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टिहरी लोकसभा के कार्यों की समीक्षा: चुनाव की तैयारी तेज

विधायकगणों द्वारा अपने विधानसभा क्षेत्र की जो समस्याएं रखी जा रही हैं, उनका अधिकारी शीघ्रता से समाधान करें। अधिकारी यह भी सुनिश्चित करें कि सामान्य प्रक्रिया के तहत चलने वाले कार्यों में अनावश्यक विलंब न हो, उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में क्षेत्रों की छोटी समस्याएं न आयें, इनका निदान जिलाधिकारी जनपद स्तर पर यथाशीघ्र करें। विधायकगणों द्वारा अपनी विधानसभा क्षेत्रों के जो कार्य प्राथमिकता पर रखे गये हैं, उनमें अनावश्यक विलंब न हो। यह निर्देश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में टिहरी लोकसभा क्षेत्र की विधानसभाओं के गतिमान कार्यों एवं विकासपरक योजनाओं की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिये।

जन समस्याओं का शीघ्रता से हो समाधान।

योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर दिया जाए ध्यान- मुख्यमंत्री

विधानसभा क्षेत्रों के विकास कार्यों की होगी तीन माह में समीक्षा

समीक्षा करते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

विभागीय सचिव करें समय पर समीक्षा: सीएम धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा विधानसभाओं की समीक्षा बैठक के दौरान विभिन्न क्षेत्रों की जो भी समस्याएं आ रही हैं, उनके समाधान के लिए विभिन्न विभागों द्वारा क्या आवश्यक कार्यवाही की जा रही है, इसकी भी नियमित समीक्षा की जाए। जनसमस्याओं के त्वरित समाधान के लिए प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए। विभागीय सचिव विधानसभा क्षेत्रों की समस्याओं के निराकरण के लिए अपने विभागों की नियमित समीक्षा करें। जनपदों के प्रभावी सचिव भी नियमित रूप से जनपदों में विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करें।

समीक्षा में CM धमियके साथ विधायक और अधिकारीगण

हर तीन महीने में होनी चाहिए समीक्षा

उन्होंने कहा कि विधानसभाओं के विकास कार्यों की समीक्षाएं प्रत्येक तीन माह में की जायेंगी। अभी जो बैठक हो रही है, इनमें विधायकगणों द्वारा अपनी विधानसभा क्षेत्रों की जो समस्याएं रखी गई है, उनके समाधान के लिए किये गये प्रयासों की भी अगली बैठक में समीक्षा की जायेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड में बागवानी, कृषि, पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इन क्षेत्रों में लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए और तेजी से कार्य किये जाएं। स्थानीय स्तर पर लोगों को स्वरोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध होने से पलायन भी रूकेगा।

एप्पल और कीवी मिशन का काम हो तेज

एप्पल एवं कीवी मिशन के तहत भी तेजी से कार्य किये जाएं। किसानों को बागवानी और खेती के लिए उन्नत किस्म के बीज और पौध की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। राज्य की आर्थिकी को तेजी से बढ़ावा देने के लिए और प्रयासों की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये की आगामी ग्रीष्म काल के दृष्टिगत पेयजल आपूर्ति की समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। बैठक में विधाकगणों द्वारा सड़कों के निर्माण, स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर बनाने, बाढ़ सुरक्षा के कार्य, पेयजल की समस्या, कूड़ा निस्तारण की समस्या, ड्रेनेज एवं सीवरेज की समस्या से अवगत कराया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायकगणों द्वारा जो भी जन समस्याएं रखी गई हैं, उनका हर संभव समाधान किया जायेगा।

नारी शक्ति उत्सव के रूप में मनाया जायेगा चैत्र नवरात्रि का पर्व

पूरे प्रदेश में नारी शक्ति उत्सव के रूप में मनाए जाएंगे चैत्र नवरात्र.

नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र के दौरान प्रत्येक जिले में देवी उपासना के कार्यक्रम आयोजित होंगे.

संस्कृति विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को एक-एक लाख रुपये अवमुक्त किए.

22 मार्च से प्रारंभ हो रहे चैत्र नवरात्र को इस बार राज्य भर में नारी शक्ति उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इस दौरान प्रत्येक जिले में देवी उपासना के कार्यक्रम आयोजित होंगे। इस हेतु संस्कृति विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को एक-एक लाख रुपये अवमुक्त कर दिए हैं।संस्कृति विभाग के सचिव हरिचन्द्र सेमवाल ने बताया कि चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा की जाएगी।

देवी मंदिरों एवं शक्तिपीठों में धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

वैदिक तथा पुराणों में चैत्र नवरात्रि को विशेष महत्व दिया गया है। इसे आत्मशुद्धि तथा मुक्ति का आधार माना गया है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा का पूजन करने से नकरात्मक ऊर्जा खत्म होती है और चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अतः चैत्र नवरात्रों की उत्तराखण्ड राज्य में व्यापक धार्मिक महत्ता के दृष्टिगत इस दौरान प्रदेश में सभी प्रमुख देवी मंदिरों एवं शक्तिपीठों में धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन जाएगा।

महिलाओं और बालिकाओं की होगी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

चैत्र नवरात्रि की इन शुभ तिथियों में सरकार द्वारा विशेष अभियान चलाते हुए उपरोक्त उद्देश्यों एवं जनभावनाओं को संजोये रखने के दृष्टिगत प्रदेश के समस्त जनपदो के प्रमुख देवी मन्दिरों / शक्ति पीठों में मातृशक्ति के सामर्थ्य एवं शक्ति का प्रतीक नवरात्रों के अवसर पर 22 मार्च से 30 मार्च तक नवरात्रि नारी शक्ति उत्सव के रूप में मनाया जाएगा तथा इस अवसर पर दुर्गा सप्तमी / रामचरितमानस / देवी गायन / देवी जागरण आदि पाठ आयोजित कराये जाने का निर्णय लिया गया है। महिलाओं एवं बालिकाओं की इन कार्यक्रमों में विशेष रूप से सहभागिता की जाएगी।उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में आयोजित होने वाले इस उत्सव के आयोजन हेतु जिलाधिकारियों द्वारा जनपद / विकास खण्ड स्तर पर समिति का गठन किया जाएगा जिसमें सांस्कृतिक, धार्मिक एवं जनसहभागिता से जुड़े संगठनों एवं कार्यक्रम से आम जनमानस को जोड़ने हेतु जिला सूचना अधिकारी का सहयोग लिया जाएगा।

संस्कृति विभाग जारी कर चुका है बजट

उक्त समिति द्वारा यह निर्णय लिया जायेगा कि जनपद / विकास खण्ड स्तर पर किन देवी मन्दिरों / शक्ति पीठों में आयोजन किया जाये। प्रदेशभर में आयोजित होने वाले इन कार्यक्रमों के सफलतापूर्वक आयोजन हेतु संस्कृति विभाग, द्वारा प्रत्येक जिलाधिकारी को रू. 1.00 लाख की धनराशि प्रदान की जायेगी एवं अन्य व्यवस्थायें जिला प्रशासन द्वारा अपने स्तर से सुनिश्चित की जायेंगी।

उत्तराखंड कैबिनेट के फैसले

कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय। गौला, नंधौर और कोसी में ट्रांसपोर्टर की मांग पर बढ़ाए गए फिटनेस चार्जेस को अगले 1 साल के लिए स्थगित किया गया है। एक साल के बाद बढ़े हुए चार्जेज लगेंगे।इस संबध में पूर्व में मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदन दिए गए थे जिसे आज कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई।

नक्शा पास करवाना हुआ आसान

राज्य सरकार द्वारा सरलीकारण की दिशा में उठाए गए कदम के अंतर्गत आवास विभाग के तहत यदि किसी को अप्रूव्ड लेआउट एरिया में एकल घर बनाना हो तो वह सेल्फ सर्टिफिकेशन के आधार पर घर का नक्शा विकास प्राधिकरण में जमा कराएगा। 7 दिन में नक्शे में आपत्ति नहीं जताए जाने की स्थिति में नक्शे को पास माना जाएगा और वह अपना घर बनाना शुरु कर सकेगा।

नई आबकारी नीति मंजूर

आबकारी नीति 2023 – 24 के अंतर्गत प्रदेश में गोवंश संरक्षण, खेलकूद एवं महिला कल्याण के लिए एक एक रुपए प्रति बोतल *अतिरिक्त शुल्क* के रुप में लिए जाएंगे। इस प्रकार कुल एक बोतल पर ₹3 सेस लिया जाएगा।शराब में उत्तर प्रदेश से होने वाली तस्करी की रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की शराब की कीमतों के 150 से 200 रुपए के अंतर को कम कर ₹ 20 किया गया है। ताकि शराब तस्करी पर पाबंदी लगाई जा सके। एवं राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त हो सके।

शराब से 4 हजार करोड़ रुपए की कमाई होगी

वर्ष 2023- 24 के लिए आबकारी राजस्व लक्ष्य को 4000 करोड़ रखा गया है। पूर्व में आवंटित शराब की दुकानों में वर्ष 2023 – 24 हेतु विदेशी मदिरा में 10% तथा देशी मदिरा में 15% पूर्व में निर्धारित राजस्व के अतिरिक्त लिए जाने पर उनका नवीनीकरण किया जा सकेगा।

गौ सेवा के लिए शराब का सहारा

उत्तराखंड में अब गौ माता की सेवा के लिए सरकार को भी शराब का सहारा लेना पड़ा है। उत्तराखंड सरकार ने शराब पर सेस लगा दिया है। यह सेस की रकम से राज्य सरकार गौ संरक्षण के लिए काम करने की योजना बनाने जा रही है । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया।

कैबिनेट में हुआ फैसला

वित्तीय वर्ष 2022-23 की समाप्ति से पहले राज्य सरकार को कई नई नीतियां अगले वित्तीय वर्ष यानी 2023-24 के लिए बनानी थी. राज्य में आबकारी नीति पर सबकी नजरें काफी लंबे समय से टिकी हुई थी. सोमवार को सचिवालय में कैबिनेट बैठक पर सब लोग टकटकी लगाए देख रहे थे. कैबिनेट की बैठक संपन्न हुई और प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि राज्य सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी को मंजूरी दे दी है.

राज्य में शराब सस्ती करनी पड़ी सरकार को

इस एक्साइज पॉलिसी में राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण बदलाव किए, जिसकी जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी . राज्य सरकार ने सबसे पहले तो पड़ोसी राज्यों के मुकाबले राज्य में बिकने वाली शराब की कीमतें कम की. राज्य सरकार के अधिकारियों को इस बात का पहले से ही अंदाजा था कि उत्तराखंड में पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी होती है. इसका सबसे बड़ा कारण उत्तराखंड में शराब महंगी होना है .लेकिन पिछले कई वर्षों से राज्य में शराब की कीमतें बढ़ती चली गई .

इस साल 4 हजार करोड़ रुपए कमाई होगी शराब से

अब राज्य सरकार को लगा कि उनका लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है. इसके अतिरिक्त राजस्व में अपेक्षाकृत बढ़ोतरी नहीं हो रही है. इसलिए तस्करी रोके जाने और राज्य में राजस्व बढ़ाने के लिए उन्हें शराब की कीमतें कम करनी पड़ेगी. शराब की कीमतें पड़ोसी राज्यों के बराबर लेकर आने के लिए सहमति बनी और कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी. इस साल 4000 करोड़ रुपए का लक्ष्य शराब के कारोबार से रखा गया है .

गौ संरक्षण भी होगा शराब के कारोबार से

लेकिन इसके साथ-साथ कैबिनेट ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया .उत्तराखंड में गौ संरक्षण के नाम पर अब शराब की बिक्री पर सेस लगा दिया जाएगा. सेस एक ऐसा टैक्स है जो जिस वस्तु पर जिस कार्य के लिए लगाया जाता है उसे उसी मद में खर्च करना होता है. राज्य सरकार ने शराब की हर बोतल पर एक रुपए का सेस गौ संरक्षण के लिए लगाया है. यानी अगर गौ संरक्षण करना है तो उसके लिए राज्य सरकार शराब की बिक्री से ही पैसा जुटाएगी.

Uttarakhand में BJP ने फ्री बिजली क्यों नहीं दी राज्य के निवासियों को?

उत्तराखंड में एक बार फिर से बिजली की कीमतें बढ़ने जा रही हैं। निगम ने अपने अपने प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को प्रस्तुत कर दिए हैं। खबर है कि 12 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी बिजली दरों में में हो सकती है। वह BPL उपभोक्ता हो या फैक्ट्री का मालिक. सभी पर भार पढ़ना निश्चित है. बिजली की कीमतों के अलावा सर चार्ज भी बढ़ाने की तैयारी हो सकती है।

चुनाव में किया था कांग्रेस, आप और ऊर्जा मंत्री ने फ्री बिजली का वादा

राज्य में हर साल दो बार बिजली की कीमतें बढ़ रही है। उत्तराखंड में बिजली की कीमत एक चुनावी वायदा जरुर था. आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड में चुनावी रैली में फ्री बिजली दिए जाने का वायदा किया था। इसके बाद कांग्रेस भी आम आदमी पार्टी की राह पर चल पड़ी थी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी कांग्रेस की सरकार आने पर राज्य के निवासियों को फ्री बिजली दिए जाने का लालच दिया था। इन दोनों नेताओं की घोषणा के बाद बीजेपी पर भी थोड़ा दबाव बढ़ा और हरक सिंह रावत ने भी राज्य के निवासियों को फ्री बिजली दिए जाने की घोषणा कर दी। उस समय हरक सिंह रावत, पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री थे।

CM धामी ने नहीं किया कोई वादा

लेकिन ना बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने और ना पुष्कर सिंह धामी ने फ्री बिजली दिए जाने का कोई ऐलान किया और ना ही हरक सिंह रावत की बात का समर्थन किया। इससे अंदाजा हो गया था कि बीजेपी फ्री बिजली दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं। अब जब एक बार फिर से बिजली की कीमतें बढ़ाने की तैयारी हो रही है तो सरकार निशाने पर जरूर आएगी विपक्ष के। लेकिन सरकार ने फ्री बिजली देने का कोई वादा नहीं किया था, यह बात कह कर वह अपना पल्ला झाड़ सकते हैं। वैसे उत्तराखंड में बिजली संकट के मद्देनजर राज्य सरकार अलर्ट मोड पर है। दूसरे राज्यों से या बाजार से महंगी दरों पर बिजली खरीदने भी पड़ सकती है। ऐसे में महंगी बिजली खरीदकर सस्ती दरों पर उपलब्ध कराना राज्य सरकार के बस की बात नहीं है। वह भी तब जब राज्य भयंकर घाटे में हो।

मुख्यमंत्री ने की रामनगर में आयोजित होने वाली जी20 बैठक की समीक्षा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में जी 20 बैठक की आयोजन व्यवस्थाओं की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने इस माह के अंत में रामनगर में होने वाली जी 20 की पहली बैठक की सभी आवश्यक व्यवस्थायें समय पर पूर्ण करने के निर्देश दिये। आयोजन की व्यवस्थाओं में किसी प्रकार की भी कोई कमी न रहे यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।

बैठक में मुख्य सचिव डॉ. एस.एस सन्धु एवं शासन के उच्चाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुक्त कुमाऊँ तथा जिला अधिकारी ऊधमसिंह नगर व नैनीताल भी बैठक से जुड़े रहे।

उत्तराखण्ड की विश्व स्तर पर पहचान बनाने का अवसर है जी 20 बैठक

मुख्यमंत्री ने कहा कि जी 20 की राज्य में आयोजित होने वाली बैठकों से विश्व स्तर पर उत्तराखण्ड की पहचान बनने का अच्छा अवसर है। उन्होंने सम्बन्धित अधिकारियों को इस आयोजन की व्यवस्थाओं की समय से सभी आवश्यक व्यवस्थायें सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर्यटन एवं जैव विविधता से पूरे विश्व को परिचित कराने का भी यह अवसर है इसके लिये सभी स्तरों पर बेहतर व्यवस्थायें सुनिश्चित की जाये। जिलाधिकारी उधमसिंह नगर एवं नैनीताल को उन्होंने निर्देश दिये कि पंतनगर से रामनगर तक के सड़क मार्ग को सुव्यवस्थित किया जाय। सड़कों की मरम्मत के साथ मार्ग के आस पास के क्षेत्रों में सफाई, सुरक्षा एवं सौन्दर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाये।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का भी यह अच्छा अवसर है। यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि जिन उत्पादों को हम व्यापक स्तर पर वैश्विक पहचान दिला सकते हैं, उनकी विशिष्टता की पहचान कर ली जाए।

सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों के सुझाव भी लिए जाएं:CM धामी

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि जी-20 की बैठकों में आयोजन स्थल पर उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों पर आधारित स्टॉल लगाये जाएं। उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाएं। आयोजन स्थल पर योग एवं पंचकर्म की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में होने वाले जी-20 की बैठक के बेहतर आयोजन के लिए राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के सुझाव भी लिया जाये। इस संबंध में व्यापक जन जागरूकता के प्रचार पर भी उन्होंने बल दिया।

मांगल गीतों के बीच मुख्यमंत्री ने लिया पहाड़ी व्यंजनों का आनंद

गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान आज कृषि विभाग की ओर से भराड़ीसैंण में श्री अन्न (मिलेट) भोज का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस दौरान मांगल गीत के बीच पहाड़ी व्यंजनों का आनंद लिया।कृषि विभाग की ओर से आयोजित मिलेट भोज में तमाम पहाड़ी व्यंजन परोसे गए जिनमें कोदे की रोटी, अरसा, झंगोरे की खीर, गैत का फानू, लाल चावल, आलू के गुटके बनाए गए थे। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी, वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, कृषि मंत्री गणेश जोशी ने एक ही टेबल पर इन तमाम व्यंजनों का आनंद लिया। विधायकगण, अधिकारी, कर्मचारियों, मीडिया सहित बडी संख्या में लोग श्री अन्न भोज में शामिल हुए।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बच्चों संग भराड़ीसैंण में मनाया लोकपर्व फूलदेई

उत्तराखण्ड के लोक पर्व फूलदेई के अवसर पर गुरूवार को भराड़ीसैंण स्थित मुख्यमंत्री आवास में क्षेत्र के बच्चों ने पारम्परिक मांगल गीतों के साथ रंग-बिरंगे प्राकृतिक पुष्पों की वर्षा की। मुख्यमंत्री ने सभी को इस पावन पर्व की शुभकामना देते हुए कहा कि किसी भी राज्य की संस्कृति एवं परंपराओं की पहचान में लोक पर्वों की अहम भूमिका होती है। हमें अपने लोक पर्वों एवं लोक परम्पराओं को आगे बढ़ाने की दिशा में लागातार प्रयास करने होंगे

बच्चों को अपनी लोकसंस्कृति पता होनी चाहिए:CM धामी

मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को अपनी लोक संस्कृति और लोक पंरपराओं से जोड़े रखने के लिए लोक पर्व फूलदेई को आने वाले समय में संस्थागत तरीके से बाल पर्व के रूप में वृहद स्तर पर प्रति वर्ष मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में मनाया जाने वाला लोकपर्व ‘फुलदेई’ हमारी संस्कृति को उजागर करता है साथ ही यह पर्व पहाड़ की परंपराओं को भी कायम रखे हुए है।

उत्तराखंड में मनाया जाता रहा है लोकपर्व

‘‘फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार भर भकार। यानी यह देहरी फूलों से सजी रहे। घर खुशियों से भरा हो। सबकी रक्षा हो। अन्न के भंडार सदैव भरे रहे। उत्तराखंड में इसे फूल संक्रांति के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन घरों की देहरी को फूलों से सजाया जाता है। घर-मंदिर की चौखट का तिलक करते हुए ’फूलदेई छम्मा देई’ कहकर मंगलकामना की जाती है।’’

Uttarakhand.CM पुष्कर सिंह धामी कितनी राहत दे पाएंगे राज्य आंदोलनकारियों को?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य के आंदोलनकारियों को सीधा नौकरियों में आरक्षण का लाभ दिलाए जाने की तैयारी कर रहे हैं । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल के बाद ही कैबिनेट की उप समिति का गठन किया गया था। जिसने राज्य आंदोलनकारियों को फिर से 10% क्षैतिज आरक्षण दिलाए जाने की सिफारिश सरकार से की थी । इस कैबिनेट की उपसमिति के अध्यक्ष सुबोध उनियाल थे ।

उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों को 2005 से सरकारी सेवाओं में सीधा 10% क्षैतिज आरक्षण मिलता रहा था। लेकिन 2014-15 में नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल किए जाने के बाद कोर्ट ने इस शासनादेश को निरस्त कर दिया था।

इसके बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट में लाए जाने की तैयारी हो रही थी । लेकिन पिछली दो तीन कैबिनेट में इस प्रस्ताव को अधिकारी शामिल नहीं कर पाए थे । इसको लेकर कैबिनेट मंत्रियों और मुख्यमंत्री ने भी अपनी नाराजगी जताई थी ।लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में गैरसैंण में कैबिनेट बैठक हुई। वहां पर राज्य आंदोलनकारियों को सीधा 10% आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अब संशोधित विधेयक एक बार फिर से विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। वहां से पारित कराकर इसे राजभवन की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा ।अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण का लाभ कब तक दिला पाते हैं।

एनडी तिवारी सरकार ने दिया था राज्य आंदोलनकारियों को लाभ

उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने राज्य आंदोलनकारियों को 10% लाभ दिलाए जाने की कोशिश की थी। लेकिन 10 साल बाद इस लाभ को नैनीताल हाईकोर्ट ने खत्म कर दिया था।हरीश रावत की सरकार ने इसके बाद एक प्रस्ताव विधानसभा से पारित कराकर राजभवन भेजा था। लेकिन राजभवन ने इसे मंजूरी नहीं दी।

उपसमिति की रिपोर्ट के बाद धामी कैबिनेट ने लिया फैसला

इसके बाद पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने सबसे पहले तो राज भवन में भेजे गए विधेयक को वापस मंगवाया। उसके बाद उसमें क्या-क्या जरूरी संशोधन किए जाने हैं इसको लेकर कैबिनेट की उप समिति बनाई गई । उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया। कमेटी ने अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी थी । इसमें कहा गया था कि तमाम आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी सेवाओं में 10% क्षैतिज आरक्षण दिया जाना चाहिए

Uttarakhand. गैरसैंण विधानसभा सत्र.खजाने पर बोझ, विधायकों की मौज.

उत्तराखंड में पहले जहां विधायक निधि 3.75 करोड़ रुपए सालाना हर विधायक को मिला करती थी वह अब बढ़कर 5 करोड़ रुपए हो गई है।

गैरसैंण में राज्यपाल ले0 ज0 गुरमीत सिंह का स्वागत करते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

उत्तराखंड में विधायकों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक तोहफा दिया है । गैरसैंण विधानसभा सत्र के पहले ही दिन हुई कैबिनेट बैठक में विधायकों को मिलने वाली विधायक निधि की राशि बढ़ा दी गई है । अब हर विधायक को हर साल 5 करोड़ रुपए विधायक निधि मिलेगी । इस विधायक निधि का इस्तेमाल वह अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों को गति देने के लिए कर सकेंगे। अभी तक उत्तराखंड में एक विधायक को हर साल तीन करोड़ 75 लाख रुपए विधायक निधि के रूप में मिलते थे.

बीजेपी के विधायक और मंत्री कर रहे थे विधायक निधि बढ़ाने की मांग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ऊपर पिछले कुछ महीनों से राज्य के कई मंत्री और बीजेपी के विधायक , विधायक निधि बढ़ाए जाने की मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री धामी ने भी विधायकों को आश्वासन दिया था कि बजट सत्र में उनकी मांग को पूरा कर दिया जाएगा। लेकिन उनकी मांग से ज्यादा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज उन्हें तोहफा दे दिया है। उत्तराखंड में विधायक निधि एक बड़ा मसला रहता है। पहाड़ी क्षेत्र के विधायकों की मांग हमेशा रही है कि उन्हें अपने क्षेत्र के विकास के लिए ज्यादा विधायक निधि की आवश्यकता होती है। यह सोच कर ही मुख्यमंत्री ने विधायक निधि सीधा 5 करोड़ रुपए हर साल हर विधायक के लिए कर दी, जबकि प्रस्ताव 4.25 करोड़ रुपए हर साल दिए जाने का था।

विधायक निधि खर्च करने को लेकर लगते रहे हैं आरोप

हालांकि कई बार विधायकों पर आरोप लगते हैं कि वह अपनी विधायक निधि समय पर खर्च नहीं कर पाते। एक रिसर्च के मुताबिक उत्तराखंड में कई विधायक अपनी विधायक निधि का 60% भी खर्च नहीं कर पाए । 2017 से 2022 तक के कालखंड में विधायक निधि का कुल 25% धनराशि खर्च ही नहीं हो पाई। लेकिन बावजूद इसके विधायकों की मांग विधायक निधि बढ़ाए जाने की लगातार बनी रही, जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरा कर दिया।

कई राज्यों के बराबर हुई उत्तराखंड के विधायकों की

वैसे उत्तराखंड में अब विधायक निधि राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बराबर हो गई है। राजस्थान में पहले जहां सवा दो करोड़ रुपए हर साल हर विधायक को विधायक निधि मिला करती थी तो उत्तर प्रदेश में 2019 तक यह राशि सिर्फ तीन करोड़ सालाना ही थी। इन दोनों राज्यों ने भी अपने यहां विधायक निधि 5 करोड़ रुपए कर दी। मध्य प्रदेश में अभी विधायक निधि दो करोड़ रुपए सालाना से कम है, जबकि दिल्ली में विधायक निधि 4 करोड़ रुपए रुपए सालाना पहुंच चुकी है। उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी विधायक निधि अभी दो करोड़ रुपए ही है। अब देखना यह है कि इस विधायक निधि के बढ़ने का कितना फायदा उत्तराखंड के विकास में दिखाई देगा । लेकिन एक बात तो तय है कि इस विधायक निधि के बढ़ने से सरकारी खजाने पर बोझ तो बढ़ ही गया है, लेकिन विधायक मौज में आ गए हैं।