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भविष्य की योजना है रोपवे

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भविष्य की योजना है रोपवे

सड़क और रेल मार्ग के बाद अब उत्तराखंड भविष्य की योजनाओं पर काम कर रहा है । भविष्य की योजना है रोपवे . रोपवे यानी आधुनिक तकनीक , जिसके जरिए यात्री आसानी से सफर कर सकेंगे। केंद्र मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का उत्तराखंड के प्रति हमेशा से ही विशेष लगाव रहा है। इसलिए राज्य को वर्तमान केंद्र सरकार से हमेशा ही सहायता मिलती रही है। पहले जहां ऑल वेदर रोड की सौगात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से मिली तो उसके बाद ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन की शुरुआत हुई । इनका उद्देश्य चार धाम यात्रा को सुगम बनाना तो है ही साथ-साथ उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों और सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास प्राथमिकता में है। लेकिन एक बड़ी चुनौती बची हुई थी जिसका समाधान किया जाना था। पहाड़ियों पर बसे देवों के स्थान पर पहुंचने व्यवस्था को सुगम किया जाना था। चाहे वह बाबा केदारनाथ का धाम हो और चाहे हेमकुंड साहिब की यात्रा। जो यात्री यहां पैदल पहुंचते हैं उन्हें 6 से 7 घंटे का कठिन सफर तय करना होता है । कुछ यात्री यहां घोड़े खच्चर की मदद से भी पहुंचते हैं। इसमें भी अच्छा खासा पैसा और समय लगता है । कई यात्री हेलीकॉप्टर की सहायता से बाबा केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन लाखों ऐसे तीर्थयात्री हैं जिन्हें हेलीकॉप्टर की यात्रा करने का मौका किसी न किसी कारण से नहीं मिलता । इस बात को राज्य सरकार लगातार महसूस करती रही। केंद्र के साथ भी कई दौर की बातचीत हुई ।लेकिन जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड में सरकार बनी तो एक नई पहल की शुरुआत हुई । अब राज्य में 2 नए रोपवे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। केदारनाथ धाम तक रोपवे बनाने में 1267 करोड़ों रुपए का निवेश किया जाना है इस रोड पर की कुल लंबाई लगभग 10 किलोमीटर होगी और यात्रियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि यह सफर सिर्फ 25 से 30 मिनट में ही पूरा हो जाएगा । हर घंटे लगभग 3600 यात्री आवागमन कर सकेंगे। केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा गौरीकुंड से शुरू होती है ।16 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा काफी कठिन मानी जाती है। लेकिन जब रोपवे प्रोजेक्ट बन कर तैयार हो जाएगा तो गौरीकुंड ,चिड़वासा , लिंचोली और केदारनाथ धाम चार प्रमुख स्टेशन होंगे।सिर्फ केदारनाथ धाम ही नहीं है जहां पर रोपवे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है । करीब 1163 करोड़ रुपए के निवेश वाली एक अन्य योजना पर भी काम शुरू हो चुका है । लगभग साढ़े बारह किलोमीटर लंबाई वाले गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब के लिए भी रोपवे बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि जब यह प्रोजेक्ट बनकर तैयार होगा तो यह सफर सिर्फ 45 मिनट में पूरा हो सकेगा । इस प्रोजेक्ट के बनने का फायदा सिर्फ हेमकुंड के दर्शन करने वाले तीर्थ यात्रियों को ही नहीं होगा बल्कि जो पर्यटक फूलों की घाटी की सैर करना चाहते हैं उन्हें भी काफी आसानी होगी। इस मार्ग में गोविंदघाट , पुलना , भ्यूंडार, घांघरिया और हेमकुंड प्रमुख स्टेशन होंगे। अभी गोविंदघाट से हेमकुंड जाने में करीब डेढ़ दिन का समय लग जाता है । ऐसा आकलन किया गया है कि प्रोजेक्ट कंप्लीट होने के बाद हर घंटे दो हजार से ज्यादा यात्री एवं पर्यटक आवागमन कर सकेंगे। सड़क मार्ग और रेल नेटवर्क के विकास के बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का फोकस रोपवे प्रोजेक्ट पर है। वैसे एक रोपवे में बनकर तैयार हुआ वह है कद्दूखाल से सुरकंडा तक। जब से यह प्रोजेक्ट बनकर तैयार हुआ है तब से यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में 32% का इजाफा दर्ज किया जा चुका है।इन प्रोजेक्ट के अलावा भी कई दूसरे प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है। इसमें रानी बाग से नैनीताल , पंचकोटी से नई टिहरी, खलिया टॉप से मुनस्यारी , ऋषिकेश से नीलकंठ और औली से गौरसौं रोप वे परियोजनाओं की प्रक्रिया भी अभी चल रही है। जानकारों का मानना है कि दुर्गम पहाड़ियों पर बसे देव स्थानों तक अगर रोपवे की सुविधा स्थापित हो जाएगी तो वर्तमान समय के मुकाबले कई गुना ज्यादा पर्यटक और तीर्थयात्री यहां पहुंच सकते हैं। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पूरे राज्य की जीडीपी पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।

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