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Ram के नाम पर Uttarakhand BJP और Congress अध्यक्ष के अमर्यादित बोल

उत्तराखंड बीजेपी (Uttarakhand BJP) प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट (Mahendra Prasad Bhatt) के बिगड़े बोल एक बार फिर से सबके सामने आए हैं. महेंद्र प्रसाद भट्ट ने कांग्रेस (Congress) को राक्षसी प्रवृत्ति का बताया है.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि जिस तरीके से साधू सन्यासियों के यज्ञों को विध्वंस करने का काम राक्षसी प्रवृत्ति के लोग किया करते थे, उनकी तपस्या को भंग करने का काम किया करते थे. वैसे ही राम मंदिर निर्माण से लेकर श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा तक के कार्यक्रम में विध्वंस पैदा करने का काम कांग्रेस और कई विपक्षी दल कर रहे हैं.

जब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बिगड़े बोल सामने आए तो प्रतिक्रिया देने के लिए उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा सामने आए करण माहरा (Karan Mahra PCC Chief) ने कहा की महेंद्र प्रसाद भट्ट का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ है । लेकिन अगर ऐसा व्यक्ति शंकराचार्य के विचारों पर ही सवाल खड़ा कर दे तो ब्राह्मण कुल भी कहेगा कि यह कैसा व्यक्ति ब्राह्मण कुल में पैदा हो गया है ।अब देखना यह है कि भविष्य में अमर यदि बोलो की सीमा कहां तक जाती है।

सरकार के काम में विरोधाभास क्यों?

सरकार (Uttarakhand Government) की कार्यशैली में विरोधाभास साफ-साफ नजर आता है .एक तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) भ्रष्टाचार पर पड़ी कार्रवाई की बात करते हुए नजर आते हैं. विजिलेंस (Vigilance ) को सक्रिय करते हुए रिश्वतखोर को जेल की सलाखों के भीतर डाल रहे हैं. वही Uttarakhand के एक विभाग में भर्ती घोटाला (Recruitment Scam) हुआ और भर्ती घोटाले की जांच पूरी नहीं हो रही है. एक जांच पूरी करने के बाद दूसरी जांच बैठाई जा रही है, और दूसरी पूरी होने के बाद तीसरी जांच को बिठाया जा रहा है ।क्या सहकारिता विभाग में भ्रष्टाचार को बचाने की कोशिश हो रही है?

वास्तव में 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड के देहरादून ,उधम सिंह नगर और पिथौरागढ़ जिला सहकारी बैंकों में 223 पदों पर भर्तियां की गई थी । इन भर्तियों पर कई तरीके के सवाल खड़े हो गए थे। इसके बाद बीजेपी के वापस सत्ता में आने के बाद इस पूरे प्रकरण की जांच की गई। प्राथमिक जांच में बैंक के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों, बोर्ड के सदस्यों और राजनीतिक दलों की तरफ गड़बड़ झाला करने का इशारा किया गया।

इसके बाद एक जांच समिति बनाई गई। उसने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी। लेकिन शासन ने जांच रिपोर्ट की जांच करने के लिए भी एक नई कमेटी बना दी है। इसके बाद ही सवाल खड़े हो गए कि क्या सरकार वास्तव में कोई बात छुपाना चाहती है या किसी को बचाने की कोशिश कर रही है ?

आपको बता दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर काफी सख्त रवैया अपनाया है। इस साल एक दर्जन से ज्यादा रिश्वतखोरों को विजिलेंस ने पड़कर जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया है। इसके अलावा 13 मामलों में एफआईआर दर्ज हो गई है। और लगभग 20 अधिकारी विजिलेंस के रडार पर हैं जो जांच का अप्रत्यक्ष रूप से सामना कर रहे हैं। ऐसे में जब सहकारिता विभाग में भर्ती घोटाले की जांच पर जांच के आदेश होते हैं तो विभाग की मंशा पर संशय जरूर होता है।

सवालों के घेरे में BCCI.

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सवालों के घेरे में BCCI.Kapil Dev, M S Dhoni को ICC World Cup 2023 फाइनल में नहीं बुलाया.क्रिकेट वर्ल्ड (ICC World Cup 2023) कप खत्म होने के बाद विवाद शुरू हो गया है. विवाद इस बात को लेकर है कि आखिर बीसीसीआई (BCCI) ने दो पूर्व महान कप्तानों को क्यों फाइनल (ICC 2023 Fina) मैच में आमंत्रित नहीं किया?

2011 विश्व कप (Cricket world cup) के विजई कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra singh dhoni) (M S Dhoni) और 1983 क्रिकेट विश्व कप के विजय कप्तान कपिल देव ( Kapil Dev) क्यों इस महत्वपूर्ण मुकाबले से नदारत रहे? जबकि देश भर की कई जानी-मानी शख्सियत है पूर्व क्रिकेटर्स ( former creckters like Sachin Tendulkar) फिल्म जगत के जाने-माने अभिनेता, राजनीतिक व्यक्ति इस कार्यक्रम में विशेष रूप से बीसीसीआई द्वारा बुलाए गए थे.

कपिल देव ने एक बयान देकर अपनी नाराजगी जताई है. कपिल देव ने बयान दिया कि “उन्हें बुलाया नहीं गया था, इसलिए वह नहीं गए. कई बार बड़े आयोजनों में बड़ी जिम्मेदारियां होती हैं .और कई बार भूल वर्ष ऐसी त्रुटियां हो जाती हैं. इससे कपिल देव की नाराजगी स्पष्ट रूप से सामने आ जाती है. आपको बता दें फाइनल मुकाबले से पहले पूर्व कप्तान एम एस धोनी (M S Dhoni) उत्तराखंड (Uttarakhand) के पहाड़ों में छुट्टियां बिता रहे थे. इससे यह भी अंदाजा लगता है कि महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra singh dhoni) को भी फाइनल मुकाबले में नहीं बुलाया गया और तमाम तड़क भड़क से दूर होकर धोनी नैनीताल (Nainital ) और अल्मोड़ा (Almora ) की पहाड़ियों में सैर सपाटा करते हुए नजर आए ।अब देखना यह है कपिल देव के बयान के बाद किस तरीके की प्रतिक्रिया बीसीसीआई की तरफ से आती है और कैसे इस पूरे प्रकरण का समापन हो पता है।

Nainital High Court ने utttarakhand सरकार से जवाब मांगा.

Nainital High Court ने utttarakhand सरकार से जवाब मांगा. Uttarakhand News.Uttarkashi Tunnel Collapseउत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) (Pushkar Singh Dhami Government) से नैनीताल हाईकोर्ट ने सीधा जवाब मांग लिया है .उत्तरकाशी (Uttarkashi) में सुरंग धसने (Tunnel Collapse) के मामले में राज्य सरकार को अगले 48 घंटे में नैनीताल हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करना है.

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami)से ताजा हालात को लेकर बातचीत की. साथ में यह सुझाव दिया की सुरंग के भीतर फंसे हुए तमाम मजदूर को यह संदेश दिया जाए कि उनके लिए बाहर बैठे तमाम लोक प्रयासों में जुटे हुए हैं और उन्हें हिम्मत हारने की आवश्यकता नहीं है. उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा.

इस बीच खबर यह है कि उत्तरकाशी (Uttarkashi) सुरंग हादसे पर बचाव दल को एक सफलता मिली है. सफलता यह है कि एक 6 इंच का पाइप सफलतापूर्वक डाला गया है । जिसके जरिए पौष्टिक आहार मजदूर तक पहुंचा जा सकेगा। इसके अलावा दवाइयां और मोबाइल फोन को भी पहुंच जाने की कोशिश की जाएगी ताकि स्पष्ट संदेश मिलता रहे और यदि कोई व्यक्ति बीमार है तो उसे तक दवाइयां पहुंचाई जाए।

एक और खबर उत्तराखंड से आई है कि उत्तराखंड में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आपदा प्रबंधन (International Conference on Disaster Management) पर होने जा रहा है .और देश और दुनिया के कई एक्सपट्र्स (Experts on disaster management) जाकर अपना ज्ञान इस सम्मेलन में बताएंगे. इन विशेषज्ञों से यह पूछा तो जाना ही चाहिए कि आखिर उत्तराखंड या हिमालय क्षेत्र (Himalaya)(Himalayan Region) में आने वाली आपदा का कैसे सामना किया जाता है. क्योंकि उत्तरकाशी में जो हालात है वह हम सबके सामने हैं तमाम एक्सपट्र्स और एक्सपर्ट्स एजेंसियां फेल हो गई हैं।

यूएई दौरे के दूसरे दिन ₹3550 करोड़ के इन्वेस्टमेंट MoU

उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 2023 हेतु संयुक्त राज्य अमीरात (यूएई) दौरे के दूसरे दिन उत्तराखण्ड सरकार के प्रतिनिधि मंडल ने अबू धाबी में विभिन्न उद्योग समूहों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री धामी की उपस्थिति में विभिन्न समूहों के साथ राज्य सरकार की ओर से यूएई दौरे के दूसरे दिन 3550 करोड़ के इन्वेस्टमेंट एमओयू किए गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी उद्योग घरानों को आगामी 8 एवं 9 दिसम्बर माह में देहरादून में आयोजित होने वाले समिट हेतु निमत्रण भी दिया।

इस दौरान मुख्यमंत्री श्री धामी के साथ कैबिनेट मंत्री डा. धनसिंह रावत भी मौजूद रहे। बुधवार को अबू धाबी में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा किए गए ₹3550 करोड़ के इन्वेस्टमेंट एमओयू में क्रमशः लूलू ग्रुप के साथ रियल एस्टेट सेक्टर हेतु 1000 करोड़, हायपर मार्केट के साथ हॉस्पिटेलिटी सेक्टर में निवेश हेतु 500 करोड़ एवं फूड पार्क हेतु 250 करोड़, एसीटी फैसिलिटिज मिडिल ईस्ट के साथ हॉस्पिटेलिटी सेक्टर में 1500 करोड़ एवं रिजेन्ट ग्लोबल के साथ फार्मा सेक्टर में निवेश हेतु 300 करोड़ के एमओयू शामिल हैं। इससे पूर्व यूएई दौरे के पहले दिन दुबई सीएम धामी की उपस्थिति में 11925 करोड़ के इनवेस्टमेंट एमओयू साइन किए गए थे। कुल मिलाकर संयुक्त अरब अमीरात में 15 हजार 475 करोड़ के इन्वेस्टमेंट एमओयू किए गए।

CM धामी ने बुधवार को अबु धाबी में इन्स्टीट्यूट ऑफ चार्टेड एकाउन्टेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भी प्रतिभाग किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि विश्व में चाटर्ड एकाउन्टेंट्स के सबसे बड़े संगठन के मेघावी सदस्यों के बीच आना अपने आप में गौवर का क्षण है। उन्होंने कहा कि देश दुनियां में उत्तराखण्ड की पहचान देवभूमि के रूप में है जहां एक ओर केदारनाथ, बदरीनाथ धाम, जागेश्वर आदि मंदिर स्थित हैं, वहीं हमारा प्रदेश गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों का उद्गम स्थल भी है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमारी सरकार ने सांस्कृतिक, प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक सुंदरता को बचाये रखते हुए प्रदेश के विकास का मार्ग चुना है। इसके लिए हमने सरलीकरण, समाधान, निस्तारीकरण और संतुष्टि को अपना मूलमंत्र माना है। उन्होंने कहा कि टूरिज्म, वेलनेस और हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री के साथ-साथ उत्तराखण्ड में अनेक नए एवं गैर परंपरागत उद्योगों को विकसित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और केन्द्र सरकार के सहयोग से एक ओर जहां राज्य में पिछले पांच वर्षों में करीब 1 लाख 50 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं, वहीं दूसरी ओर 20 हजार करोड़ से अधिक की विकास योजनाओं पर कार्य गतिमान है। उत्तराखण्ड भी अपनी अवस्थापना परियोजनाओं, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि के क्षेत्र में आपके ज्ञान एवं अनुभव का लाभ लेने हेतु तत्पर है।मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद उद्यमियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि रियल स्टेट क्षेत्र में यूएई ने अत्यंत प्रगति की है, यहाँ की प्रसिद्ध इमारतें विश्व में अपना प्रतिमान स्थापित कर चुकी हैं। उत्तराखण्ड भी अपने शहरों का सुनियोजित विकास एवं नये शहरों की स्थापना करने हेतु आपके साथ सहयोग करने का इच्छुक है, जिससे इस क्षेत्र में आपकी विशेषज्ञता का लाभ उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार निवेशकों को राज्य में सभी प्राथमिक आवश्यक सुविधायें उपलब्ध कराने हेतु सदैव तत्पर है। और विशेष रूप से गत दो वर्षों में प्रदेश सरकार ने राज्य में निवेश आकर्षित करने की दिशा में सुनियोजित प्रयास किये हैं।

लन्दन एवं बर्मिंघम और उसके बाद दिल्ली के रोड शो के दौरान उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से 40 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, उससे यह सिद्ध होता है कि देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी उद्यमी, उत्तराखंड में निवेश करने के लिए उत्साहित हैं।कार्यक्रम के दौरान कैबिनेट मंत्री डा. धन सिंह रावत ने भी अपना सम्बोधन दिया। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव मुख्यमंत्री डा. आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगौली, सचिव उद्योग विनय शंकर पांड्य, महानिदेशक उद्योग रोहित मीणा समेत प्रतिनिधि मंडल के अन्य सदस्य एवं आईसीएआई के सदस्य मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री धामी जायेंगे ब्रिटेन

CM पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार का डेलिगेशन लंदन और बर्मिघम में बड़े बिजनेस हाउसेस से बैठक कर उन्हें आगामी दिसंबर में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के लिए आमंत्रित करेगा। राज्य सरकार लंदन और बर्मिघम दौरे पर टूरिज्म, आईटी, एजूकेशन, हेल्थकेयर, फूड प्रोसेसिंग के अलावा ऑटोमोबिल इन्डस्ट्री के उद्योग घरानों के साथ बैठकें की जाएंगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में 26 सितंबर को लंदन में आयोजित होने वाले रोड शो के दौरान डेलिगेशन रोपवे के क्षेत्र में अग्रणी पोमा ग्रुप के साथ बैठक करेंगे। बैठक में पोमा ग्रुप के साथ प्रदेश में इको फ्रेंडली मोबिलिटी के सम्बंध में चर्चा की जाएगी। इसी दिन लंदन में अन्य उद्योग घरानों के साथ बैठक की जाएगी एवं विश्वस्तरीय निवेशकों को उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के लिए आमंत्रित किया जाएगा। ब्रिटेन भ्रमण के दौरान डेलिगेशन द्वारा लंदन के प्रमुख हस्तियों से भी भेंट की जाएगी।

डेलिगेशन द्वारा 27 सितंबर को बर्मिघम में डब्ल्यू0एम0जी0 वार्बिक मेनिफेक्चरिंग ग्रुप के साथ बैठक की जाएगी। इसके साथ ही टीवीएस नॉर्टन ग्रुप के साथ उत्तराखंड में निवेश की सम्भावनाओं पर चर्चा की जाएगी। इस दौरे पर ब्रिटेन के टूरिज्म सेक्टर से जुड़ी बड़े घरानों से भी बैठक आयोजित की जाएगी।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में आयोजित होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट को लेकर प्रदेश सरकार ने तैयारियां पूरी कर दी हैं। राज्य सरकार दुनियांभर के इन्वेस्टर्स को उत्तराखंड में आमंत्रित करने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य कर रही है। उत्तराखंड के प्रति दुनियाभर के बड़े निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा देश के बड़े शहरों के अलावा विदेश में भी निवेशकों से विचार विमर्श शुरू कर दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में राज्य की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिये सशक्त उत्तराखण्ड मिशन लॉच किया गया है, जिसके तहत अगले 5 वर्षों में राज्य की एसजीडीपी को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य द्वारा इस लक्ष्य की प्राप्ति की कड़ी के रूप में उत्तराखण्ड ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट-2023 का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में वर्तमान में लगभग 6000 एकड़ का लैण्ड बैंक विभिन्न सैक्टर के उद्योगों की स्थापना हेतु उपलब्ध है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में रेल, रोड एवं एयर कनेक्टिविटी में लगातार सुधार हुआ है। देहरादून एयरपोर्ट से विभिन्न शहरों के लिये सीधी वायु सेवा उपलब्ध हो गई है। देहरादून एवं पंतनगर एयरपोर्ट का विस्तार भी किया जा रहा है। रेलवे नेटवर्क के विकास एवं उन्नयन के तहत ऋषिकेश – कर्णप्रयाग रेललाईन निर्माण का कार्य प्रगति पर है। राज्य में चार धाम यात्रा को सुगम बनाने के लिये ऑल वेदर रोड का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के उद्यमियों का राज्य में निवेश बढ़ाने में सबसे अधिक सहभागिता है। हमारी सरकार सरलीकरण, समाधान, निस्तारण और संतुष्टि के आधार पर कार्य कर रही है और यह तभी सम्भव है, जब उद्योग संघों से निरन्तर संवाद कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।

काशीपुर में अरोमा पार्क, सितारगंज में प्लास्टिक पार्क, काशीपुर में इलैक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर तथा अमृतसर कोलकाता इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना की दिशा में प्रभावी कदम उठाये गये हैं। राज्य में पर्यटकों एवं श्रद्वालुओं की सुविधा हेतु सभी स्थलों पर नवाचार के माध्यम से सुविधाओं का विकास किया जा रहा है निर्यात् को बढ़ावा देने के लिये भी नीति निर्धारित की गई है।

पहाड़ों को बचा पाएगी सरकार?

उत्तराखंड सरकार ने एक और प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। औली विकास प्राधिकरण बनाया गया है। इस प्राधिकरण के दायरे में आने वाले तमाम निर्माण कार्य अब प्राधिकरण की मंजूरी के बाद ही हो पाएंगे।उत्तराखंड सरकार के इस फैसले से ओली और उसके आसपास के क्षेत्र में प्लानिंग के साथ निर्माण होने की उम्मीद की जा रही है।

औली वह क्षेत्र है जो पूरी दुनिया भर में विंटर गेम्स के लिए जाना जाता है । लेकिन औली के ठीक नीचे बसा जोशीमठ वह क्षेत्र है जो इस साल के शुरुआत में परेशानी का कारण बना। यहां कई मकान और दुकानों के अतिरिक्त बड़े निर्माण में बड़ी-बड़ी दरार आ गई थी। जिससे लोगों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करना पड़ा। कई बड़े होटलों को ध्वस्त करने का फैसला भी लेना पड़ा।न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश की कई बड़ी एजेंसियों ने औली के ठीक नीचे जोशीमठ पर गंभीरता के साथ अध्ययन किया।

ऐसा माना जा रहा है कि जोशीमठ और उसके आसपास का क्षेत्र भी औली विकास प्राधिकरण के दायरे में आएगा। और यहां पर जो भी निर्माण कार्य होंगे इसकी मंजूरी प्राधिकरण से ही लेनी होगी।यह वह क्षेत्र है जो बद्रीनाथ धाम का एक प्रमुख पड़ाव है और पर्यटन के लिहाज से भी पिछले कुछ दशकों में काफी तेजी से विकसित हुआ है ।अब देखना यह है सरकार के इस ताजा फैसले से किस तरीके से निर्माण कार्यों में एक विशेष तरीके की प्लानिंग देखी जाती है। यह देखना काफी महत्वपूर्ण होगा कि कहीं सरकार के इस फैसले से गांव देहात के एक आम आदमी को तो परेशानी नहीं होगी।

स्वास्थ्य सचिव अस्पतालों के दौरे पर- डेंगू रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण को 22 पॉइन्ट की गाइडलाइंस जारी

देहरादून । राज्य में तेजी से बढ़ते हुए डेंगू के मामले को देखते हुए स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने सबसे पहले ब्लड बैंक में व्यवस्थाएं देखी यहां पर उन्होंने सख्ती से कहा कि 24 घंटे आरडीपी और एसडीपी की प्रक्रिया होनी चाहिए। प्राचार्य डॉक्टर आशुतोष स्याना ने उन्हें जानकारी दी कि अगले 10 दिन में एसडीपी यानी जंबो पैक बनाने वाली दूसरी एप्रेसेस मशीन यहां इंस्टॉल हो जाएगी। जिसकी वजह से मरीजों को इंतजार कम करना पड़ेगा।

इसके बाद स्वास्थ्य सचिव ने डेंगू वार्ड और पीडिया वार्ड का निरीक्षण किया। डेंगू वार्ड में 67 बेड लगाए गए हैं वहीं पीडिया में 30 बेड डेंगू के लिए आरक्षित है। स्वास्थ्य सचिव ने अधकारियों को हिदायत दी की मेडिसिन और पीडिया के डेंगू मरीजों के संबंध में समन्वय बना रहे। इस दौरान उन्होंने डेंगू से पीड़ित मरीजों व उनके परिजनों से अस्पताल में मिल रहे इलाज से संबंधित जानकारी ली।

मीडिया से बात करते हुए डॉ आर राजेश कुमार ने कहा कि डेगूं के बढ़ते मामलों को देखते हुए निरीक्षण किया गया है। मरीजों के लिए 100 वैड रिर्जव रखे गये हैं। डेंगू के गंभीर मरीजों के मुकाबले सामान्य मरीजों की संख्या ज्यादा है। जरूरत पढ़ने पर अस्पताल में बैडों की संख्या बढ़ाई जायेगी। उन्होंने आम जनमानस से डेंगू को लेकर सर्तक और जागरूक रहने की अपील की। आने वाले समय में जरूरत के अनुसार संख्या बढ़ाई जायेगी। हमारा प्रयास है कि मरीज को समय पर प्लेटलेट्स उपलब्ध हो जाये। स्वास्थ्य सचिव ने कहा डेंगू मरीजों से इलाज के नाम पर मनमानी फीस या प्लेटलेट्स व जैंबो पैक की अधिक वसूलने वाले अस्पतालों, ब्लड बैंको और पैथोलॉजी लैबों की शिकायत सामने आने पर कार्रवाई की जायेगी। कालाबाजारी वालों को छोड़ा नहीं जायेगा। सीएमओ के स्तर से रेट का निर्धारण किया गया है।

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पत्रकारों के सवाल के जवाब में स्वास्थ्य सचिव ने कहा मिलावट खोरी को लेकर राज्यभर में अभियान चलाया जा रहा है। मोबाइन वैन के आ जाने से इस प्रक्रिया को गति मिली है। अभी विभाग के पास दो मोबाइल बैन है। जिनसे हम मौके पर जाकर खाध पदार्थों की शिकायत आने पर जांच करते हैं। जल्द ही 10 और मोबाइल वैन आ जायेंगी। जिसके बाद मिलावट खोरी रोकने में तेजी आयेगी। इसके साथ ही रूद्रपुर के बाद जल्द देहरादून जनपद में भी खाध सैंपल की जांच के लिए लैबोटरी की स्थापना की जायेगी। इस मौके पर स्वास्थ्य महानिदेशक, सीएमओ देहरादून, प्रचार्या दून मेडिकल कॉलेज व अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

जैसा कि आप विदित है कि विगत वर्षों से डेंगू रोग राज्य में एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में परिलक्षित हो रहा है। इसी क्रम में अवगत कराना है कि माह जुलाई से नवम्बर तक का समय डेंगू वायरस के संक्रमण के लिये अनुकूल होता है। आगामी माहों में डेंगू रोग के प्रसारित होने की सम्भावना को देखते हुए डेंगू रोग रोकथाम किये जाने हेतु निम्न कार्यवाहियां करना सुनिश्चित करें.

डेंगू रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु दिशा निर्देश जारी

1. राज्य में डेंगू रोग को Notifiable Disease घोषित करने की अधिसूचना “उत्तराखण्ड महामारी (मलेरिया एवं डेगू) विनियम 2019” दिनांक 27 सितम्बर 2021 को जारी की जा चुकी है जिसमें निहित समस्त तकनीकी एवं प्रशासनिक कार्यवाहियों का जनपद स्तर पर क्रियान्वयन करना सुनिश्चित करें।

2. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग की समुचित रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु अन्य समस्त विभागों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होती है। समस्त विभागों द्वारा डेंगू रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियां समयान्तर्गत की जायें। डेंगू मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए की जाने वाली समस्त गतिविधियां समस्त विभाग निरन्तर करते रहें ताकि डेंगू के मच्छर को पनपने से रोका जा सके और इसकी सूचना जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरन्तर प्राप्त की जाए।

3. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निरन्तर स्वच्छता अभियान चलाए जाये ताकि डेंगू रोग के मच्छरों को पनपने सेरोका जा सके। पर्वतीय जनपदों के मैदानी एवं घाटी क्षेत्रों में भी विशेष निगरानी रखी जाये डेंगू रोग के मच्छरों के पनपने के स्थानों की साफ सफाई, नाले-नालियों की सफाई, ठोस कचरे का उचित निस्तारण, टीमों का गठन कर क्षेत्रों में डेंगू निरोधात्मक कार्यवाहियां बचाव उपायों पर जनजागरूकता, रोस्टर अनुसार फॉगिंग व कीटनाशक का छिडकाव आदि गतिविधियां की जाये। जन सहभागिता बढ़ाये जाने के लिए जनप्रतिनिधियों, वार्ड पार्षदों, ग्राम प्रधानों का सहयोग भी प्राप्त किया जाये।

4. मलिन बस्तियों में डेंगू लार्वा पनपने की अत्यधिक संभावना के दृष्टिगत विशेष सफाई अभियान चलाए जायें। लोगों को पानी को ढक कर रखने के लिए व ऐसे स्थान जहां पानी जमा होने की सम्भावना है को लगातार साफ करने के लिए जागरूक किया जाये।

5. डेंगू रोग के दृष्टिगत भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र जैसे सब्जी मंडी, बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, पार्क आदि पर विशेषनिगरानी रखी जाये एवं साफ सफाई व डेंगू निरोधात्मक कार्यवाहियां निरन्तर की जाये।

6. डेंगू रोग पर नियंत्रण हेतु लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहिया (सोर्स रिडक्शन) एक कारगर व उपयुक्त उपाय है. जिसके लिए नगर निगम / नगर पालिका, आशा कार्यकत्री व अन्य विभागों के सहयोग से टीमें बनाकर क्षेत्र में कार्यवाही की जाए।

7. डेंगू रोग को महामारी का रूप लेने से रोकने के लिए नगर निगम / नगर निकाय द्वारा माइक्रो प्लान बनाकररोस्टर अनुसार फॉगिंग की जाए ताकि प्रत्येक क्षेत्र में सप्ताह में कम से कम एक बार फॉगिंग की जा सके।

8. निर्माणाधीन परियोजनाओं, अधूरे निर्माण कार्य क्षेत्र, नव निर्माण कार्य क्षेत्रों में अभियान के तौर पर सुनिश्चित रखा जाये कि डेंगू मच्छर न पनप पाएं।

9. समस्त राजकीय एवं निजी संस्थानों जैसे ऑफिस, बैंक, व्यापारिक संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, होटल, रिसॉर्ट, रेस्त्रां, चिकित्सालय, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि से सेल्फ डिक्लेरेशन सर्टिफिकेशन प्राप्त किया जाये कि उनके परिसर में कहीं भी पानी जमा नहीं है जिसमें डेंगू का मच्छर पनप सके व ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए उनके द्वारा नियमित तौर से निरीक्षण किया जा रहा है।

10. जिन स्थानों पर चेतावनी के पश्चात् भी पानी जमा होने से डेंगू मच्छर पैदा होने की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं, ऐसे संस्थानों व लोगों पर आर्थिक दण्ड का प्रावधान किया जाये ताकि जनहित में डेंगू रोग के खतरे से लोगों को बचाया जा सके व महामारी का रूप लेने से रोका जा सके।

11. डेंगू रोग की रोकथाम के लिए आम जनमानस का सहयोग अत्यन्त आवश्यक है जिसके लिये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया एवं अन्य नेटवर्क के माध्यम से डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण सम्बन्धित वृहद् जागरूकता की जाये। अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए विभिन्न माध्यमों से प्रचार प्रसार किया जाये। जिला सूचना अधिकारियों द्वारा भी जनपद स्तर पर निरन्तर प्रेस विज्ञप्ति एवं अन्य माध्यमों से जागरूकता की जाये।

12. सभी विद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों को निर्देश दिये जायें कि विद्यालय परिसर में कहीं पानी जमा न हो जिससे मच्छर पनपने की स्थिति उत्पन्न न हो। परिसर में साफ सफाई रहे, कबाड़ जमा न हो व निरन्तर घास कटान हो। प्रार्थना सभाओं/असेम्बली के दौरान विद्यार्थियों को डेंगू रोग से बचाव के उपायों पर सजग किया जाये। विद्यार्थियों को पूरी बाजू की शर्ट, पतलून, लेगिंग, लंबी जुराबों वाली ड्रेस पहनने के निर्देश दिये जाये ताकि डेंगू रोग के मच्छरों के काटने से बचाव किया जा सके। अभिभावकों को पेरेन्ट-टीचर मीटिंग एवं स्कूल एप के माध्यम से डेंगू से बचाव उपायों हेतू जागरूक किया जाये। डेंगू से बचाव के उपायों पर छात्र-छात्राओं की जागरूकता के लिए सेमिनार, वाद-विवाद, पोस्टर, चित्रकला, निबन्ध लेखन व प्रोजेक्ट वर्क आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाये।

13. जनपद स्तर पर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा उपलब्ध निगरानी प्रणाली एवं संसाधनों के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय में समस्त विभागों द्वारा की जा रही बचाव एवं रोकथाम गतिविधियों की निगरानी की जाये व समय-समय पर स्थिति अनुसार बचाव दिशा निर्देश प्रदान किये जायें व निरोधात्मक कार्यवाहियों में सहयोग किया जाये।

14. डेंगू रोकथाम हेतु स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागों जैसे नगर निगम, शिक्षा विभाग, ग्राम्य एवं शहरी विकास, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, लोक निर्माण, जल संस्थान, जल निगम आदि के सहयोग व अंतर्विभागीय समन्वय हेतु जनपद स्तर पर बैठकों का समय से आयोजन किया जाए।

15, चिकित्सालयों में डेंगू रोगियों के उपचार हेतु पृथक आईसोलेशन वार्ड तैयार कर मच्छरदानी युक्त पर्याप्तबेड व आवश्यक औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये तथा डेंगू आइसोलेशन वार्ड के लिए नोडल अधिकारी नामित किये जायें।

16, डेंगू पीड़ित गंभीर रोगियों हेतु ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये।

17. डेंगू जांच केन्द्रों में आवश्यक सामग्री जैसे ELISA जांच किट व अन्य जांच सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये।

18. डेंगू के उपचार एवं नियंत्रण हेतु भारत सरकार की गाईडलाइन “National Guidelines for Clinical Management of Dengue fever” को समस्त राजकीय एवं निजी चिकित्सालायों / चिकित्सकों को आवश्यक कार्यवाहियों हेतु उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

19. डेंगू रोगियों की शुरूआती चरण मे पहचान हेतु फीवर सर्वे किये जायें, लक्षणों के आधार पर डेंगू रोग की संदिग्धता होने पर जांच की जाये।

20. डेंगू रोगी पाये जाने व किसी प्रकार की क्लस्टरिंग मिलने की स्थिति में रोगी के घर के आस-पास लगभग 50 घरों व 500 मीटर की परिधि में आवश्यक रूप से लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन), Space/Focal Spray, Fogging, सघन फीवर सर्विलेन्स एवं जनजागरूकता की जाये।

21. स्वास्थ्य विभाग व आई०एम०ए० प्रतिनिधियों / निजी चिकित्सालयों/पैथोलोजी लैबों के मध्य समन्वय बैठक (CME Meeting/Workshop) की जाये ताकि आमजन में डेंगू रोग के प्रति व्यापत भ्रान्ति / भय को दूर किया जा सके।

22 किसी भी प्रकार की आकस्मिक / आपातकालीन आवश्यकता के दृष्टिगत जनपद स्तर पर जिला कार्ययोजना मे भी डेंगू के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया जाये।

आई फ्लू को लेकर जारी हुई गाइडलाइन

उत्तराखंड में कंजेक्टिवाइटिस यानि आई फ्लू को लेकर जारी हुई गाइडलाइन, स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने जारी किए अहम दिशा निर्देश*देहरादून। उत्तराखंड में कंजेक्टिवाइटिस यानि आई फ्लू के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। राज्य के सभी जिला अस्तपालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों में रोजाना कंजेक्टिवाइटिस यानि आई फ्लू के मरीज पहुंच रहे हैं। आई फ्लू के मरीजों की संख्या में इजाफा देखते हुए अस्पताल प्रबंधन भी लगातार लोगों से आइसोलेट होने को कह रहा है। वहीं अब स्वास्थ्य विभाग ने कंजेक्टिवाइटिस यानि आई फ्लू को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने राज्य के सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश जारी किये हैं। स्वास्थ्य सचिव की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि जैसा कि आप विदित है कि वर्तमान में कन्जक्टिवाइटिस (आई फ्लू) रोग एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में परिलक्षित हो रहा है जो कि एलर्जी, बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण के कारण हो सकता है। कंजंक्टिवाइटिस किसी संक्रमित व्यक्ति की आंखों के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है और काफी संक्रामक हो सकता है। अपने जनपद में कन्जक्टिवाइटिस रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु चिकित्सालय स्तर पर समस्त आवश्यक औषधियों की उपलब्धता एवं अन्य तैयारियां सुनिश्चित रखें।

कन्जक्टिवाइटिस रोग की रोकथाम के लिए आम जनमानस के मध्य जागरूकता की जाये। स्वास्थ्य सचिव ने कहा यदि आपको अपनी आंखों में आई फ्लू के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो इस बारे में किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करके इलाज कराएं। खुद से ही या ओवर द काउंटर दवाओं या आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल न करें, इससे जोखिम बढ़ सकता है।

कंजक्टिवाइटिस (आई फ्लू) के लक्षण – आंख की बाहरी झिल्ली और पलक के भीतरी हिस्से में सूजन या संक्रमण। कंजंक्टिवाइटिस (आई फ्लू) या आंख आना, कंजक्टिवा नाम की आंख की परत की जलन या सूजन है, जो आंख की पुतली के सफेद हिस्से को प्रभावित करती है, जो कि एलर्जी, बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण के कारण हो सकता है। कंजक्टिवाइटिस किसी संक्रमित व्यक्ति की आंखों के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है और काफी संक्रामक हो सकता है।

लक्षण*

1 आंखों में लाली आना

2 लगातार खुजली जलन होना धुंधली दृष्टि एवं नम आंखें

3 प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, सूजी हुई पलकें

4 पलकों का पपडी दार होना, दृष्टि संबंधित समस्याएं

संक्रमण को फैलने से कैसे रोकें?

1 कंजक्टिवाइटिस को फैलने से रोकने के लिए साफ-सफाई रखना सबसे जरूरी है, इसके अलावा इन बातों का ध्यान भी रखें।

2 अपनी आंखों को अपने हाथ से न छुए।

3 जब भी जरूरी हो अपने हाथों को धोएं।

4 अपनी निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कॉस्मेटिक्स (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें।

5 अपने रूमाल, तकिये के कवर, तौलिये आदि चीजों को रोज धोएं।

*क्या करें*

1 जब भी जरूरी हो अपने हाथों को धोएं। अपने रूमाल, तकिये के कवर, तौलिये आदि चीजों को रोज धोएं।

2 विशेषज्ञ से संपर्क करके इलाज करायें।

3 घर से बाहर या धूल में निकलने से पहले चश्मा पहनना।

4 अपने तकिए के कवर को बार-बार बदलें।*क्या ना करें*1 अपनी आंखों को अपने हाथ से न छुएं। आंखों को हाथ से नहीं रगड़ना चाहिए।2 अपनी निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कॉस्मेटिक्स (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें ।3 खुद से ही या ओवर द काउंटर दवाओं याँ आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल न करें।4 आंखे ठीक होने तक आपको कॉन्टेक्ट लेंस पहनने से बचना चाहिए।5 काजल जैसे ब्यूटी प्रोडक्ट को शेयर न करें।

चमोली जैसे हादसों की ना हो पुनरावृत्ति

चमोली जैसे हादसों की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए प्रदेश में कार्यरत समस्त कार्यदायी संस्थाओं की एक उच्च स्तरीय बैठक मुख्यमंत्री के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिवालय में ली । बैठक में यह तथ्य संज्ञान में आया कि कार्यदायी संस्थाएं इलैक्ट्रिकल वर्क को सिविल वर्क के साथ जोड़ देती हैं। जबकि कार्यदायी संस्थाओं के पास इलैक्ट्रिकल वर्क के लिए पृथक से इंजीनियर उपलब्ध रहते हैं।

एक ही एस्टीमेट बनाने तथा एक साथ कार्य कराने से इलैक्ट्रिकल वर्क के लिए अच्छे से कार्य करने तथा सुरक्षा के मानकों का पालन करने में समझौते की स्थिति आती है। सिविल कॉन्टै्रक्टर्स ही इलैक्ट्रिकल कार्य को करवाते है। बैठक में इस व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए समस्त कार्यदायी संस्थाओं से सुझाव लिये गए। कार्यदायी संस्थाओं से सुरक्षा मानकों पर चर्चा करते हुए एसीएस श्रीमती राधा रतूड़ी ने सख्त हिदायत दी कि सुरक्षा मानकों के लिए उच्चतम स्तर के मानदंड हैं, उन मानदण्डों के अनुसार ही उपकरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

एसीएस ने कड़े निर्देश दिए कि प्रोजेक्ट या कार्य पूर्ण होने के उपरान्त भी सुरक्षा मानक निर्धारित मानदण्डों के अनुरूप बने रहने चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि वर्तमान में कार्यरत मजदूरों के अलावा उस भवन, प्रोजेक्ट या मशीनरी में कार्य पूर्ण होने के बाद लगाये जाने वाले श्रमिकों या कार्मिकों को उचित प्रशिक्षण दिया जाना तथा सुरक्षा मानकों का समय समय पर परीक्षण करवाया जाना आवश्यक है। बैठक में इसे सुनिश्चित किये जाने का निर्णय लिया गया।बैठक में यह तथ्य भी संज्ञान में आया कि सिविल और इलैक्ट्रिकल वर्क का एक ही एस्टीमेट बन जाने से इलैक्ट्रिकल कॉन्ट्रेक्टर्स जो छोटे ठेकेदार है या अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ है, उनके कार्य से वंचित होने की भी समस्या आती है। इस व्यवस्था में परिवर्तन से उनकी दक्षताओं का उपयोग भी इलैक्ट्रिकल कार्यो में किया जा सकेगा। एसीएस श्रीमती राधा रतूड़ी ने कहा कि जल्द से जल्द प्रदेश में कार्यदायी संस्थाओं के लिए सिविल वर्क एवं इलैक्ट्रिकल वर्क के लिए स्पष्ट अलग अलग व्यवस्था, सुरक्षा मानकों के लिए उच्चतम स्तर के मानदण्डों का पालन, मजदूरों व कार्मिकों के प्रशिक्षण एवं सुरक्षा मानकों के परीक्षण से सम्बन्धित नई नीति तैयार करते हुए उसे समस्त कार्यदायी संस्थाओं पर लागू किया जाने का उच्च स्तरीय निर्णय लिया जाएगा।बैठक में सचिव श्री वी षणमुगम, अपर सचिव श्री जगदीश कांडपाल, श्री थपलियाल तथा विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।