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पहाड़ों के लिए बनेगा मास्टर प्लान.

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पहाड़ों के लिए बनेगा मास्टर प्लान.

पुष्कर सिंह धामी की सरकार अब राज्य के साथ पहाड़ी शहरों के लिए मास्टर प्लान फिर से बनाने पर विचार कर रही है। जोशीमठ आपदा के बाद जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के फिर से बहाल करने पर अब चर्चा होने लगी है । इसके लिए बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। राज्य सरकार की कोशिश यह है कि पहाड़ों में अनियोजित विकास ना हो। अनियोजित विकास ही जोशीमठ आपदा का प्रमुख कारण माना जा रहा है ।अभी तक पहाड़ों में नियमों के हिसाब से किसी भी भवन की अधिकतम ऊंचाई 12 मीटर तक ही हो सकती है। लेकिन बहुत सारे ऐसे स्थान हैं जहां पर इस नियम का उल्लंघन होता हुआ स्पष्ट रूप से नजर आता है । इसे ही नियमित करने की आवश्यकता है और साथ-साथ पहाड़ों में बड़े भवन रोकने के लिए सख्ती किए जाने की भी अब जरूरत महसूस की जा रही है। पहले चरण में मास्टर प्लान की शुरुआत चमोली जिले से ही किए जाने की संभावना है ज्यादा है । आवास विभाग की समीक्षा के दौरान पहाड़ी शहरों और गांवों मैं भवन निर्माण के लिए नए नियम कायदे तैयार करने के लिए गंभीरता के साथ चर्चा हुई है। प्राथमिकता के तौर पर इस काम को आगे बढ़ाने के लिए कोशिशें शुरू हो गई हैं । वैसे पूरे उत्तराखंड में 63 ऐसे छोटे बड़े पहाड़ी कस्बों की पहचान कर ली गई है जहां के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जाना है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी भवन की अधिकतम ऊंचाई क्या होगी इस पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाना है। वैसे 2016 से पहले भवन निर्माण की नक्शे पास करने की अनिवार्यता सिर्फ देहरादून हरिद्वार और नैनीताल जिले तक ही सीमित थी। इसके अलावा 19 नोटिफाइड टाउन में भी यह व्यवस्था की गई थी। लेकिन 2017 में राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों को विकास प्राधिकरणों के दायरे में लाने की कोशिश की थी । इस योजना का जबरदस्त तरीके से पूरे पहाड़ भर में विरोध होने लगा था और 2021 में राज्य सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा। इसके बाद ज्यादातर पहाड़ी शहरों में किसी भी भवन के निर्माण के लिए नक्शा पास कराने की आवश्यकता किसी भी भवन स्वामी को नहीं थी। इसलिए कोई भी मानक पहाड़ी क्षेत्रों में लागू नहीं हो रहे हैं। लेकिन अब जरूरत महसूस होने लगी है। इस बीच राज्य सरकार ने प्रभावितों के लिए एक राहत पैकेज देने की तैयारी की है जोशीमठ के सभी 4000 घरों का आकलन किया जा रहा है। भू धंसाव के प्रभावितों पर तत्कालिक राहत देने के लिए राज्य सरकार लगभग 2000 करोड रुपए का राहत पैकेज केंद्र सरकार को भेज सकती है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी काम कर रही है जो सारे प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान का आकलन कर रही है।सीबीआरआई यानी सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम लगातार भवनों का सर्वे करके अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है। राज्य सरकार ने जोशीमठ के स्थाई विस्थापन के लिए भी जमीन की तलाश शुरू की है। ज्यादा संभावना जोशीमठ से कुछ दूर पीपलकोटी क्षेत्र में प्रभावित परिवारों को बसाई जाने की है। जीएसआई यानी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से सर्वेक्षण का काम लगभग पूरा कर लिया है।जोशीमठ से 36 किलोमीटर दूर पीपलकोटी इसके लिए अंतिम रूप से चयन किया जा सकता है। यहां पर 2 हेक्टेयर की भूमि चिह्नित कर ली गई है जो प्रभावित परिवारों को दी जा सकती है। सीबीआरआई इस पूरी भूमिका पर नए भवन को बनाए जाने के लिए तैयारी कर रही है। यहां लगभग डेढ़ सौ परिवारों को बचाया जा सकता है। यहां जोशीमठ के प्रभावित लोगों को पक्के मकान बनाकर दिए जा सकते हैं। कुछ परिवारों को राज्य सरकार सीधा मुआवजा भी दे सकती है जो खुद का घर बनाना चाहते हैं वह खुद का घर बना सकते हैं।

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