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Joshimath-संकट के कुछ कारण पता चले.

जोशीमठ नगर के भवनों में दरारआने के मामले में राज्य सरकार ने विशेषज्ञों की कमेटी बनाई जो लगातार सर्कार को अपनी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं. इस कमेटी में उत्तराखंड आपदा प्रबंधन  विभाग, देहरादून, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिजास्टर मैनेजमेंट , नई दिल्ली,  सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBR) रुड़कीआईआईटी रुड़की, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कोलकाता, एन आर एस सी – इसरो, हैदराबाद , सी जी डब्लू बी, नई दिल्ली, सर्वे ऑफ़ इण्डिया, देहरादून , आई आई आर एस, देहरादून, एन जी आर आई, हैदराबाद, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, और वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के अतिरिक्त अन्य कई संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं ।

तमाम कमेटियों ने अपनी अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में जोशीमठ के भवनों में दरार आने के कारण खोजे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र के उच्च हिमालय में तीव्र ढलान वाली खुली चट्टाने है। जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में ढीली मिट्टी है। 2021 में जोशीमठ में 190 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी। इसके बाद ही भवनों में दरार की समस्या और ज्यादा गहरा गई है।

जोशीमठ के जिस हिस्से में समस्या ज्यादा आई है वो सिंहद्वार से मनोहर बाग़ (जे पी कॉलोनी ) तक का सीधा हिस्सा है. 300 मीटर चौड़े और 700 मीटर लम्बे हिस्से में दरारें पड़ने के खास कारण सामने आये हैं. इसी क्षेत्र में एक फाल्ट लाइन है. इसे सामान्य शब्दों में कहा जाए तो पहाड़ के बीच एक दरार है. यहीं ढीली मिटटी के ऊपर बने भवन नीचे की तरफ धंस रहे हैं. जहाँ ज्यादा भार पड़ रहा है वहां समस्या ज्यादा दिखाई दी.

जोशीमठ के पास बद्रीनाथ धाम औली, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी माणा, और पांडुकेश्वर जैसे धार्मिक एवं पर्यटक स्थल है। इन सभी का दबाव जोशीमठ पर पड़ता है. यहां भौगोलिक खतरों को नजरअंदाज करके अनियोजित विकास हुआ है।

भविष्य की योजना है रोपवे

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सड़क और रेल मार्ग के बाद अब उत्तराखंड भविष्य की योजनाओं पर काम कर रहा है । भविष्य की योजना है रोपवे . रोपवे यानी आधुनिक तकनीक , जिसके जरिए यात्री आसानी से सफर कर सकेंगे। केंद्र मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का उत्तराखंड के प्रति हमेशा से ही विशेष लगाव रहा है। इसलिए राज्य को वर्तमान केंद्र सरकार से हमेशा ही सहायता मिलती रही है। पहले जहां ऑल वेदर रोड की सौगात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से मिली तो उसके बाद ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन की शुरुआत हुई । इनका उद्देश्य चार धाम यात्रा को सुगम बनाना तो है ही साथ-साथ उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों और सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास प्राथमिकता में है। लेकिन एक बड़ी चुनौती बची हुई थी जिसका समाधान किया जाना था। पहाड़ियों पर बसे देवों के स्थान पर पहुंचने व्यवस्था को सुगम किया जाना था। चाहे वह बाबा केदारनाथ का धाम हो और चाहे हेमकुंड साहिब की यात्रा। जो यात्री यहां पैदल पहुंचते हैं उन्हें 6 से 7 घंटे का कठिन सफर तय करना होता है । कुछ यात्री यहां घोड़े खच्चर की मदद से भी पहुंचते हैं। इसमें भी अच्छा खासा पैसा और समय लगता है । कई यात्री हेलीकॉप्टर की सहायता से बाबा केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन लाखों ऐसे तीर्थयात्री हैं जिन्हें हेलीकॉप्टर की यात्रा करने का मौका किसी न किसी कारण से नहीं मिलता । इस बात को राज्य सरकार लगातार महसूस करती रही। केंद्र के साथ भी कई दौर की बातचीत हुई ।लेकिन जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड में सरकार बनी तो एक नई पहल की शुरुआत हुई । अब राज्य में 2 नए रोपवे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। केदारनाथ धाम तक रोपवे बनाने में 1267 करोड़ों रुपए का निवेश किया जाना है इस रोड पर की कुल लंबाई लगभग 10 किलोमीटर होगी और यात्रियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि यह सफर सिर्फ 25 से 30 मिनट में ही पूरा हो जाएगा । हर घंटे लगभग 3600 यात्री आवागमन कर सकेंगे। केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा गौरीकुंड से शुरू होती है ।16 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा काफी कठिन मानी जाती है। लेकिन जब रोपवे प्रोजेक्ट बन कर तैयार हो जाएगा तो गौरीकुंड ,चिड़वासा , लिंचोली और केदारनाथ धाम चार प्रमुख स्टेशन होंगे।सिर्फ केदारनाथ धाम ही नहीं है जहां पर रोपवे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है । करीब 1163 करोड़ रुपए के निवेश वाली एक अन्य योजना पर भी काम शुरू हो चुका है । लगभग साढ़े बारह किलोमीटर लंबाई वाले गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब के लिए भी रोपवे बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि जब यह प्रोजेक्ट बनकर तैयार होगा तो यह सफर सिर्फ 45 मिनट में पूरा हो सकेगा । इस प्रोजेक्ट के बनने का फायदा सिर्फ हेमकुंड के दर्शन करने वाले तीर्थ यात्रियों को ही नहीं होगा बल्कि जो पर्यटक फूलों की घाटी की सैर करना चाहते हैं उन्हें भी काफी आसानी होगी। इस मार्ग में गोविंदघाट , पुलना , भ्यूंडार, घांघरिया और हेमकुंड प्रमुख स्टेशन होंगे। अभी गोविंदघाट से हेमकुंड जाने में करीब डेढ़ दिन का समय लग जाता है । ऐसा आकलन किया गया है कि प्रोजेक्ट कंप्लीट होने के बाद हर घंटे दो हजार से ज्यादा यात्री एवं पर्यटक आवागमन कर सकेंगे। सड़क मार्ग और रेल नेटवर्क के विकास के बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का फोकस रोपवे प्रोजेक्ट पर है। वैसे एक रोपवे में बनकर तैयार हुआ वह है कद्दूखाल से सुरकंडा तक। जब से यह प्रोजेक्ट बनकर तैयार हुआ है तब से यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में 32% का इजाफा दर्ज किया जा चुका है।इन प्रोजेक्ट के अलावा भी कई दूसरे प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है। इसमें रानी बाग से नैनीताल , पंचकोटी से नई टिहरी, खलिया टॉप से मुनस्यारी , ऋषिकेश से नीलकंठ और औली से गौरसौं रोप वे परियोजनाओं की प्रक्रिया भी अभी चल रही है। जानकारों का मानना है कि दुर्गम पहाड़ियों पर बसे देव स्थानों तक अगर रोपवे की सुविधा स्थापित हो जाएगी तो वर्तमान समय के मुकाबले कई गुना ज्यादा पर्यटक और तीर्थयात्री यहां पहुंच सकते हैं। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पूरे राज्य की जीडीपी पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।

पहाड़ों के लिए बनेगा मास्टर प्लान.

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पुष्कर सिंह धामी की सरकार अब राज्य के साथ पहाड़ी शहरों के लिए मास्टर प्लान फिर से बनाने पर विचार कर रही है। जोशीमठ आपदा के बाद जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के फिर से बहाल करने पर अब चर्चा होने लगी है । इसके लिए बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। राज्य सरकार की कोशिश यह है कि पहाड़ों में अनियोजित विकास ना हो। अनियोजित विकास ही जोशीमठ आपदा का प्रमुख कारण माना जा रहा है ।अभी तक पहाड़ों में नियमों के हिसाब से किसी भी भवन की अधिकतम ऊंचाई 12 मीटर तक ही हो सकती है। लेकिन बहुत सारे ऐसे स्थान हैं जहां पर इस नियम का उल्लंघन होता हुआ स्पष्ट रूप से नजर आता है । इसे ही नियमित करने की आवश्यकता है और साथ-साथ पहाड़ों में बड़े भवन रोकने के लिए सख्ती किए जाने की भी अब जरूरत महसूस की जा रही है। पहले चरण में मास्टर प्लान की शुरुआत चमोली जिले से ही किए जाने की संभावना है ज्यादा है । आवास विभाग की समीक्षा के दौरान पहाड़ी शहरों और गांवों मैं भवन निर्माण के लिए नए नियम कायदे तैयार करने के लिए गंभीरता के साथ चर्चा हुई है। प्राथमिकता के तौर पर इस काम को आगे बढ़ाने के लिए कोशिशें शुरू हो गई हैं । वैसे पूरे उत्तराखंड में 63 ऐसे छोटे बड़े पहाड़ी कस्बों की पहचान कर ली गई है जहां के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जाना है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी भवन की अधिकतम ऊंचाई क्या होगी इस पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाना है। वैसे 2016 से पहले भवन निर्माण की नक्शे पास करने की अनिवार्यता सिर्फ देहरादून हरिद्वार और नैनीताल जिले तक ही सीमित थी। इसके अलावा 19 नोटिफाइड टाउन में भी यह व्यवस्था की गई थी। लेकिन 2017 में राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों को विकास प्राधिकरणों के दायरे में लाने की कोशिश की थी । इस योजना का जबरदस्त तरीके से पूरे पहाड़ भर में विरोध होने लगा था और 2021 में राज्य सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा। इसके बाद ज्यादातर पहाड़ी शहरों में किसी भी भवन के निर्माण के लिए नक्शा पास कराने की आवश्यकता किसी भी भवन स्वामी को नहीं थी। इसलिए कोई भी मानक पहाड़ी क्षेत्रों में लागू नहीं हो रहे हैं। लेकिन अब जरूरत महसूस होने लगी है। इस बीच राज्य सरकार ने प्रभावितों के लिए एक राहत पैकेज देने की तैयारी की है जोशीमठ के सभी 4000 घरों का आकलन किया जा रहा है। भू धंसाव के प्रभावितों पर तत्कालिक राहत देने के लिए राज्य सरकार लगभग 2000 करोड रुपए का राहत पैकेज केंद्र सरकार को भेज सकती है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी काम कर रही है जो सारे प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान का आकलन कर रही है।सीबीआरआई यानी सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम लगातार भवनों का सर्वे करके अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है। राज्य सरकार ने जोशीमठ के स्थाई विस्थापन के लिए भी जमीन की तलाश शुरू की है। ज्यादा संभावना जोशीमठ से कुछ दूर पीपलकोटी क्षेत्र में प्रभावित परिवारों को बसाई जाने की है। जीएसआई यानी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से सर्वेक्षण का काम लगभग पूरा कर लिया है।जोशीमठ से 36 किलोमीटर दूर पीपलकोटी इसके लिए अंतिम रूप से चयन किया जा सकता है। यहां पर 2 हेक्टेयर की भूमि चिह्नित कर ली गई है जो प्रभावित परिवारों को दी जा सकती है। सीबीआरआई इस पूरी भूमिका पर नए भवन को बनाए जाने के लिए तैयारी कर रही है। यहां लगभग डेढ़ सौ परिवारों को बचाया जा सकता है। यहां जोशीमठ के प्रभावित लोगों को पक्के मकान बनाकर दिए जा सकते हैं। कुछ परिवारों को राज्य सरकार सीधा मुआवजा भी दे सकती है जो खुद का घर बनाना चाहते हैं वह खुद का घर बना सकते हैं।

उत्तराखंड में थमेगा भ्रष्टाचार?

मुख्यमंत्री ने शासकीय कार्य प्रणाली को पूर्णतः भ्रष्टाचार मुक्त करने के दिये हैं निर्देश।

सरलीकरण, समाधान, निस्तारण एवं संतुष्टि के मूल मंत्र को कार्य व्यवहार में लाये जाने पर दिया जाए ध्यान।भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिये टोल फ्री नंबर 1064 को बनाया जाए और अधिक उपयोगी।

भ्रष्टाचार को मिटाने में जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्धजनों एवं आम नागरिकों को भी बनाया जाए सहयोगी।

मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिये सतर्कता इकाइयों के प्रयासों को सराहा


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में शासकीय कार्य प्रणाली के साथ ही विभिन्न स्तरों पर होने वाले भ्रष्टाचार एवं गलत कार्यों पर प्रभावी नियंत्रण के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड भ्रष्टाचार एवं अपराध मुक्त हो यह हम सबका नैतिक दायित्व भी है। उन्होंने कहा कि आम जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान एवं योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में सरलीकरण, समाधान, निस्तारण एवं संतुष्टि के मूल मंत्र को हमें आत्मसात करना होगा। यह हमारे कार्य व्यवहार का हिस्सा बनेगा तो भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की राह भी प्रशस्त होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिये टोल फ्री नम्बर 1064 को आम जनता के हित में और अधिक उपयोगी बनाया जाना चाहिये। उन्होंने भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने में जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्धजनों एवं आम नागरिकों को भी सहयोगी बनाये जाने पर बल दिया है।

मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार को रोकने तथा घूसखोरी जैसे कृत्यों की रोकथाम में राज्य सतर्कता इकाइयों द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल की शिकायतों की जांच आदि में भी सतर्कता इकाई द्वारा प्रभावी प्रयास किये गये हैं। अधीनस्थ चयन सेवा आयोग एवं लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में हुई नकल की शिकायतों की त्वरित जांच कर 55 लोगों को जेल में भेजा जा चुका हैं इसके अतिरिक्त सतर्कता इकाई देहरादून एवं हल्द्वानी द्वारा गत वर्ष 14 कार्मिकों को कदाचार के मामले में रंगे हाथों पकड़कर गिरफ्तार किया गया। जबकि आय से अधिक मामलों तथा निर्माण कार्यों में बरती गई अनियमिताओं की भी तत्परता से जांच कर दोषियों को सजा दिलाने का कार्य किया है।

इनमें कमलेश्वर प्रसाद थपलियाल, समीक्षा अधिकारी, सिचाई विभाग, सचिवालय देहरादून को शिकायतकर्ता से 75000,  राजकुमार राजस्व निरीक्षक, तहसील रूड़की, क्षेत्र झबरेड़ा, जनपद हरिद्वार को शिकायतकर्ता से 15,000, संदीप कुमार शर्मा उपखण्ड अधिकारी (एस०डी०ओ० ) विद्युत वितरण उपखण्ड, जगजीतपुर कनखल, जनपद हरिद्वार को शिकायतकर्ता से 20,000, नरेश कुमार सैनी, राजस्व उपनिरीक्षक, तहसील हरिद्वार को शिकायतकर्ता से 4,000,  मोतीलाल राजस्व निरीक्षक (कानूनगो) तहसील डोईवाला, जनपद देहरादून को शिकायकर्ता से 10,000, राजेश कुमार हाल रजिस्ट्रार कानूनगो तहसील ज्वालापुर जनपद हरिद्वार को शिकायतकर्ता से 2800, शिवमूर्ती सिंह मण्डी निरीक्षक, कृषि उत्पादन मण्डी समिति, रूड़की को शिकायतकर्ता रू0 30,000 उत्कोच ग्रहण करते हुए सतर्कता टीम द्वारा रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया।

इसके साथ ही गदरपुर जनपद ऊधमसिंहनगर में विद्युत विभाग के संविदा लाइनमैन लालदेव को रू0 8.000, नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी जनपद ऊधमसिंहनगर के प्रवर सहायक देवनाथ मिश्रा को रू0 26,000, सहायक प्रभागीय वनाधिकारी तराई पश्चिम वन प्रभाग रामनगर जनपद नैनीताल के व्यैक्तिक सहायक दिनेश कुमार को रू0 12,000, तहसील सितारगंज जनपद ऊधमसिंहनगर के सर्वे कानूनगो बंदोबस्ती अशरफ अली को रू0 9,000, तहसील हल्द्वानी जनपद नैनीताल के रजिस्टार कानूनगो बनवारी लाल को रू0 10,000, चकबन्दी अधिकारी के पेशकार आनन्द चन्द को रू० 3,000, तहसील सल्ट जनपद अल्मोड़ा के रजिस्टार कानूनगो अब्दुल हबीब खान को रू0 10,000 की रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।

जबकि सतर्कता सैक्टर देहरादून द्वारा डॉ० राम विलास यादव (आई०ए०एस०) के द्वारा आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने विषयक प्रकरण में विवेचना पूर्ण कर आरोप पत्र मा० न्यायालय प्रेषित किया गया तथा अभियुक्त डॉ० रामविलास यादव (आई०ए०एस०) को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार देहरादून भेजा गया।

आनन्द कुमार जायसवाल तत्कालीन ए०आर०टी०ओ० ऋषिकेश के विरुद्ध विवेचना पूर्ण कर आरोप पत्र मा० न्यायालय में  प्रेषित किया गया तथा अभियुक्त को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार देहरादून भेजा गया। वर्ष 2022 में विशेष न्यायालय सतर्कता देहरादून द्वारा 01 अभियुक्त को दोषी पाते हुये 5-5 वर्ष की सश्रम कारावास व अर्थदण्ड की सजा सुनाई गयी।

सतर्कता इकाई द्वारा कार्बेट नेशनल पार्क के अन्तर्गत कन्डी रोड निर्माण, मोरघट्टी तथा पाखरो वन विश्राम गृह परिसर में भवनों व जलाशय के निर्माण में हुई अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के आरोपों पर खुली जांच से आरोप सही पाये जाने के फलस्वरूप तत्कालीन रेन्जर बृज बिहारी शर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इसी अभियोग में तत्कालीन वन संरक्षक किशन चंद को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।

वर्ष 2015 उप निरीक्षक सीधी भर्ती में हुये घोटाले में खुली जांच से आरोप सही पाये जाने के फलस्वरूप उत्तराखण्ड शासन के आदेश पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत नरेन्द्र सिंह जादौन पर अभियोग पंजीकृत किया गया है, जिसकी विवेचना प्रचलित है ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जीरो टॉलरेंस आन करप्शन की नीति का अनुसरण कर नकल माफियाओं के विरुद्ध कठोर कार्यवाही का निर्णय लिया है। राज्य कैबिनेट द्वारा प्रदेश में भर्तियों में भ्रष्टाचार रोकने के लिये सख्त नकल विरोधी कानून बनाये जाने का निर्णय लिया गया है। इस कानून को इतना सख्त बनाया जायेगा कि भविष्य में कोई इस बारे में सोच भी नहीं। सख्त नकल विरोधी कानून में दोषी का उम्र कैद की सजा का प्राविधान तो होगा ही उसके द्वारा अर्जित संपत्ति को जब्त किये जाने का भी व्यवस्था रहेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं का हक मारने वाले किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य की सभी भर्ती परीक्षाएँ स्वच्छ और पारदर्शी हो। अब भविष्य में कोई इन परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की हिम्मत न कर सके। नकल विरोधी कानून के प्रावधानों से यह व्यवस्था बन जायेगी।

उन्होंने कहा कि नकल माफियाओं के लगातार सक्रिय रूप से तैनात होने तथा परीक्षा पेपर को लीक आउट कराये जाने से परीक्षा देने वाले अन्य अभ्यर्थी, जो दिन-रात मेहनत करते हैं, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इन्ही तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अब निर्णय लिया गया है कि उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग, हरिद्वार तथा उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, देहरादून द्वारा भविष्य में आयोजित होने वाली परीक्षाओं से पूर्व अभिसूचना इकाई को सक्रियता से तैनात किया जाय, ताकि ऐसी पुनरावृत्ति न हो पाये।

राजकीय कार्य प्रणाली को पूर्णतः भ्रष्टाचार मुक्त बनाये जाने आदि के संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में मुख्य सचिव डॉ. एस.एस सन्धु द्वारा सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिवों, विभागाध्यक्षों, मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किये गये हैं।

Uttarakhand लोक सेवा आयोग पटवारी पेपर लीक में BJP नेता का नाम आया सामने

Uttarakhand लोक सेवा आयोग पटवारी पेपर लीक में BJP नेता का नाम आया सामने. बीजेपी नेता का नाम सामने आने के बाद पुलिस सबूत इकट्ठे करने में जुट गई है। लोक सेवा आयोग के संयुक्त सचिव संजीव चतुर्वेदी और उसके तीन गुर्गों को जब पुलिस ने रिमांड पर लिया तो सख्ती से पूछताछ की गई । इसके बाद यह जांचने की कोशिश पुलिस कर रही थी कि संजीव चतुर्वेदी को आयोग के भीतर और आयोग के बाहर कौन सहयोग कर रहा है। आयोग के भीतर तो अभी तक कोई सुराग पुलिस को नहीं मिला है। लेकिन एक बीजेपी नेता से संजीव चतुर्वेदी के संपर्कों और संबंधों का खुलासा हो गया है। पुलिस इस बीजेपी नेता के गिरेबान तक हाथ डाले उससे पहले सारे सबूत वह इकट्ठे कर लेना चाहती है। ताकि कोई फजीहत बाद में ना हो। अब देखना यह है पुलिस के हाथ कब तक बीजेपी नेता के गिरेबान तक जाएंगे