सरकार (Uttarakhand Government) की कार्यशैली में विरोधाभास साफ-साफ नजर आता है .एक तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) भ्रष्टाचार पर पड़ी कार्रवाई की बात करते हुए नजर आते हैं. विजिलेंस (Vigilance ) को सक्रिय करते हुए रिश्वतखोर को जेल की सलाखों के भीतर डाल रहे हैं. वही Uttarakhand के एक विभाग में भर्ती घोटाला (Recruitment Scam) हुआ और भर्ती घोटाले की जांच पूरी नहीं हो रही है. एक जांच पूरी करने के बाद दूसरी जांच बैठाई जा रही है, और दूसरी पूरी होने के बाद तीसरी जांच को बिठाया जा रहा है ।क्या सहकारिता विभाग में भ्रष्टाचार को बचाने की कोशिश हो रही है?
वास्तव में 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड के देहरादून ,उधम सिंह नगर और पिथौरागढ़ जिला सहकारी बैंकों में 223 पदों पर भर्तियां की गई थी । इन भर्तियों पर कई तरीके के सवाल खड़े हो गए थे। इसके बाद बीजेपी के वापस सत्ता में आने के बाद इस पूरे प्रकरण की जांच की गई। प्राथमिक जांच में बैंक के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों, बोर्ड के सदस्यों और राजनीतिक दलों की तरफ गड़बड़ झाला करने का इशारा किया गया।
इसके बाद एक जांच समिति बनाई गई। उसने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी। लेकिन शासन ने जांच रिपोर्ट की जांच करने के लिए भी एक नई कमेटी बना दी है। इसके बाद ही सवाल खड़े हो गए कि क्या सरकार वास्तव में कोई बात छुपाना चाहती है या किसी को बचाने की कोशिश कर रही है ?
आपको बता दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर काफी सख्त रवैया अपनाया है। इस साल एक दर्जन से ज्यादा रिश्वतखोरों को विजिलेंस ने पड़कर जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया है। इसके अलावा 13 मामलों में एफआईआर दर्ज हो गई है। और लगभग 20 अधिकारी विजिलेंस के रडार पर हैं जो जांच का अप्रत्यक्ष रूप से सामना कर रहे हैं। ऐसे में जब सहकारिता विभाग में भर्ती घोटाले की जांच पर जांच के आदेश होते हैं तो विभाग की मंशा पर संशय जरूर होता है।