राज्य सरकार के स्वास्थ्य महकमे की तरफ से यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। और वर्तमान में वित्त विभाग के पास यह प्रस्ताव है। वित्त की अनुमति मिलने के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट के पास जाएगा । कैबिनेट की मंजूरी के बाद नई नीति लागू हो पाएगी। लेकिन राज्य के ढाई हजार से ज्यादा सरकारी डॉक्टर्स इन दिनों इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं । डॉक्टर्स का मानना है कि राज्य सरकार एनपीए बंद करने की दिशा में आगे बढ़ रही है और यह सिर्फ एक बहाना ही है। राज्य सरकार के हिसाब से अभी किसी भी डॉक्टर की बेसिक पे का 20% हिस्सा उसे नॉन प्रैक्टिस अलाउंस के रूप में दिया जाता है ।लेकिन भविष्य में सभी डॉक्टर्स को नॉन प्रैक्टिस अलाउंस शायद ना मिले। क्योंकि जो भी व्यक्ति इस से बाहर निकलने का विकल्प चुनेगा वह कहीं भी जाकर प्रैक्टिस कर सकेगा अपनी छुट्टी होने के बाद। अब देखना यह है कि डॉक्टर्स अपनी बात को कितने वजन दार तरीके से शासन के सामने रखते हैं, और शासन कितनी मजबूती के साथ अपने प्रस्ताव पर अडिग रहता है।