उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य के आंदोलनकारियों को सीधा नौकरियों में आरक्षण का लाभ दिलाए जाने की तैयारी कर रहे हैं । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल के बाद ही कैबिनेट की उप समिति का गठन किया गया था। जिसने राज्य आंदोलनकारियों को फिर से 10% क्षैतिज आरक्षण दिलाए जाने की सिफारिश सरकार से की थी । इस कैबिनेट की उपसमिति के अध्यक्ष सुबोध उनियाल थे ।
उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों को 2005 से सरकारी सेवाओं में सीधा 10% क्षैतिज आरक्षण मिलता रहा था। लेकिन 2014-15 में नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल किए जाने के बाद कोर्ट ने इस शासनादेश को निरस्त कर दिया था।
इसके बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट में लाए जाने की तैयारी हो रही थी । लेकिन पिछली दो तीन कैबिनेट में इस प्रस्ताव को अधिकारी शामिल नहीं कर पाए थे । इसको लेकर कैबिनेट मंत्रियों और मुख्यमंत्री ने भी अपनी नाराजगी जताई थी ।लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में गैरसैंण में कैबिनेट बैठक हुई। वहां पर राज्य आंदोलनकारियों को सीधा 10% आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अब संशोधित विधेयक एक बार फिर से विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। वहां से पारित कराकर इसे राजभवन की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा ।अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण का लाभ कब तक दिला पाते हैं।
एनडी तिवारी सरकार ने दिया था राज्य आंदोलनकारियों को लाभ
उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने राज्य आंदोलनकारियों को 10% लाभ दिलाए जाने की कोशिश की थी। लेकिन 10 साल बाद इस लाभ को नैनीताल हाईकोर्ट ने खत्म कर दिया था।हरीश रावत की सरकार ने इसके बाद एक प्रस्ताव विधानसभा से पारित कराकर राजभवन भेजा था। लेकिन राजभवन ने इसे मंजूरी नहीं दी।
उपसमिति की रिपोर्ट के बाद धामी कैबिनेट ने लिया फैसला
इसके बाद पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने सबसे पहले तो राज भवन में भेजे गए विधेयक को वापस मंगवाया। उसके बाद उसमें क्या-क्या जरूरी संशोधन किए जाने हैं इसको लेकर कैबिनेट की उप समिति बनाई गई । उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया। कमेटी ने अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी थी । इसमें कहा गया था कि तमाम आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी सेवाओं में 10% क्षैतिज आरक्षण दिया जाना चाहिए