उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर दबाव बनाए हुए हैं। सतपाल महाराज की मांग है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अधिकारियों की एसीआर लिखने का अधिकार मंत्रियों को दें । सतपाल महाराज इसके लिए कई बार कैबिनेट बैठक में चर्चा कर चुके हैं और मीडिया में बयान दे चुके हैं। महाराज कई बार अपने अधिकारियों को भी कई बार लताड़ लगा चुके हैं।
सतपाल महाराज ने एक बार फिर से यह शिगूफा पिछली कैबिनेट मीटिंग में छेड़ा था। मीटिंग में एजेंडा नहीं था, लेकिन सतपाल महाराज ने अपने सचिवों की एसीआर लिखने की मांग पुष्कर सिंह धामी से की । एसीआर यानी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट। अभी तक यह व्यवस्था है कि मुख्यमंत्री ही तमाम सचिवों प्रमुख सचिवों की एसीआर लिखा करते हैं। लेकिन यह व्यवस्था हमेशा से नहीं थी। पहले मंत्रियों को अपने सचिवों की एसीआर लिखने का अधिकार था । जिस समय एनडी तिवारी की सरकार थी उस समय यह व्यवस्था चला करती थी । लेकिन बीसी खंडूरी की सरकार आने के बाद इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया।
इस पर कोई ज्यादा हो हल्ला किसी मंत्री ने नहीं मचाया। लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार बनने के बाद 2017 से कैबिनेट मंत्री की भूमिका में रहे सतपाल महाराज एसीआर लिखने को अपना अधिकार मानते हैं सतपाल महाराज का मानना है कि अगर एसीआर लिखने का अधिकार मंत्रियों के पास होगा तो इससे अधिकारी नियंत्रण में रहेंगे और मंत्री अपने काम करा सकेंगे। लेकिन वास्तव में किसी मुख्यमंत्री ने सतपाल महाराज की इस मांग पर कोई ज्यादा तवज्जो नहीं दी। अब एक बार फिर से सतपाल महाराज ने अपनी मांग को लेकर दबाव बनाना शुरू किया हुआ है।
सतपाल महाराज की मांग पर दूसरे कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एसीआर कोई भी लिखे इससे क्या फर्क पड़ता है। इसका यह मैसेज गया कि जैसे सुबोध उनियाल को एसीआर से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता और वह सतपाल महाराज की बात को सीधे सीधे तरीके से खारिज कर रहे थे। लेकिन इस बयान के बाद सतपाल महाराज ने एक बार फिर से कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कहां है ऐसे तो मंत्री हंसी के पात्र बन रहे हैं।अब देखना यह है कि अपने कैबिनेट मंत्रियों की मांग पर या उनके दबाव पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी क्या फैसला लेते हैं?