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एन टी पी सी पर विवाद

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<strong><u>एन टी पी सी पर विवाद </u></strong>

इस बीच विष्णुगाड तपोवन परियोजना पर काम कर रही देश की जानी मानी कंपनी एन टी पी सी यानी नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन पर भी सवाल उठने लगे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि एन टी पी सी की सुरंग जोशीमठ के ठीक नीचे से निकल रही है. इस पर काम चल रहा है और इस परियोजना के कारण पहाड़ अस्थिर हुआ है. हालाकिं सरकारी तौर पर ऐसी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है. लेकिन देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक इस पर अपना अध्ययन कर रहे हैं. इस बीच एन टी पी सी ने भी भारत सरकार को परियोजना और सुरंग से सम्बंधित विस्तृत रिपोर्ट भेजी है. एन टी पी सी का दावा है की उसकी सुरंग पहाड़ी से काफी नीचे है. इस पर पिछले काफी समय से कोई काम भी नहीं चल रहा है. जिस तरह जोशीमठ में जे पी कॉलोनी में पानी निकल रहा है वैसा कोई पानी सुरंग से नहीं निकल रहा है.

वैसे ये कोई पहला मामला नहीं है जब एन टी पी सी के प्रोजेक्ट्स पर सवाल खड़े हुए हैं. 2009-10 में सरकार को उत्तरकाशी जनपद में भागीरथी नदी पर एनटीपीसी का लोहारिनागपाला प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा था. इस प्रोजेक्ट का काफी काम हो चुका था. प्रोजेक्ट पर लगभग ढाई हज़ार करोड़ रूपए खर्च भी हो चुके थे. लेकिन 600 मेगावाट की परियोजना का पॉवरहाउस बनाने के साथ साथ सुरंग निर्माण के लिए जब काम शुरू हुआ तो आस पास के कई गाँवों में बने भवनों में दरारें पड़ने लगी. इसके बाद परियोजना का विरोध शुरू हुआ. उत्तरकाशी से लेकर देहरादून और दिल्ली तक ये ख़बरें पंहुचने लगी. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने मंत्रिमंडल समूह का गठन किया. वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी , ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश उस समूह का हिस्सा थे. इसके बाद कई तरह से परियोजना की जाँच परख हुई. इसके बाद पर्यावरण पर पड़ते खतरे को देखते हुए परियोजना को बंद करने का आदेश तत्कालीन UPA सरकार को देना पड़ा. परियोजना बंद करने के साथ साथ केंद्र सर्कार ने इस पुरे 135 किलोमीटर के हिस्से को ईको सेंसिटिव जोन घोषित कर दिया. इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में 2 अन्य प्रस्तावित बाँध परियोजनाओं को भी शुरू होने से पहले ही बंद करने का फैसला किया गया. यानी सरकार ने माना था कि बांध परियोजनाओं से पर्यावरण को भयंकर खतरा है.

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ऊमा भारती भी पहाड़ों में बड़े बांधों के खिलाफ हैं. ऊमा भारती जोशीमठ की आपदा के बाद यहाँ पंहुची . उन्होंने यहाँ पंहुचकर कहा कि केंद्र में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार बनी तो उन्हें भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई. वो  पहाड़ों में बड़े बाँध का विरोध कर रही थी तो उनको हटाने दिया गया. ऊमा भारती कहती हैं कि बांध निर्माण करने वाली कंपनियों की लॉबी बहुत मज़बूत है. ऊमा भारती के इस बयान के बाद नया विवाद खडा हो गया. इसके बाद ऊमा भारती ने देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाक़ात की.

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