महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से भगत सिंह कोश्यारी चर्चा के केंद्र में थे। कोश्यारी ने सार्वजनिक मंच से जब पद छोड़ने की इच्छा जताई तभी से कयास लगाए जाने लगे थे कि अब भगत सिंह कोश्यारी कभी भी राज्यपाल पद छोड़ सकते हैं।
भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। कोश्यारी की जगह अब रमेश बैंस महाराष्ट्र के गवर्नर होंगे। रमेश बैंस अभी तक झारखंड के गवर्नर की भूमिका में थे ।
भगत सिंह कोश्यारी के कई बयान गवर्नर रहते खूब विवादित रहे। महाराष्ट्र में कोश्यारी के बयानों पर लगातार विरोध प्रदर्शन होते रहे। राज्यपाल के बयानों की राजनीतिक पार्टियों द्वारा लगातार आलोचना की जाती रही। इससे शायद बीजेपी की शीर्ष नेतृत्व दबाव में आ गया और उन्होंने महाराष्ट्र में गवर्नर को बदलने का फैसला किया
भगत सिंह कोश्यारी ने शिवाजी को पुराने जमाने का हीरो बताया और आधुनिक भारत में अंबेडकर और नितिन गडकरी को महाराष्ट्र का नया रोल मॉडल बताया। इससे विपक्षी पार्टियां तो नाराज हो ही गई साथ-साथ बीजेपी के भी कई सांसद और नेता कोश्यारी से नाराज हो गए और उनकी आलोचना सार्वजनिक रूप से की गई।
भगत सिंह कोश्यारी ने शिवाजी को पुराने जमाने का हीरो बताया और आधुनिक भारत में अंबेडकर और नितिन गडकरी को महाराष्ट्र का नया रोल मॉडल बताया। इससे विपक्षी पार्टियां तो नाराज हो ही गई साथ-साथ बीजेपी के भी कई सांसद और नेता कोश्यारी से नाराज हो गए और उनकी आलोचना सार्वजनिक रूप से की गई।
भगत सिंह कोश्यारी ने सावित्री बाई फुले पर भी टिप्पणी की। कोश्यारी ने कहा कि 10 वर्ष की उम्र में सावित्री बाई फुले का विवाह हो गया था। 10 साल की उम्र में बच्चे को कुछ भी मालूम नहीं होता। उन्होंने शादी के बाद अपने पति से क्या बात की होगी? इस बयान के बाद भी काफी हंगामा हुआ।
एक और मामला है जिसमें कोश्यारी थोड़ा सा विवादों में फंसते हुए नजर आए। वीर सावरकर के नाम पर महाराष्ट्र के एक विश्वविद्यालय के हॉस्टल का नामकरण किए जाने के आदेश देकर भी काफी विवाद हुआ। यह कुछ बयान थे जिनके कारण कोश्यारी थोड़ा दबाव में रहे।
लेकिन इसके अलावा कई राजनीतिक फैसले भी विवादों के केंद्र में रहे। हालांकि इन फैसलों का सीधा संबंध बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से ही था । मगर स्थानीय राजनीति में कोशियारी चर्चा के केंद्र में बने रहे। चाहे विपक्षी दलों की सरकार बनने ना देने का मामला हो या सुबह 4:00 बजे बीजेपी की सरकार बनाए जाने का मामला । कोश्यारी की भूमिका सभी में महत्वपूर्ण रही।
उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी वापस उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। यह देखना काफी महत्वपूर्ण होगा कि भगत सिंह कोश्यारी क्या वास्तव में राजनीतिक रूप से संन्यास ले रहे हैं या उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय हो पाएंगे।