उत्तराखंड में अब सचिवालय में फैसले लेने के लिए कुछ अधिकारियों को असीमित अधिकार दे दिए गए हैं । मुख्य सचिव एसएस संधू की ओर से जारी आदेश के मुताबिक उच्च अधिकार प्राप्त समिति का गठन कर लिया गया है और यह समिति 3 दिन में अपने महत्वपूर्ण फैसले ले सकती है । परामर्श समिति के फैसलों के बाद संबंधित विभाग के सचिव या प्रमुख सचिव आदेश जारी कर सकते हैं ।मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव एसएस संधू ने यह आदेश जारी किए हैं ।
सचिवालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए
वास्तव में उत्तराखंड सचिवालय की कार्यप्रणाली से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नाखुश बताए जा रहे थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अंदाजा है कि सचिवालय में कई फाइलें लंबे समय तक लंबित रहती हैं । इस कारण जनता से जुड़े कई महत्वपूर्ण मसलों पर फैसला नहीं हो पाता ।इसलिए फैसले त्वरित गति से हो, इसके लिए उच्च अधिकार प्राप्त समिति गठित की जाएगी। जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे और संबंधित विभाग के अधिकारी इस समिति के सदस्य होंगे ।अपर सचिव स्तर से नीचे का कोई भी अधिकारी इस समिति में नहीं होगा ।लेकिन एक प्रशासनिक अधिकारी जरूर होगा जो तमाम जरूरी कागज ,शासनादेश और महत्वपूर्ण फैसलों को एक साथ लेकर बैठक में उपस्थित होगा।
सचिवालय सेवा के अधिकारियों के अधिकार में कटौती
हालांकि अभी तक सचिवालय संघ की तरफ से इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है ।लेकिन माना जा रहा है कि सचिवालय सेवा के अधिकारियों के अधिकारों में कटौती करने का यह अघोषित फरमान जारी कर दिया गया है।
पहले भी कई मुख्यमंत्रियों ने की है टिप्पणी
उत्तराखंड में पहले भी कई पूर्व मुख्यमंत्री सचिवालय के कामकाज को लेकर टिप्पणियां करते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने भी एक बार ऐसे ही टिप्पणी की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि सचिवालय के अधिकारी उनकी लिखी हुई फाइलों की जलेबी बना देते हैं। इससे अंदाजा लगता है कि सचिवालय के अधिकारियों की कार्यप्रणाली से मुख्यमंत्रियों को परेशानी होती है। इसलिए शायद पुष्कर सिंह धामी ने भविष्य में ऐसी किसी भी परेशानी से बचने के लिए अभी से