विपक्ष के साथ-साथ अब सत्तापक्ष ने भी पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 8 और 9 फरवरी को पुलिस की भूमिका के कारण ही पूरे राज्य में सरकार के खिलाफ एक माहौल तैयार हो गया । उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट ने पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की है।
अंदाजा लगाया जा रहा है संगठन और सरकार के विचार विमर्श के बाद ही जांच कमिश्नर स्तर के अधिकारी को सौंपी गई है। उत्तराखंड में बेरोजगार युवक अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर गांधी पार्क के बाहर धरने पर बैठे थे। 8 फरवरी की रात को पुलिस ने जोर जबरदस्ती से उन्हें उठा दिया।
पुलिस की इस कार्रवाई के बाद ही पूरे प्रदेश भर में बेरोजगार युवकों के संगठनों ने सरकार के खिलाफ अलग-अलग जगहों पर आंदोलन किया। इससे सरकार की छवि पर असर तो पढ़ा ही है साथ-साथ कई अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है । पहले विपक्ष ही पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहा था। इस धरने प्रदर्शन के बीच में पत्थरबाजी की घटनाएं भी हुई है। पुलिस ने लाठी चार्ज करके स्थिति को नियंत्रण करने का दावा किया। लेकिन राजनीतिक रूप से पुलिस के इस फैसले से बीजेपी थोड़ा बैकफुट पर नजर आई है।
इसीलिए उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट ने पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की है । खबर है कि उत्तराखंड पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों की कार्यशैली से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी नाराज बताए जा रहे हैं। इसीलिए गढ़वाल के कमिश्नर सुशील कुमार को यह जांच सौंपी गई है। ताकि देहरादून जनपद के बड़े अधिकारियों के खिलाफ अगर कोई बात आए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। पुलिस ने पहले तो 8 फरवरी की रात को जबरन आंदोलन कर रहे युवाओं को उठाया और उसके बाद अगले दिन लाठीचार्ज कर दिया।