उत्तराखंड बीजेपी के भीतर विभीषण की तलाश शुरू हो गई है। उत्तराखंड बीजेपी की तरफ से एक सूची वायरल होती है और इस सूची के बाद bjp के भीतर हलचल शुरू हो जाती है । bjp के दफ्तर में पार्टी के कई कार्यकर्ताओं का फोन बजने लगते हैं और मीडिया खबर को प्रकाशित करता है।
खबर बीजेपी के नेताओं को दायित्व दिए जाने से जुड़ी थी इसलिए खबर को तमाम सोशल मीडिया साइट्स पर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर कई पत्रकार शेयर करने लगते हैं । खबर बनाने लगते हैं। लेकिन खबर जैसे जैसे आगे बढ़ती है वैसे वैसे बीजेपी के दिग्गज नेताओं की तरफ से प्रतिक्रियाएं आने लगती हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट स्पष्ट शब्दों में कहते हैं पार्टी की तरफ से ऐसी कोई सूची वायरल नहीं की गई है। महेंद्र प्रसाद भट्ट इस सूची को फर्जी बताते हैं और साथ-साथ यह भी कहते हैं कि इस मामले की पूरी जानकारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी दे दी गई है । भट्ट के मुताबिक इस पूरे प्रकरण की जांच हो रही है कि आखिर यह सूची किसने वायरल की।
अब यहां पर कई प्रश्न खड़े हो जाते हैं आखिर ऐसा बार-बार क्यों हो रहा है कि बीजेपी दफ्तर के भीतर से खबरें वायरल हो जाती है। इससे पहले एक सूची वायरल हुई थी जिसमें पार्टी के नेताओं, मंत्रियों, संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों के चाहेतो और रिश्तेदारों को उत्तराखंड में विभिन्न विभागों में बैक डोर से भर्ती किया गया था। इसमें विधानसभा में बैक डोर से भर्ती किए गए कई नाम भी शामिल थे ।
यही नहीं एक बार उत्तराखंड में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं बहुत तेज थी। उस समय विनोद चमोली का नाम तेजी से प्रदेश अध्यक्ष की रेस में बना हुआ था । औपचारिक रूप से विनोद चमोली के नाम की घोषणा नहीं हुई थी। लेकिन एक फर्जी पत्र विनोद चमोली को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर घूमने लगा। उसके बाद भी पार्टी को अपनी प्रतिक्रिया देनी पड़ी और खबर का खंडन करना पड़ा था ।
यानी यह तीसरा मौका है जब पार्टी के भीतर से फर्जी खबरें मीडिया के जरिए आम जनता तक पहुंचने लगी है। पार्टी इससे आहत हो सकती है।अब वह इस पूरे प्रकरण की जांच करा रही है कि इस बार दायित्व को लेकर सूची कैसे तैयार हुई और किसने इस सूची को वायरल किया। देखना यह होगा कि क्या नतीजा निकलता है।