उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग यानी यूकेएसएसएससी के पूर्व अधिकारियों को शासन स्तर पर बैठे कुछ लोगों का संरक्षण मिल रहा है। यही वजह है कि यूकेएसएसएससी के पूर्व सचिव संतोष बडोनी और अन्य पांच अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस मुकदमा दर्ज नहीं करवा रही है । विजिलेंस ने अपने छानबीन के बाद मुकदमा दर्ज करने की फाइल शासन को भेजी थी जिसे शासन ने खारिज कर दिया।
लेकिन विजिलेंस अपनी कार्रवाई को लगातार आगे बढ़ा रही है। और एक बार फिर से वह शासन में अनुमति के लिए फाइल भेज रही है। शासन की तरफ से फाइल को खारिज किए जाने को लेकर टिप्पणी भी पता चली है। खबर है कि शासन ने फाइल को मंजूर नहीं करने के पीछे भी एक तर्क दिया है। 2016 में आयोग में भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी और आरएमएस टेक्नोसोल्यूशंस नाम की कंपनी ने भर्ती प्रक्रिया को करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
यूकेएसएसएससी के पूर्व सचिव संतोष बडोनी और अन्य पांच अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस मुकदमा दर्ज नहीं करवा रही है
आरएमएस टेक्नोसोल्यूशंस के कर्ताधर्ता तो जेल की सलाखों के पीछे हैं। लेकिन इस कंपनी को किसने काम दिया इसको लेकर ही मशक्कत हो रही है। विजिलेंस और एसटीएफ ने अपनी जांच में यह तो पता लगा ही लिया कि ना सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर गड़बड़ी हुई है । बल्कि आरएमएस टेक्नोसोल्यूशंस को काम देने के लिए वित्तीय गड़बड़ी भी की गई है। शासन की तरफ से कहा गया है कि 2016 में जब काम दिया गया था उसके बाद की सारी फाइलें उसके पास नहीं पहुंची है। इसलिए मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी फिलहाल नहीं दी जा सकती।