उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने दूसरे कार्यकाल में पहला वर्ष पूरा कर रहे हैं। पुष्कर सिंह धामी ने इन 1 साल में कौन-कौन से महत्वपूर्ण काम किए हैं, और कौन-कौन सी चुनौतियां रही जो इस वर्ष उनके सामने खड़ी थी ।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने अगले 1 वर्ष में और कौन-कौन सी चुनौतियां हैं जिसका सामना पूरी बीजेपी को धामी के नेतृत्व में करना है।
एक साल पूरा होने पर मनाया जा रहा है जश्न
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 23 मार्च को अपने दूसरे कार्यकाल का पहला वर्ष पूरा कर रहे हैं । इस दौरान देहरादून से लेकर राज्य के तमाम जनपदों और विधानसभा क्षेत्रों में जश्न मनाया जा रहा है । पुष्कर सिंह धामी की सरकार पिछले 1 वर्ष की उपलब्धियों को जनता के सामने बताने की कोशिश कर रही है ।
महिलाओं को आरक्षण देने का फैसला किया धामी सरकार ने
पुष्कर सिंह धामी की सरकार का दावा है कि उन्होंने अपने इस 1 वर्ष के छोटे से कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। उन फैसलों को इस सरकार ने लिया है, जो फैसले पिछली सरकारें नहीं ले पाई ।यह दावा पुष्कर सिंह धामी की सरकार का है। धामी सरकार का दावा है कि उन्होंने 1 वर्ष में राज्य की महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 30% के क्षैतिज आरक्षण के कानून को मंजूरी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वैसे 2004-5 से उत्तराखंड में राज्य की महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 30% आरक्षण मिला करता था। लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट ने एक अपील पर सुनवाई करते हुए इस आरक्षण व्यवस्था को निरस्त कर दिया था। इसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंची और साथ-साथ विधानसभा में एक कानून पारित करवाया जिससे उत्तराखंड मूल की महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 30% का आरक्षण फिर से मिलने लगा है।
राज्य आंदोलनकारियों को भी दिया लाभ
पुष्कर सिंह धामी की सरकार दूसरा बड़ा दावा करती है कि उन्होंने उत्तराखंड के आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में 10% आरक्षण को मंजूरी दिलवा दी है। यह मंजूरी भी पहले 2004-5 में एनडी तिवारी की सरकार दे चुकी थी। लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट ने 2014-15 में इसको रद्द कर दिया था। उसके बाद से 4 मुख्यमंत्री लगातार इसे नहीं सुलझा पाए। पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने इस मामले में भी कदम आगे बढ़ाए हैं। और इसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर वह प्रचारित कर रही है।
पेपर लीक के बाद सख्त नकल विरोधी कानून और धर्मांतरण पर कानून बनाया
पुष्कर सिंह धामी सरकार दावा करती है कि उन्होंने सरकारी सेवाओं के लिए होने वाली परीक्षाओं में पारदर्शी व्यवस्था को दुरुस्त बनाने की कोशिश की है। परीक्षा नकल विहीन हो इसके लिए सख्त नकल विरोधी कानून बनाया गया है। पुष्कर सिंह धामी की सरकार दावा करती है कि ऐसा कानून देश भर में अभी तक किसी ने नहीं बनाया है। इसके अलावा उत्तराखंड सरकार धर्मांतरण को लेकर भी कड़ा कानून बना चुकी है और इसे बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा है।
समान नागरिक संहिता पर ड्राफ्ट हो रहा तैयार
समान नागरिक संहिता के मामले पर पुष्कर सिंह धामी की सरकार आगे बढ़ी और ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। धामी सरकार दावा करती है कि जो ड्राफ्ट उत्तराखंड सरकार की तरफ से तैयार किया जा रहा है वह पूरे देश में एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
पेपर लीक की घटनाओं से सरकार को परेशान किया
लेकिन पुष्कर सिंह धामी के सामने इसके अलावा कई महत्वपूर्ण चुनौतियां भी रही हैं जो उन्होंने अपने 1 वर्ष के कार्यकाल के दौरान झेली है। उत्तराखंड में लगातार एक के बाद एक पेपर लीक की घटनाओं ने राज्य सरकार को बैकफुट पर धकेल दिया था। बेरोजगार युवाओं का धरना प्रदर्शन और आंदोलन लगातार न सिर्फ देहरादून में हो रहा था बल्कि पूरे प्रदेश में यह आग फैली हुई थी। इस पेपर लीक प्रकरण से सरकार थोड़ा परेशान जरूर हुई । लेकिन अब नकल विरोधी कानून बनाकर सरकार ने थोड़ी भरपाई जरूर की है जो उसकी छवि पर दाग लगा था।
विधानसभा भर्ती घोटाले में हुई फजीहत
उत्तराखंड में विधानसभा भर्ती घोटाला एक चर्चा का विषय जरूर बना रहा इसने ना सिर्फ सरकार को बीजेपी को बल्कि संघ और उससे जुड़े दूसरे संगठनों के पदाधिकारियों पर भी कई दाग लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन आखिर में विधानसभा में भर्तियों को निरस्त कर दिया गया। लेकिन यह एक बड़ा मुद्दा रहा और इस मुद्दे से पार पाने में सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद परेशान हुई सरकार
उत्तराखंड की राजनीति में अंकिता भंडारी हत्याकांड एक बड़ा मामला था। ऋषिकेश के पास यमकेश्वर ब्लॉक में यह मामला हुआ। जब बीजेपी से जुड़े लोगों पर अंकिता भंडारी को अनैतिक कार्यों में धकेलने के आरोप लगे और जब वह उस कार्य में शामिल नहीं हुई तो उसकी हत्या कर दी। इस मामले के आरोपी फिलहाल जेल की सलाखों के पीछे हैं। लेकिन परिजन सीबीआई जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं। इस मामले ने राज्य सरकार को थोड़ा परेशान किया। क्योंकि जब पुलिस ने नैनीताल हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की तो उसने बताया कि वह फॉरेंसिक एविडेंस इकट्ठा नहीं कर पाई। क्योंकि अंकिता भंडारी के कमरे में कई लोगों का आना-जाना निर्बाध रूप से होता रहा।
भविष्य की चुनौती- चारधाम यात्रा
अब बात करते हैं भविष्य की चुनौतियों को लेकर। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने आने वाले 1 महीने में सबसे बड़ी समस्या चार धाम यात्रा की है। इस यात्रा को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय सीधा नजर बनाए हुए हैं । पिछले वर्ष यात्रा में 250 से ज्यादा तीर्थ यात्रियों की मौत हुई थी। इसलिए केंद्र सरकार अलर्ट मोड पर है । उत्तराखंड सरकार ने यात्रा संचालन को लेकर पहले रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को अपनाने की कोशिश की। लेकिन तीर्थ पुरोहितों स्थानीय व्यापारियों के दबाव में सरकार अब अपना फैसला पलटने जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सीधा जवाब दिया है कि वह एक मध्यम मार्ग को चुनेंगे जिसमें सभी का भला होगा और सभी को साथ लेकर वह चल सकेंगे।
स्थानीय निकाय चुनाव में होगी धामी सरकार की परीक्षा
पुष्कर सिंह धामी के सामने दूसरी बड़ी चुनौती इस साल के आखिर में होने वाले स्थानीय निकाय के चुनाव हैं । पिछले चुनाव में बीजेपी के हाथ से कई नगर निगम निकल गए थे । इसलिए ऐसे में पुष्कर सिंह धामी के सामने चुनौती है कि वह स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी को उसी तरीके से जीत जलाएं जिस तरीके से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हुई है। वैसे पुष्कर सिंह धामी के सामने एक चुनौती अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव भी हैं। हालांकि वह चुनाव होंगे जब पुष्कर सिंह धामी अपने कार्यकाल तीसरे वर्ष में प्रवेश करेंगे । लेकिन उसकी रूपरेखा इसी वर्ष तैयार होगी क्योंकि इसी साल होने वाले कार्यों के आधार पर वोट मांगे जा सकेंगे।