हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ बद्रीनाथ धाम पर अब राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है .उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बद्रीनाथ धाम पर टिप्पणी की है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि जिस तरीके से मस्जिदों का सर्वेक्षण कर रही है वैसे ही हिंदुओं के प्रमुख मंदिरों का सर्वेक्षण भी किया जाना चाहिए . स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि 9वीं शताब्दी से पहले बद्रीनाथ धाम बौद्ध मठ हुआ करता था और इसे परिवर्तित करके ही मंदिर बनाया गया है.
स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी के बाद अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे तुष्टीकरण की राजनीति बताया है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि जिस तरीके से विपक्षी दलों ने गठबंधन किया है यह उसी का नतीजा है कि हिंदुओं के प्रमुख धाम पर विवाद पैदा किया जा रहा है
.उत्तराखंड के एक और नेता अजय अजय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है अजय अजय इस समय बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी निंदनीय है और इस तरीके का विभाग प्रमुख धामों के नाम पर नहीं किया जाना चाहिए.वास्तव में काशी में ज्ञान व्यापी मंदिर मस्जिद परिसर इस समय विवादों में है। मस्जिद, मंदिर को तोड़कर बनाई गई है या यहां पर पहले से ही मस्जिद मौजूद थी इसको लेकर एएसआई सर्वे करने में जुटा है ।
यह पूरा का पूरा मामला कभी इलाहाबाद हाईकोर्ट तो कभी सुप्रीम कोर्ट में पहुंच जाता है। इसलिए अब इस मामले पर विपक्ष नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने टिप्पणी की है । क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी के नेता है। तो ऐसा माना जा रहा है कि कुछ मुस्लिम संगठनों को खुश करने के लिए ही उन्होंने बद्रीनाथ धाम को विवाद से जोड़ दिया है ।
अब देखना यह है कि स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी का किस तरीके से राजनीतिक विरोध शुरू हो पाता है। स्वामी प्रसाद मौर्य दलबदलू नेता माने जाते हैं । कभी वो बीजेपी के नेता हुआ करते थे तो कभी बहुजन समाज पार्टी का झंडा उठाए घूमा करते थे । लेकिन इन दिनों वो समाजवादी पार्टी की राजनीति करते हैं । पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जनता ने स्वामी प्रसाद मौर्य को बड़े अंतर से चुनाव भी दिया है।