जोशीमठ संकट के बीच देश की प्रतिष्ठित संस्था इसरो ने उपग्रह के जरिये ली गई तस्वीरें जारी की. जब ये तस्वीरें मीडिया में आई तो पूरे देश में हंगामा हो गया. इसरो की रिपोर्ट के मुताबिक़ जोशीमठ हर साल 6.62 सेंटीमीटर धंस रहा है. रिपोर्ट में बताया गया कि 12 दिन में जोशीमठ 5.4 सेंटीमीटर धंस गया. पिछले साल अप्रैल से नवम्बर के बीच जोशीमठ 8.9 सेंटीमीटर धंसा. करीब 2 साल की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद इसरो ने ये रिपोर्ट जारी की थी. इसमें जोशीमठ और आस पास के 6 किलोमीटर क्षेत्र की तस्वीरों का बारीकी से अध्ययन करने का दावा किया गया था. इस रिपोर्ट पर कई वैज्ञानिकों ने भी सवाल उठा दिए थे. इसके बाद राज्य सरकार ने इसरो से बात की और इन तस्वीरों को वेबसाइट से हटवाया. लेकिन आज भी इन्टरनेट मीडिया में ये तस्वीरें मौजूद हैं.
असल में जोशीमठ में भू-धंसाव एक सीमित दायरे में ही हो रहा है. जोशीमठ जिस पहाड़ी के ऊपर बसा हुआ है उस पहड़ी के बीच से एक फाल्ट लाइन जा रही है. इस फाल्ट लाइन के आस पास बने भवन ही प्रभावित हो रहे हैं. चमोली जनपद के प्रभारी मंत्री डॉ धन सिंह रावत का कहना है कि इसरो की तस्वीरों से भय का वातावरण पूरे जोशीमठ में बन गया. इसलिए सरकार को इसरो से बात करनी पड़ी. इसके बाद जोशीमठ पर काम कर रहे वैज्ञानिकों को मीडिया से बात न करने के भी निर्देश दिए गए. सरकार का तर्क है कि डाटा का विश्लेषण हर कोई अपने अपने स्तर से करता है ऐसे में कई भ्रामक जानकारियाँ सामने आती हैं .