उत्तराखंड में एक बार फिर से बिजली की कीमतें बढ़ने जा रही हैं। निगम ने अपने अपने प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को प्रस्तुत कर दिए हैं। खबर है कि 12 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी बिजली दरों में में हो सकती है। वह BPL उपभोक्ता हो या फैक्ट्री का मालिक. सभी पर भार पढ़ना निश्चित है. बिजली की कीमतों के अलावा सर चार्ज भी बढ़ाने की तैयारी हो सकती है।
चुनाव में किया था कांग्रेस, आप और ऊर्जा मंत्री ने फ्री बिजली का वादा
राज्य में हर साल दो बार बिजली की कीमतें बढ़ रही है। उत्तराखंड में बिजली की कीमत एक चुनावी वायदा जरुर था. आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड में चुनावी रैली में फ्री बिजली दिए जाने का वायदा किया था। इसके बाद कांग्रेस भी आम आदमी पार्टी की राह पर चल पड़ी थी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी कांग्रेस की सरकार आने पर राज्य के निवासियों को फ्री बिजली दिए जाने का लालच दिया था। इन दोनों नेताओं की घोषणा के बाद बीजेपी पर भी थोड़ा दबाव बढ़ा और हरक सिंह रावत ने भी राज्य के निवासियों को फ्री बिजली दिए जाने की घोषणा कर दी। उस समय हरक सिंह रावत, पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री थे।
CM धामी ने नहीं किया कोई वादा
लेकिन ना बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने और ना पुष्कर सिंह धामी ने फ्री बिजली दिए जाने का कोई ऐलान किया और ना ही हरक सिंह रावत की बात का समर्थन किया। इससे अंदाजा हो गया था कि बीजेपी फ्री बिजली दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं। अब जब एक बार फिर से बिजली की कीमतें बढ़ाने की तैयारी हो रही है तो सरकार निशाने पर जरूर आएगी विपक्ष के। लेकिन सरकार ने फ्री बिजली देने का कोई वादा नहीं किया था, यह बात कह कर वह अपना पल्ला झाड़ सकते हैं। वैसे उत्तराखंड में बिजली संकट के मद्देनजर राज्य सरकार अलर्ट मोड पर है। दूसरे राज्यों से या बाजार से महंगी दरों पर बिजली खरीदने भी पड़ सकती है। ऐसे में महंगी बिजली खरीदकर सस्ती दरों पर उपलब्ध कराना राज्य सरकार के बस की बात नहीं है। वह भी तब जब राज्य भयंकर घाटे में हो।