उत्तराखंड में अब गौ माता की सेवा के लिए सरकार को भी शराब का सहारा लेना पड़ा है। उत्तराखंड सरकार ने शराब पर सेस लगा दिया है। यह सेस की रकम से राज्य सरकार गौ संरक्षण के लिए काम करने की योजना बनाने जा रही है । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया।
कैबिनेट में हुआ फैसला
वित्तीय वर्ष 2022-23 की समाप्ति से पहले राज्य सरकार को कई नई नीतियां अगले वित्तीय वर्ष यानी 2023-24 के लिए बनानी थी. राज्य में आबकारी नीति पर सबकी नजरें काफी लंबे समय से टिकी हुई थी. सोमवार को सचिवालय में कैबिनेट बैठक पर सब लोग टकटकी लगाए देख रहे थे. कैबिनेट की बैठक संपन्न हुई और प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि राज्य सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी को मंजूरी दे दी है.
राज्य में शराब सस्ती करनी पड़ी सरकार को
इस एक्साइज पॉलिसी में राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण बदलाव किए, जिसकी जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी . राज्य सरकार ने सबसे पहले तो पड़ोसी राज्यों के मुकाबले राज्य में बिकने वाली शराब की कीमतें कम की. राज्य सरकार के अधिकारियों को इस बात का पहले से ही अंदाजा था कि उत्तराखंड में पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी होती है. इसका सबसे बड़ा कारण उत्तराखंड में शराब महंगी होना है .लेकिन पिछले कई वर्षों से राज्य में शराब की कीमतें बढ़ती चली गई .
इस साल 4 हजार करोड़ रुपए कमाई होगी शराब से
अब राज्य सरकार को लगा कि उनका लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है. इसके अतिरिक्त राजस्व में अपेक्षाकृत बढ़ोतरी नहीं हो रही है. इसलिए तस्करी रोके जाने और राज्य में राजस्व बढ़ाने के लिए उन्हें शराब की कीमतें कम करनी पड़ेगी. शराब की कीमतें पड़ोसी राज्यों के बराबर लेकर आने के लिए सहमति बनी और कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी. इस साल 4000 करोड़ रुपए का लक्ष्य शराब के कारोबार से रखा गया है .
गौ संरक्षण भी होगा शराब के कारोबार से
लेकिन इसके साथ-साथ कैबिनेट ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया .उत्तराखंड में गौ संरक्षण के नाम पर अब शराब की बिक्री पर सेस लगा दिया जाएगा. सेस एक ऐसा टैक्स है जो जिस वस्तु पर जिस कार्य के लिए लगाया जाता है उसे उसी मद में खर्च करना होता है. राज्य सरकार ने शराब की हर बोतल पर एक रुपए का सेस गौ संरक्षण के लिए लगाया है. यानी अगर गौ संरक्षण करना है तो उसके लिए राज्य सरकार शराब की बिक्री से ही पैसा जुटाएगी.