उत्तराखंड में पहले जहां विधायक निधि 3.75 करोड़ रुपए सालाना हर विधायक को मिला करती थी वह अब बढ़कर 5 करोड़ रुपए हो गई है।
उत्तराखंड में विधायकों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक तोहफा दिया है । गैरसैंण विधानसभा सत्र के पहले ही दिन हुई कैबिनेट बैठक में विधायकों को मिलने वाली विधायक निधि की राशि बढ़ा दी गई है । अब हर विधायक को हर साल 5 करोड़ रुपए विधायक निधि मिलेगी । इस विधायक निधि का इस्तेमाल वह अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों को गति देने के लिए कर सकेंगे। अभी तक उत्तराखंड में एक विधायक को हर साल तीन करोड़ 75 लाख रुपए विधायक निधि के रूप में मिलते थे.
बीजेपी के विधायक और मंत्री कर रहे थे विधायक निधि बढ़ाने की मांग
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ऊपर पिछले कुछ महीनों से राज्य के कई मंत्री और बीजेपी के विधायक , विधायक निधि बढ़ाए जाने की मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री धामी ने भी विधायकों को आश्वासन दिया था कि बजट सत्र में उनकी मांग को पूरा कर दिया जाएगा। लेकिन उनकी मांग से ज्यादा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज उन्हें तोहफा दे दिया है। उत्तराखंड में विधायक निधि एक बड़ा मसला रहता है। पहाड़ी क्षेत्र के विधायकों की मांग हमेशा रही है कि उन्हें अपने क्षेत्र के विकास के लिए ज्यादा विधायक निधि की आवश्यकता होती है। यह सोच कर ही मुख्यमंत्री ने विधायक निधि सीधा 5 करोड़ रुपए हर साल हर विधायक के लिए कर दी, जबकि प्रस्ताव 4.25 करोड़ रुपए हर साल दिए जाने का था।
विधायक निधि खर्च करने को लेकर लगते रहे हैं आरोप
हालांकि कई बार विधायकों पर आरोप लगते हैं कि वह अपनी विधायक निधि समय पर खर्च नहीं कर पाते। एक रिसर्च के मुताबिक उत्तराखंड में कई विधायक अपनी विधायक निधि का 60% भी खर्च नहीं कर पाए । 2017 से 2022 तक के कालखंड में विधायक निधि का कुल 25% धनराशि खर्च ही नहीं हो पाई। लेकिन बावजूद इसके विधायकों की मांग विधायक निधि बढ़ाए जाने की लगातार बनी रही, जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरा कर दिया।
कई राज्यों के बराबर हुई उत्तराखंड के विधायकों की
वैसे उत्तराखंड में अब विधायक निधि राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बराबर हो गई है। राजस्थान में पहले जहां सवा दो करोड़ रुपए हर साल हर विधायक को विधायक निधि मिला करती थी तो उत्तर प्रदेश में 2019 तक यह राशि सिर्फ तीन करोड़ सालाना ही थी। इन दोनों राज्यों ने भी अपने यहां विधायक निधि 5 करोड़ रुपए कर दी। मध्य प्रदेश में अभी विधायक निधि दो करोड़ रुपए सालाना से कम है, जबकि दिल्ली में विधायक निधि 4 करोड़ रुपए रुपए सालाना पहुंच चुकी है। उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी विधायक निधि अभी दो करोड़ रुपए ही है। अब देखना यह है कि इस विधायक निधि के बढ़ने का कितना फायदा उत्तराखंड के विकास में दिखाई देगा । लेकिन एक बात तो तय है कि इस विधायक निधि के बढ़ने से सरकारी खजाने पर बोझ तो बढ़ ही गया है, लेकिन विधायक मौज में आ गए हैं।