्षाएं होंगी, पेपर एक्सपर्ट्स ने बनाए हैं नए
8. पुराने पेपर नष्ट किए गए
9.12 फरवरी को पटवारी भर्ती
इधर सरकार ने पत्थरबाजी और लाठीचार्ज की घटनाओं का गंभीरता के साथ संज्ञान लिया है । सरकार ने गढ़वाल के कमिश्नर सुशील कुमार को इस जांच का जिम्मा सौंपा है । पहले आशंका व्यक्त की जा रही थी कि अगर एक जूनियर अधिकारी जांच करेगा तो डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और एसएसपी कैसे उसकी जांच के दायरे में आ सकते हैं । लेकिन आशंकाओं को दरकिनार करते हुए सरकार ने जांच का जिम्मा कमिश्नर सुशील कुमार को सौंपा है । अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं डीएम और एसपी की भूमिका की गंभीरता के साथ जांच की जाएगी और आने वाले समय में सरकार इनके दायित्व में बड़ा फेरबदल कर सकती है।