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स्कूल में बनेंगे सभी प्रमाण पत्र

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शासन द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए हैं कि राज्य के समस्त विद्यालयों में कक्षा 11 एवं 12 में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभाग किये जाने की आवश्यकता के दृष्टिगत स्थायी निवास जाति एवं आय तथा अन्य आवश्यक प्रमाण-पत्र विद्यालय में ही उपलब्ध कराये जाएं। इस संबंध में सचिव श्री शैलेश बगोली ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा हैं कि छात्रों को आवश्यक प्रमाण-पत्र की आवश्यकता एवं इन प्रमाण-पत्रों को प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के दृष्टिगत राज्य के समस्त विद्यालयों में *अपणों स्कूल, अपणू प्रमाण* नामक पहल के तहत कक्षा 11 एवं 12 में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को स्थायी निवास, जाति एवं आय तथा अन्य आवश्यक प्रमाण-पत्र विद्यालय स्तर पर ही उपलब्ध कराये जाने का निर्णय लिया गया है।

उन्होंने आदेश जारी किये हैं कि जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में मुख्य शिक्षा अधिकारी को सम्मिलित करते हुए समिति का गठन किया जाय। समिति द्वारा जनपद स्तर पर कक्षा 11 एवं 12 में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या का आकलन किया जायेगा। तहसील स्तर पर उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति से विद्यालय में भ्रमण करने वाली टीमों (पटवारी / लेखपाल / कानूनगो एवं सीएससी के डाटा एण्ट्री ऑपरेटर) का तिथिवार रोस्टर तैयार करवाया जायेगा।

निवास स्थान, चरित्र, आय एवं पर्वतीय प्रमाण-पत्र एवं अन्य प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने की प्रक्रिया हेतु टाईम फ्रेम का निर्धारण करते हुए कार्ययोजना तैयार की जायेगी। जनपद स्तर पर उक्त कार्यक्रम का साप्ताहिक अनुश्रवण एवं निगरानी की जायेगी।तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में खण्ड शिक्षा अधिकारियों को सम्मिलित करते हुए समिति का गठन किया जाय। समिति द्वारा तैयार रोस्टर की सूचना से सम्बन्धित विद्यालयों को अवगत कराने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा।

प्रमाण-पत्रों हेतु आवश्यक दस्तावेजों की सूचना प्रधानाचार्यो, छात्र-छात्राओं, अभिभावकों तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध करायी जायेगी। तहसील स्तर पर इस कार्यक्रम का दैनिक अनुश्रवण एवं निगरानी की जायेगी। कार्यवाही के पश्चात तहसीलदार स्तर से दैनिक निगरानी के अंतर्गत तिथिवार रोस्टर के अनुसार पटवारी / लेखपाल / कानूनगो एवं सीएससी के डाटा एण्ट्री ऑपरेटर की टीम द्वारा सम्बन्धित विद्यालय का भ्रमण किया जायेगा तथा प्रधानाचार्य से प्रभावी समन्वय स्थापित करते हुए प्रमाण-पत्र हेतु आवश्यक शुल्क / दस्तावेज, ऑनलाईन / ऑफलाईन माध्यम से तहसीलदार / उपजिलाधिकारी कार्यालयों को प्रेषित किये जायेंगे।आवश्यक शुल्क / दस्तावेज प्राप्त होने के उपरान्त तहसीलदार/ उपजिलाधिकारी कार्यालय द्वारा प्रमाण-पत्र निर्गत करते हुए उक्त प्रमाण-पत्र, छात्र-छात्राओं को वितरित किये जाने हेतु एक सप्ताह के भीतर अनिवार्य रूप से सम्बन्धित विद्यालय के प्रधानाचार्य को उपलब्ध करा दिया जायेगा।

जिला स्तरीय समिति द्वारा समस्त उप जिलाधिकारी, तहसीलदार तथा खण्ड शिक्षा अधिकारियों से समन्वय स्थापित करते हुए सम्पूर्ण कार्यवाही की प्रभावी मॉनिटरिंग की जायेगी एवं किसी प्रकार की समस्या / कठिनाई उत्पन्न होने पर समिति के स्तर से सम्बन्धित को तात्कालिकता के आधार पर यथावश्यक दिशा-निर्देश निर्गत किये जायेंगे।यह समस्त कार्यवाही अधिकतम दो माह के भीतर सम्पादित कराते हुए, प्रत्येक जनपद की साप्ताहिक सूचना, जिलाधिकारी द्वारा शासन को सलग्न प्रारूपानुसार अनिवार्य रूप से संप्रेषित कराया जाना सुनिश्चित करें।

कैबिनेट द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखण्ड राज्य में सिलिका सैण्ड की रायल्टी अधिक होने एवं इस कारण राज्य में सिलिका सैण्ड के व्यवसाय पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव के दृष्टिगत राज्य में सिलिका सैण्ड के व्यवसाय को सुदृढ एवं कारगर किये जाने के निमित्त अन्य राज्यों के अनुरूप रायल्टी दर व अपरिहार्य भाटक की वर्तमान प्रचलित दर को संशोधित किए जाने का निर्णय।राज्य की सहकारी क्षेत्र की चीनी मिल बाजपुर (पेराई क्षमता 4000 टी.सी.डी.) की आसवनी में शून्य उत्प्रवाह संयंत्र (जेड.एल.डी.) न होने के कारण केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली तथा उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देहरादून के आदेशों के क्रम में बाजपुर चीनी मिल की आसवनी में दिनांक 23 जनवरी 2017 से एल्कोहॉल उत्पादन कार्य पूर्ण रूप से बन्द होने के फलस्वरूप बाजपुर चीनी मिल एवं आसवनी की वित्तीय स्थिति प्रतिकूलतः प्रभावित हो रही है। अतः राज्य की सहकारी क्षेत्र की चीनी मिल बाजपुर की आसवनी को पुनः 25 के०एल०पी०डी० क्षमता पर संचालन के लिये आसवनी के आधुनिकीकरण करते हुए शून्य उत्प्रवाह संयंत्र (जेड.एल.डी.) लगाने, आसवनी में पूर्व स्थापित संयत्रों एवं कुछ अन्य संयत्रों के अनुरक्षण के लिये धनराशि बैंक से ऋण लिये जाने हेतु रू० 29.00 करोड़ की शासकीय प्रत्याभूति उपलब्ध कराये जाने का केबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया है।

राज्य में वित्त, लेखा सम्बन्धी एवं अन्य विषयों पर समस्त विभागों तथा सचिवालय स्तर के कार्मिकों को प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से वित्त विभाग के अधीन पं० दीनदयाल उपाध्याय वित्तीय प्रशासन, प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान, उत्तराखण्ड देहरादून की स्थापना की गयी। साथ ही राज्य के अधिक से अधिक कार्मिकों के कौशल, प्रशासकीय प्रबन्धन एवं योग्यता क्षमता में वृद्धि करना, राज्य में विभिन्न वित्तीय नियमों, मैनुअलों एवं नियमावलियों में स्थापित नियमों की प्रास्थिति का परीक्षण, शोध एवं परिवर्तन की आवश्यकता पर राज्य सरकार को शोधात्मक परामर्श प्रदान करना, उक्त संस्थान का उद्देश्य है। संस्थान के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विशेषज्ञ के रूप में मानव संसाधन का होना अपरिहार्य होने के दृष्टिगत संस्थान में सृजित पदों के अतिरिक्त पूर्णकालिक व्याख्याता/शोधकर्ता, Learning & Development Expert (Financial Management), Training Coordinator पदों का सृजन किए जाने का निर्णय लिया। कोषागार विभाग के अन्तर्गत लेखा लिपिक का पद मृत संवर्ग घोषित होने के दृष्टिगत ऐसे नियमति एवं स्थायी अनुसेवक, जिन्होंने इण्टरमीडिएट (कॉमर्स) अथवा समकक्ष परीक्षा अथवा बी०कॉम परीक्षा उत्तीर्ण की हो, अनुसेवक के पद पर 10 वर्ष की निरन्तर सेवा पूर्ण कर ली हो तथा निर्धारित पाठ्क्रम के अनुसार अर्हता परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो, की पदोन्नति हेतु वर्तमान में सृजित कुल सहायक लेखाकार के 326 पदों के सापेक्ष जनपदवार कुल 17 पद आरक्षित किए जाने का निर्णय।

उत्तराखण्ड राज्य के चारधामों एवं श्री हेमकुण्ड साहिब की यात्रा हेतु प्रतिवर्ष लाखों की संख्या मे देशी एवं विदेशी तीर्थयात्री/पर्यटक आते है तथा प्रतिवर्ष यात्रियों की संख्या में निरन्तर हो रही वृद्धि के दृष्टिगत चार धाम यात्रा व्यवस्था को सुचारू रूप से संपन्न करने के उददेश्य से पूर्व से गठित यात्रा प्रशासन संगठन, ऋषिकेश का संगठनात्मक ढांचा अपर्याप्त होने के कारण उक्त संगठन का नाम परिवर्तित करते हुए चारधाम यात्रा प्रबन्धन एवं नियन्त्रण संगठन” (Chardham Yatra Management and Control Organisation) किया गया है। उक्त संगठन के स्थाई कार्यालय हेतु 11 पदों के सृजन की स्वीकृति तथा डाटा एन्ट्री ऑपरेटर, पूछताछ केन्द्र सहायक / सहायक स्वागती, अनुसेवक कार्य हेतु 9 व्यक्तियों की सेवायें आउटसोर्स के माध्यम से लिये जाने का प्रावधान किया गया है। जिसे कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई।

पशुपालन विभाग के नियमित पशुचिकित्साविदों को फरवरी, 2014 से उन्हें अनुमन्य मूल वेतन (निर्धारित वेतन+ ग्रेड वेतन) के योग के 25 प्रतिशत की दर से प्रैक्टिस बन्दी भत्ता (NPA) दिया जा रहा था। केन्द्रीय सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के क्रम में प्रदेश के विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों के लिए गठित वेतन समिति उत्तराखण्ड (2016) द्वारा दिये गये प्रतिवेदन / संस्तुतियों में पशुपालन विभाग के चिकित्सकों को प्रैक्टिस बन्दी भत्ता के सम्बन्ध में कोई उल्लेख न होने के कारण पशुपालन विभाग के पशुचिकित्साधिकारियों को प्रैक्टिस बन्दी भत्ता (NPA) दिया जाना रोक दिया गया था। पुनः प्रकरण वित्तीय नियम समिति को सन्दर्भित किया गया। वित्तीय नियम समिति द्वारा एलोपैथिक चिकित्सकों की भाँति राज्य पशुपालन विभाग के पशुचिकित्साविदों को 20 प्रतिशत प्रैक्टिस बन्दी भत्ता (NPA) अनुमन्य किये जाने की संस्तुति की गयी है। जिसके क्रम में मा0 मंत्रिमण्डल द्वारा पशुपालन विभाग के चिकित्साविदों को 20 प्रतिशत प्रैक्टिस बन्दी भत्ता (NPA) अनुमन्य किये जाने का निर्णय लिया गया है। इससे लगभग 400 पशुचिकित्साविद् लाभान्वित होंगे।

उत्तराखण्ड राज्य में वनाग्नि की घटनाओं हेतु चीड़ के वनों में पिरूल भी एक मुख्य कारण है । वनाग्नि सत्र 2023 में चीड़-पिरूल स्थानीय स्तर पर एकत्रीकरण करके व्यापक स्तर पर ब्रिकेट / पैलेट्स बनाये जाने की व्यवस्था विभाग स्तर से की जानी प्रस्तावित है। चीड़-पिरूल से घटित होने वाली वनाग्नि के रोकथाम हेतु एवं पिरूल एकत्रित करने के लिये क्षेत्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किसी व्यक्ति विशेष द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था यथा-वन पंचायत, स्वयं सहायता समूह एवं युवक मंगल दल आदि के माध्यम से वन क्षेत्रों में पिरूल को एकत्रित कर स्थाई रूप से निष्कासित करने पर विभाग द्वारा उस व्यक्ति को संस्था के माध्यम से राज्य सैक्टर की संगत योजनाओं अथवा कैम्पा के अन्तर्गत उपलब्ध धनराशि से रू0 2.00 प्रति किलोग्राम की दर से भुगतान किये जाने की स्वीकृति शासनादेश संख्या-2198 / X-2-2019-21 (9) 2015 दिनांक 05 नवम्बर, 2020 के द्वारा प्रदान की गयी थी। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राज्य में चीड़-पिरूल एकत्रीकरण दर को आजीविका में वृद्धि के दृष्टिगत रू 2.00 प्रति किलोग्राम के स्थान पर रू0 3.00 प्रति किलोग्राम पुनरीक्षित किए जाने का निर्णय लिया गया।

उत्तराखण्ड राज्य में पशुधन हेतु वर्षभर हरे एवं सूखे चारे की उपलब्धता व पशुधन उत्पाद में वृद्धि के साथ महिलाओं के कार्यबोझ को कम करने के लिए उत्तराखण्ड चारा नीति प्रस्तावित की जा रही है। वर्तमान में आवश्यकता के सापेक्ष हरे चारे में 31 प्रतिशत तथा सूखे घारे में 17 प्रतिशत की कमी है। चारे की कमी की पूर्ति मुख्यत पंजाब एवं हरियाणा से आने वाले गेहूं के भूसे से की जाती है। भौगोलिक संरचना के कारण प्रदेश आपदा संभावित क्षेत्र है, जिसके कारण भी चारे की उपलब्धता बाधित होती रहती है। चारा नीति के क्रियान्वयन हेतु पशुपालन विभाग, सहकारिता विभाग, दुग्ध विकास विभाग तथा अन्य स्रोतों यथा REAP इत्यादि के समन्वय से कार्य सम्पादित किये जायेंगे तथा योजना में धनराशि की व्यवस्था राज्य अंश के अतिरिक्त भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं तथा अन्य योजनाओं के माध्यम से की जायेगी। राज्य में हरे चारे की पर्याप्त उपलब्धता हेतु पशुपालकों को 13300 उन्नत किस्म के चारा बीज वितरण कर हरा चारा उत्पादन वृद्धि, वर्तमान साइलेज निर्माण क्षमता से 25 हजार मी० टन वृद्धि, पशुपालकों को चैफ कटर वितरण तथा सिल्वीपाश्चर को बढ़ावा दिया जाना प्रस्तावित है।

प्रथम वर्ष में 53400 मी० टन सूखा चारा तथा 1125300 मी० टन हरा चारा मध्यावधि (01 से 03 वर्ष) में 20 हजार मी० टन सूखा चारा तथा 19 हजार मी० टन हरा चारा तथा दीर्घावधि (03 से 05 वर्ष) 01 लाख टन हरा चारा उत्पादन की वृद्धि होगी । उत्तराखण्ड चारा नीति, 2023-28 लागू होने पर चारे की कुल 31 प्रतिशत कमी में से 2352 प्रतिशत की कमी दूर हो जायेगी। वर्तमान मे राज्य सूखे चारे की उपलब्धता में वृद्धि के लिये एफ०पी०ओ० की स्थापना कर दुग्ध उत्पादक समिति के सदस्यों से अतिरिक्त 5 हजार मी०टन फसल अवशेष कय भूसे का सुगम परिवहन के लिये समीपवती भूसा आधिक्य राज्य हरियाणा अथवा पंजाब में सार्वजनिक, सहकारी तथा निजी क्षेत्र की सहायता से एक 20000 मी० टन की सघनीकृत भूसा इकाई की स्थापना किया जाना प्रस्तावित है। राज्य में भूसा भंडारण क्षमता में वृद्धि हेतु विभिन्न माध्यमों से 10 भूसा भंडारण गृह का निर्माण तथा राज्य में स्थापित चारा बैंकों में कॉम्पेक्ट फीड ब्लाक के अतिरिक्त साइलेज के भण्डारण क्षमता में वृद्धि किया जाना प्रस्तावित है।

कुल प्रस्तावित व्यय रू0 13655.00 लाख में से JICA-NPDD से रू 2367.00 लाख REAP से रू० 225500 लाख नाबार्ड मे रू 2000.00 लाख: तथा राज्य सैक्टर से रू 6683.60 लाख का व्यय उक्त योजनाओं के माध्यम से किया जायेगा। राज्य सैक्टर में रू0 3110.00 लाख की योजनायें पूर्व से ही मतिमान है। इस प्रकार उत्तराखण्ड बारा नीति, 2023 – 28 में राज्य सेक्टर रू0 3573.00 लाख की अतिरिक्त आवश्यकता होगी। चारा नीति में प्राकृतिक आपदा एवं आकस्मिकता की स्थिति में प्रदेश में चारे की निर्वाध आपूर्ति हेतु कॉर्पस फण्ड / परिक्रानी निधि की स्थापना हेतु उत्तराखंड चारा नीति 2023- 28 को मंजूरी। मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड सरकार के कुशल नेतृत्व एवं पशुपालन मंत्री, उत्तराखण्ड के योग्य निर्देशन में उत्तराखण्ड सरकार के द्वारा स्थानीय युवाओं, विशेषकर महिलाओं हेतु उद्यमिता विकास द्वारा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन के लिये एवं सभी पशुपालको के समग्र विकास हेतु केबिनेट द्वारा मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड राज्य पशुवन मिशन (CMUSLM) को प्रारम्भ करने का निर्णय लिया है।

इसके द्वारा न केवल युवाओं के लिये रोजगार सृजन होगा, अपितु ये योजनायें भूमिहीन एवं सीमांत गरीब किसानों के लिये जीविकोपार्जन के साधन उपलब्ध कराकर प्रतिलोमीप्रवास (रिवर्स माइग्रेशन) में सहायक सिद्ध होगी।वर्तमान में उत्तराखण्ड युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग के अंतर्गत प्रांतीय रक्षक दल के स्वयंसेवकों के कार्यों के विनियमन हेतु राज्य में संयुक्त प्रान्तीय रक्षक दल अधिनियम, 1948 प्रचलित है। उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप प्रांतीय रक्षक दल के कार्यों में शान्ति सुरक्षा के साथ-साथ सरकारी व अर्द्धसरकारी अधिष्ठानों के अन्तर्गत विभिन्न प्रयोजनों के लिये आवश्यकतानुसार स्वयंसेवक के रूप में सहयोग प्राप्त किये जाने हेतु कतिपय अंशों को परिवर्तित एवं निष्प्रयोज्य धाराओं को हटाये जाने हेतु तथा पी०आर०डी० स्वयंसेवकों की मांग एवं कार्य के सापेक्ष उनके लिये अवकाश आदि की व्यवस्था किये जाने हेतु संयुक्त प्रान्तीय रक्षक दल अधिनियम, 1948 में संशोधन करते हुये उत्तराखण्ड रक्षक दल (संशोधन) अध्यादेश, 2023 प्रख्याजित किए जाने का निर्णय।

केबिनेट द्वारा स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इम्पावरिंग एण्ड ट्रांसफॉरमिंग (सेतु) का संगठनात्मक ढांचा गठन के संबंध में लिया गया निर्णय। इसके अंतर्गत नीति आयोग की भांति राज्य में नीति नियोजन से संबंधित संस्थान स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इम्पावरिंग एण्ड ट्रांसफॉरमिंग (सेतु) आयोग का गठन किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत नागरिकों के विकास एवं कल्याण हेतु सामाजिक और व्यक्तिगत आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु विषय निर्धारित करना तथा उस पर सक्रिय रहते नागरिकों की आवश्यकतानुसार कार्य करना । राज्य के चहुमुखी विकास हेतु नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना । राज्य के युवाओं के लिए अवसरों की समानता सुनिश्चित कराना। पर्यावरण को बचाते हुए सतत् विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति करना। सरकार को प्रत्यक्ष और उत्तरदायी बनाने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग कर पारदर्शिता सुनिश्चित करना शामिल है।

इसमें राज्य के संसाधनों के कुशल और प्रभावी उपयोग के लिये अभिसरण, समन्वय, सामुदायिक भागीदारी और नेटवर्किंग का उपयोग तथा राज्य के संसाधनों के कुशल और प्रभावी उपयोग के लिये अभिसरण, समन्वय, सामुदायिक भागीदारी और नेटवर्किंग का बेहतर तरीके से उपयोग हो सकेगा।केबिनेट द्वारा मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना को दी गई मंजूरी। जिसके अन्तर्गत विदेश रोजगार हेतु युवाओं को Domain क्षेत्र में कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के साथ-साथ सम्बन्धित देश के Language, Culture, Work Ethics, आदि के बारे में प्रशिक्षण भारत सरकार द्वारा Empanelled संस्थाओं के माध्यम से दिये जाने हेतु दिशा-निर्देश को मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदित किया गया है। उक्त योजना में राज्य सरकार द्वारा समस्त प्रशिक्षण पर होने वाले व्यय का 20 प्रतिशत वहन किया जायेगा। अभ्यर्थी द्वारा शेष प्रशिक्षण धनराशि हेतु बैंक से लोन लिये जाने पर उक्त ऋण पर देय ब्याज का अधिकतम 75 प्रतिशत भार राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

संस्था द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम की फीस को इस प्रकार निर्धारित किया जायेगा कि अभ्यर्थी के सेवायोजित होने से पूर्व 30 प्रतिशत की धनराशि देय होगी। प्रथम चरण में विभाग द्वारा Nursing एवं Hospitality के क्षेत्र में विदेश में उपलब्ध रोजगार के अवसरों से राज्य के युवाओं को जोड़े जाने हेतु प्रयास किये जाएगें।उत्तराखण्ड में मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ की स्थापना एवं उत्तराखण्ड में मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण निधि की स्थापना को केबिनेट ने दी मंजूरी। राज्य में मानव एवं वन्यजीवों के मध्य होने वाली घटनाओं का वैज्ञानिक विश्लेषण किये जाने हेतु मानव वन्यजीव प्रकोष्ठ की स्थापना की जानी प्रस्तावित है, जिसमें प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) / मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के कार्यालय सहयोग हेतु 01 वन क्षेत्राधिकारी अथवा समकक्ष उप वन क्षेत्राधिकारी (विभागीय तैनाती के माध्यम से), 01 पद जी०आई०एस० विशेषज्ञ एवं 02 पद विशेषज्ञ – जे०आर०एफ / एस०आर०एफ० बाह्य स्रोत अनुबंध के आधार रखे जाने का प्रस्ताव है। मानव वन्यजीव संघर्ष के प्रकरण में मृत किसी व्यक्ति के परिजनों अथवा घायल किसी व्यक्ति एवं उनके परिजनों को मौके की परिस्थिति के अनुसार कोई आकस्मिक एवं तात्कालिक सहयोग किये जाने एवं वन्यजीवों के डी०एन०ए० जांच एवं अन्य चिकित्सीय जांच आदि तथा मानव वन्यजीव संघर्ष के अन्तर्गत पकड़े गये वन्यजीवों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने इत्यादि हेतु मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण निधि की स्थापना किया जाना प्रस्तावित है।

उक्त निधि हेतु प्रत्येक वर्ष राज्य सरकार द्वारा 02.00 करोड़ रूपये तक की धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी। इस धनराशि में राज्य सरकार द्वारा अपने विवेकानुसार कमी एवं वृद्धि की जा सकेगी। यह धनराशि नॉन लेप्सेबल धनराशि उपयोग हेतु बनी रहेगी। उक्तानुसार इस कोष का स्वरूप सतत् होगा।

केबिनेट बैठक से पूर्व उत्तराखंड की जनता की ओर से राज्य मंत्रिमण्डल द्वारा स्वर्गीय श्री चन्दन राम दास के शोक संतप्त परिवार प्रति अपनी शोक संवेदनाए प्रकट की और दिवंगत आत्मा की शांति तथा उनके परिवार एवं शुभ चिन्तकों को इस गहन दुःख एवं अपूर्णीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना की तथा दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना को राज्य कैबिनेट ने दी मंजूरी

आप विदेश में रोजगार के अवसर तलाश रहे हैं और कोई रास्ता बनता नहीं दिख रहा तो चिंता की कोई बात नहीं। राज्य की धामी सरकार ने युवाओं के इस सपने को पूरा करने के लिए ‘‘मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना’’ शुरू करने का निर्णय लिया है। आज राज्य मंत्रिमंडल ने इस पर अपनी मुहर भी लगा दी है। योजना की खास बात यह है कि विदेश में रोजगार के इच्छुक युवाओं को उस लिहाज से तराशने का काम भी राज्य सरकार करेगी। इसके अतिरिक्त चयनित होने वाले अभ्यर्थियों के टिकट, वीजा आदि से संबंधित प्रक्रियाओं में भी सरकार मदद करेगी।मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना को आज मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया जिसे कैबिनेट ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।

अपुणी सरकार पोर्टल’ पर एप्लीकेशन विकसित की जा चुकी है

बताया गया कि विदेश में रोजगार के इच्छुक युवाओं से सम्बन्धित डाटाबेस तैयार करने के लिए ‘अपुणी सरकार पोर्टल’ पर एप्लीकेशन विकसित की जा चुकी है। इसके अलावा विदेश रोजगार के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के माध्यम से प्रस्ताव आमंत्रित किये जा रहें हैं तथा अब तक इसी कड़ी में कई संस्थाओं के प्रस्ताव सरकार को प्राप्त हो चकें हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं को विदेश में उपलब्ध रोजगार से राज्य के युवाओं को जोड़े जाने के लिए प्रदेश में कार्य करने के इच्छुक हैं।

इन संस्थाओं से विचार-विमर्श के बाद प्रथम चरण में नर्सिंग और हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्रों में राज्य के युवाओं हेतु उपलब्ध विदेश में रोजगार के अवसरों से जोड़े जाने हेतु कार्य किये जाने पर सहमति बनी है। इसके लिए विदेश रोजगार हेतु युवाओं को डोमेन क्षेत्र में कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के साथ-साथ सम्बन्धित देश की भाषा, संस्कृति एवं कार्य नियमों आदि के बारे में प्रशिक्षण दिया जाना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त चयनित अभ्यर्थियों के टिकट वीजा आदि से सम्बन्धित प्रक्रियाओं में भी सहयोग प्रस्तावित है।

नर्सिंग कॉलेज के प्रधानाचार्य संग हो चुकी है बैठक

नर्सिंग के क्षेत्र में विदेश में उपलब्ध रोजगार के अवसर की जानकारी देने के लिए समस्त नर्सिंग कॉलेजों के प्रधानाचार्यों के साथ वर्कशॉप की जा चुकी है तथा उनके द्वारा इस समबन्ध में पूर्ण सहयोग प्रदान किये जाने का आश्वासन भी दिया गया है। इसके अलावा नर्सिंग एवं हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्रों प्रशिक्षण प्रदान कर रहीं विभिन्न संस्थाओं से इस सम्बन्ध में विचार-विमर्श एवं युवाओं के साथ वर्कशॉप की जा चुकी है।

9 मई को होगी वर्कशॉप

  • आगामी 9 मई को विभिन्न नर्सिंग कॉलेजों से एएनएम एवं जीएनएम उत्तीर्ण युवाओं हेतु जापान में एल्डरली केअर में उपलब्ध रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी प्रदान किये जाने के लिए वर्कशॉप भी रखी गयी है तथा उक्त वर्कशॉप में ही इच्छुक युवाओं का स्क्रीनिंग टेस्ट लिया जायेगा तथा चयनित युवाओं का प्रशिक्षण आरम्भ किया जायेगा ।यह प्रशिक्षण स्किल हब सहसपुर में होना प्रस्तावित है।

केदारनाथ पंहुचे नोडल अधिकारी पुरुषोत्तम

सचिव, ग्राम्य विकास, सहकारिता, पशुपालन/नोडल अधिकारी केदारनाथ यात्रा व्यवस्था डाॅ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने आज गौरीकुंड से केदारनाथ तक पैदल चलकर यात्रा मार्ग में विभिन्न विभागों द्वारा केदारनाथ धाम में दर्शन करने आ रहे तीर्थ यात्रियों के लिए की गई व्यवस्थाओं एवं सुविधाओं का जायजा लिया। उन्होने सोनप्रयाग में यात्रियों के किए जा रहे पंजीकरण का भी जायजा लिया। इसके बाद गौरीकुंड में यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों के संबंध में भी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने पशुपालन विभाग को निर्देश दिए हैं कि यात्रा मार्ग में किसी भी तरह से पशुओं के साथ कोई क्रूरता न हो इसके लिए जो टास्क फोर्स तैनात की गई है वह अपने दायित्वों का निर्वहन बड़ी कुशलता के साथ करें।

उन्होंने यात्रा मार्ग में पेयजल व्यवस्था, विद्युत व स्वास्थ्य सुविधाओं का भी जायजा लिया । उन्होंने जल संस्थान को निर्देश दिए हैं कि यात्रा मार्ग में घोड़े खच्चरो के लिए बनाए गए गर्म पानी की चरियो की निरंतर निगरानी करते हुए साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। इस दौरान उन्होंने यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे मेडिकल केन्द्रों में चिकित्सा सुविधाओं का भी जायजा लिया तथा सभी आवश्यक दवाईयां प्रयाप्त में रखने के निर्देश दिए। सचिव डॉ पुरुषोत्तम ने यात्रा मार्गों में तैनात किए गए जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ, एनडीआरएफ व वाईएमएफ के जवानों से वार्ता कर यात्रा व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि सभी विषम कठिन परिस्थितियों में अपने दायित्वों का निर्वहन सेवाभाव से करें ।

उन्होंने कहा कि दर्शन करने आ रहे तीर्थ यात्रियों के साथ मधुर एवं सौम्य व्यवहार रखें तथा सभी अधिकारी एवं कर्मचारी आपसी समन्वय के साथ कार्य करें। यात्रा मार्ग में किसी यात्री को किसी प्रकार की कोई परेशानी होती है तो उसकी तत्काल सहायता करें। उन्होंने सुलभ इंटरनेशल को निर्देश दिए हैं कि यात्रा मार्ग की साफ-सफाई व्यवस्था के साथ यात्रा मार्ग में स्थापित सुलभ शौचालयों की निरंतर सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि किसी भी तीर्थ यात्री को कोई असुविधा न हो। उन्होंने यात्रा मार्ग में सुरक्षा व्यवस्था में लगे जवानों को निर्देशित किया कि केदारनाथ धाम में पल-पल मौसम खराब होने व बर्फवारी होने की स्थिति में भैरों ग्लेशियर व कुबेर ग्लेशियर में तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए। इस दौरान उन्होंने तीर्थ यात्रियों से भी वार्ता की तथा यात्रा व्यवस्थाओं की जानकारी ली।

G-20 बैठक की तैयारी तेज

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सोमवार को सचिवालय में 24 से 28 मई 2023 में प्रस्तावित जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने कार्यक्रम की रूपरेखा और उनकी तैयारियों पर विस्तृत जानकारी ली। मुख्य सचिव ने कहा कि जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रतिभागियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो इसके लिए एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थलों एवं वापसी में एयरपोर्ट तक विस्तृत रूपरेखा तैयार कर ली जाए। उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों को एयरपोर्ट पर एयरपोर्ट अथॉरिटी एवं जिला प्रशासन आपसी सामंजस्य से हेल्प डेस्क उपलब्ध कराएंगे।

उन्होंने प्रतिभागियों के आवागमन के दौरान यातायात व्यवस्था दुरूस्त रखते हुए सुरक्षा के विशेष प्रबन्ध सुनिश्चित किए जाने के भी निर्देश दिए। कहा कि यातायात योजना इस प्रकार से तैयार की जाए कि न ही जी-20 के प्रतिभागियों को कोई समस्या हो, न ही चारधाम यात्रा के यात्रियों और आमजन को परेशानी का सामना करना पड़े। मुख्य सचिव ने कहा कि देश-विदेश से आए प्रतिभागियों के समक्ष अपने प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति की झलक पहुंचाने के अवसर के रूप में देखते हुए इस कार्यक्रम में प्रदेश के पर्यटन, कला, संस्कृति योगा और आयुष का प्रचार प्रसार के साथ उक्त उत्पादों की जानकारियां भी उपलब्ध करायी जाएं। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान आमजन की भागीदारी भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

जी-20 कार्यक्रम के दौरान जिन-जिन विभागों की भूमिका रहेगी, उन विभागों द्वारा अपने स्तर पर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर. के सुधांशु, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर श्री वी. मुरुगेशन, सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, श्री आर. राजेश कुमार एवं श्री विनोद कुमार सुमन, श्री एस.एन. पाण्डेय, जिलाधिकारी देहरादून श्रीमती सोनिका, उपाध्यक्ष एमडीडीए श्री बंशीधर तिवारी एवं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारी टिहरी सहित अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

5 मांगों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से मिले CM धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नई दिल्ली में शिष्टाचार भेंट कर उत्तराखंड के विकास में उनके मार्गदर्शन और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जी को श्री केदारनाथ और श्री बद्रीनाथ धाम का प्रसाद, गंगा तुलसी, गंगोत्री यमुनोत्री, अलकनंदा और मंदाकिनी का गंगाजल के साथ ही रुद्राक्ष की माला भी भेंट की। डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के विकास से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर प्रधानमंत्री जी का मार्गदर्शन प्राप्त किया।

मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आ रहे हैं। जोशीमठ में केंद्र सरकार के सहयोग से राहत कार्य किए जा रहे हैं। वहां स्थिति सामान्य है। प्रधानंमत्री ने जोशिमठ के संदर्भ में केंद्र सरकार से हर संभव सहयोग के प्रति आश्वस्त किया।मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से माह अक्टूबर/नवम्बर 2023 में राज्य में प्रस्तावित इन्वेस्टर समिट के उद्घाटन के लिए समय दिए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने मानसखण्ड के अन्तर्गत जागेश्वर धाम, “आदि कैलाश / पार्वती सरोवर / ओम पर्वत के दर्शन, लोहाघाट में मायावाती आश्रम की यात्रा के साथ ही सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ में जनसम्बोधन एवं विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास के लिए आने का भी प्रधानमंत्री से आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के दिशा-निर्देश में क्षेत्रीय संपर्क योजना के अर्न्तगत राज्य में वायु सेवाओं में उत्तरोतर वृद्धि हो रही है। मुख्यमंत्री ने राज्य में हवाई सेवाओं के त्वरित विकास हेतु भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य से सम्बन्धित मामलों के शीघ्र निस्तारण हेतु सम्बन्धित को निर्देशित करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि देहरादून स्थित जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण हेतु 243 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। पंतनगर एयरपोर्ट के विस्तारीकरण हेतु फीजिबिलिटी सर्वेक्षण किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने नैनी सैनी एयरपोर्ट का महानिदेशक नागरिक उड्डयन से लाइसेंस नवीनीकरण, एनटीआरओ से जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र दिलवाए जाने का अनुरोध किया। देहरादून-पिथौरागढ़ – हिण्डन वायु सेवा और देहरादून हल्द्वानी- पिथौरागढ़ अल्मोड़ा हेलीकॉप्टर सेवा के सुचारू संचालन के लिए संबंधित को निर्देशित करने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले 5 वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद को 5.5 लाख करोड़ करने का लक्ष्य रखा गया है। पर्यटन कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सेवा क्षेत्रों में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए माह अक्टूबर / नवम्बर 2023 में राज्य में इन्वेस्टमेंट समिट कराये जाने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री ने उक्त इन्वेस्टमेंट समिट के उदघाटन के लिए माह अक्टूबर/ नवम्बर 2023 में समय दिए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विश्व प्रसिद्ध चारधाम की तर्ज पर कुँमाऊ में मानसखण्ड मन्दिर माला परियोजना प्रारंभ की गयी है। इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना के अन्तर्गत कुँमाऊ मण्डल के महत्वपूर्ण पौराणिक / ऐतिहासिक स्थलों को सर्किट से परस्पर जोड़कर लोकप्रियता प्रदान की जायेगी ताकि देश-विदेश से तीर्थयात्री / पर्यटकों को यहाँ आने हेतु आकर्षित किया जा सके और उनकी यात्रा सुगम बनायी जा सके। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जी से मानसखण्ड के अन्तर्गत जागेश्वर धाम, “आदि कैलाश / पार्वती सरोवर / ओम पर्वत के दर्शन, लोहाघाट में रामकृष्ण मठ के अद्वैत आश्रम की शाखा मायावाती आश्रम की यात्रा के साथ ही सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ में जनसम्बोधन एवं विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास के लिए आने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शहरी क्षेत्रों के विकास के अन्तर्गत लगभग 5 से 7 नये शहर विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें प्रथम चरण में उधमसिंह नगर के अन्तर्गत किच्छा में स्थित 2000 एकड़ के पराग फार्म में शहर विकसित करने का प्रस्ताव है। इसके लिए आवास और शहरी मामलों के केंद्रीय मंत्रालय (MoHUA) से रू0 1000 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। यह ग्रीन फील्ड सिटी रूद्रपुर से मात्र 15 कि0मी0 दूरी पर स्टेट हाईवे 47 पर अवस्थित होगी। नजदीकी रेलवे स्टेशन पंतनगर होगा। यह आर्थिकी की दृष्टिकोण से अमृतसर- कोलकत्ता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से गुजरेगा। इस प्रस्तावित शहर के समीप 200 से 250 एकड़ का नोलेज पार्क तैयार करने का प्रस्ताव है। इस शहर के विकसित होने पर लगभग 7000 करोड़ का निजी निवेश अपेक्षित है, जिसमें 50 हजार लोगों के रोजगार सृजन के साथ ही लगभग दो लाख लोगों की आवासीय व्यवस्था सम्भावित हैं। मुख्यमंत्री ने इस ग्रीन फील्ड सिटी को विकसित करने के लिए अपेक्षित धनराशि अवमुक्त कराने का अनुरोध भी किया।

अब जागेश्वर धाम की तस्वीर बदलने की कवायद

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने गुरुवार को सचिवालय में जागेश्वर धाम मास्टर प्लान के सम्बन्ध में पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जागेश्वर धाम के साथ ही आसपास के क्षेत्रों को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए ।मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि जागेश्वर धाम मास्टर प्लान में, क्षेत्र की यातायात व्यवस्था, आने वाले 30-40 सालों के अनुरूप विकसित की जाए। आने वाले समय में जो क्षेत्र बॉटल नेक बन सकते हैं, उन्हें अभी से इस प्रकार से डिजाइन किया जाए कि यातायात बढ़ने के बाद भी जाम की संभावना कम हो।

उन्होंने कहा कि आसपास के क्षेत्र में वन क्षेत्र होने के कारण ईको दूरिज्म की सम्भावनाएं भी तलाशी जाएं, साथ ही, बच्चों और युवाओं के अनुरूप ट्रेकिंग आदि की संभावनाएं भी तलाशी जाएं। उन्होंने कहा कि जागेश्वर धाम के पास वृद्ध जागेश्वर क्षेत्र को भी मास्टर प्लान में सम्मिलित करते हुए विकसित किया जाए।मुख्य सचिव ने प्रदेश भर में ऐसे दर्शनीय स्थलों को भी चिन्हित किए जाने के निर्देश दिए, जहाँ दूरबीन स्थापित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में ऐसे बहुत से व्यू प्वाइंट हैं जहाँ से हिमालय की पूरी श्रंखला दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में चारधाम यात्रा के दौरान गढ़वाल क्षेत्र में काफी भीड़ होती है, ऐसे में कुमाऊं क्षेत्र विकसित हो जाने के बाद कुमाऊं क्षेत्र के ऐसे धार्मिक और पर्यटक स्थल पर्यटकोंनके लिए अच्छा विकल्प हो सकते हैं।

बदरीनाथ धाम के खुले कपाट। पावन अवसर के साक्षी बने हजारों श्रद्धालु।

भगवान श्री बद्रीनाथ मंदिर के कपाट आज गुरूवार को सुबह 7ः10 बजे शुभ मुहूर्त पर ब्रहम बेला में पूरे वैदिक मंत्रोचारण एवं विधि विधान के साथ श्रद्वालुओं के लिए खुल गए है। इस मौके पर पहली पूजा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नाम से की गई। कपाटोद्घाटन के साक्षी बनने के लिए हजारों संख्या में श्रद्वालु धाम मौजूद थे। गुरूवार को सुबह चार बजे से कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हुई। कुबेर जी, श्री उद्वव जी एवं गाडू घडा दक्षिण द्वार से मंदिर में परिसर में लाया गया। इसके बाद मंदिर के मुख्य पुजारी रावल समेत धर्माधिकारी, हकहकूधारी एवं श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पदाधिकारियों द्वारा प्रशासन एवं हजारों श्रद्वालुओं की मौजूदगी में विधि विधान के साथ मंदिर के कपाट खोले गए।

मुख्य पुजारी वीसी ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने गर्भगृह में भगवान बद्रीनाथ की विशेष पूजा-अर्चना करते हुए सबके लिए मंगलमय की कामना की। पहली पूजा प्रधानमंत्री मोदी के नाम से की गई। इसके साथ ही ग्रीष्मकाल के लिए बद्रीनाथ के दर्शन शुरू हो गए है। कपाटोद्घाटन के अवसर पर बद्रीनाथ मंदिर को 15 कुंतल फूलों से सजाया गया।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कपाट खुलने के शुभ अवसर पर समस्त श्रद्धालुओं को अपनी शुभकामनाएं प्रदान की हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा के सकुशल संचालन हेतु राज्य सरकार ने तमाम व्यवस्थाएं की हैं।

विगत वर्षो में लाखों श्रद्वालु बद्रीनाथ की यात्रा कर चुके है। पिछले आंकडो पर नजर डाले तो वर्ष 2016 में 654355, वर्ष 2017 में 920466 तथा वर्ष 2018 में 1048051, वर्ष 2019 में 1244993 तथा वर्ष 2020 में 155055 श्रद्वालु बद्रीनाथ पहुॅचे। वर्ष 2021 में कोरोना संकट के कारण 197997 श्रद्वालु ही बदीनाथ पहुॅचे। जबकि कोरोना महामारी पर नियंत्रण के बाद विगत वर्ष 2022 में 1763549 श्रद्वालु बद्रीनाथ धाम पहुॅचे। इस बार शुरूआत में ही रिकार्ड पंजीकरण के साथ बडी संख्या में श्रद्वालु बदरीनाथ पहुॅच रहे है।

हल्की बर्फबारी व बारिश के बीच सेना की टुकडी ने बैण्ड की मधुर धुन तथा स्थानीय महिलाओं के पारम्परिक संगीत व नृत्य के साथ भगवान बद्रीनाथ की स्तुति ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देशों के अनुरूप बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के अवसर पर तीर्थ यात्रियों के स्वागत में हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा से श्रद्वालु गदगद हो उठे। कपाट खुलने के एक दिन पूर्व से ही बद्रीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी थी। पहले दिन ही हजारों श्रद्धालुओं ने बद्रीनाथ में अखण्ड ज्योति एवं भगवान श्री बद्रीनाथ के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है।

बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही भू-बैकुण्ठ धाम के आसपास तप्तकुण्ड, नारद कुण्ड, शेष नेत्र झील, नीलकण्ठ शिखर, उर्वशी मन्दिर, ब्रह्म कपाल, माता मूर्ति मन्दिर तथा देश के प्रथम गांव माणा, भीमपुल, वसुधारा जल प्रपात एवं अन्य ऐतिहासिक व दार्शनिक स्थलों पर भी श्रद्वालुओं एवं पर्यटकों की भीड जुटने लगी है।

स्वास्थ्य विभाग की अनूठी पहल, यात्रियों की सुविधा के लिए 9 भाषाओं में जारी की चारधाम यात्रा की एसओपी

  • आज पूर्ण विधिविधान से भगवान ब्रदीविशाल के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का विधिवत् श्रीगणेश शुरू गया है। यमुनोत्री, गंगोत्री और बाबा केदारधाम के कपाट पहले ही खुल चुके हैं। चारधाम यात्रा का विधिवत् आगाज होते ही उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग चारधाम यात्रा को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद नजर आ रहा है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार लगातार चारोंधामों की स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े अधिकारियों से अपडेट लेने के साथ जरूरी निर्देश दे रहे हैं।
  • चारधाम यात्रियों की सुविधा को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने पहली बार 9 भाषाओं में यात्रा की नई एसओपी जारी की है। मातृ भाषा हिन्दी के साथ ही तमिल, उडिया, कन्नड, मराठी, बंगाली, पंजाबी, गुजराती और अंग्रेजी में यह एसओपी आज जारी की गई है। एसओपी जारी करते हुए मीडिया से बात करते हुए स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा कि हिन्दी सहित कुल 9 भाषाओं में एसओपी जारी की गई है। लोकल लैंग्वेज में एसओपी जारी होने से यात्रियों को सुविधा होगी।
  • चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्री पूरी एसओपी का अध्यन करने के साथ पूरी तैयारी के साथ यात्रा में आयेंगे। स्वास्थ्य सचिव ने यात्रियों से अपील करते हुए कहा कि पूरी तैयारी के साथ यात्रा पर आयें। यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की जल्दबाजी न करें। सुगम और सुरक्षित यात्रा के लिए अपने शरीर को यात्रा के वातावरण के अनूकूल बनायें। जब आपका शरीर वातावरण के अनूकूल हो जाये तो फिर यात्रा करना शुरू करें। स्वास्थ्य संबधी किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर नजदीकी चिकित्सा इकाई से संपर्क करें।
  • स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा चारधाम यात्रा में समस्त तीर्थ स्थल उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं, जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मी० से भी अधिक है उन स्थानों में यात्रीगण अत्यधिक ठण्ड, कम आर्द्रता, अत्यधिक अल्ट्रा वॉइलेट रेडिएशन, कम हवा का दबाव और कम ऑक्सीजन की मात्रा से प्रभावित हो सकते हैं। अतः सभी तीर्थ यात्रियों के सुगम एवं सुरक्षित यात्रा हेतु निम्न दिशा निर्देश निर्गत किये जा रहे हैं।*यात्रा से पूर्व*1- योजना बनाना, तैयारी करना, पैक करना:- रोकथाम पर ध्यान देने से आप अपनी यात्रा के दौरान सुरक्षित रह सकते हैं। कृपया अपनी यात्रा से पहले चिकित्सा और ट्रेक की तैयारी सुनिश्चित करें। उच्च ऊंचाई बीमारी का कारण बन सकती है इसके लिए योजना बनाना, तैयारी करना और पैक करना महत्वपूर्ण है।
  • *योजना बनाना*1- अपनी यात्रा की योजना कम से कम 7 दिनों के लिए बनाएं, वातावरण के अनुरूप अनुकूलन के लिए समय दें अनेक ब्रेक की योजना बनाएं ट्रैक के हर एक घंटे बाद या ऑटोमोबाइल चढ़ाई के हर 2 घंटे बाद, 5-10 मिनट का ब्रेक लें ।
  • *तैयारी करना*1-रोजाना 5-10 मिनट के लिए श्वास व्यायाम का अभ्यास करें2-रोजाना 20-30 मिनट टहलें3-यदि यात्री की आयु 55 वर्ष है या वह हृदय रोग, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, या मधुमेह से 4-ग्रस्त है,तो यात्रा के लिए फिटनेस सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य जांच करवाएं*सामान पैक करना*1- गर्म कपड़े ऊनी स्वेटर, धर्मल, पफर जैकेट, दस्ताने मोजे ऽ बारिश से बचाव के यंत्र रेनकोट, छाता2- स्वास्थ्य जांच उपकरण पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर पहले से मौजूद स्थितियों (हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह) वाले यात्रियों के लिए-3- सभी जरूरी दवा, परीक्षण उपकरणों और अपने घर के चिकित्सक का संपर्क नंबर ले जाएं ।
  • *ध्यान दें………*1- कृपया अपनी यात्रा से पहले मौसम रिपोर्ट की जांच करें, और सुनिश्चित करें कि आपके पास ठंडे तापमान में प्रबंधन करने के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े हैं।2- अगर आपके डॉक्टर यात्रा न करने की सलाह देते हैं, तो कृपया यात्रा न करें*यात्रा के दौरान क्या ध्यान रखना है।*1-स्वस्थ सतर्क सफल यात्रा अपनी सुविधा के लिए यात्रा मार्ग के साथ स्वास्थ्य विभाग द्वारा रखे गए संचार को देखें, और सभी दिशा निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें।2-यात्रियों की सेवा के लिए नियोजित निकटतम चिकित्सा इकाई के मानचित्र का संदर्भ लें।-
  • चिकित्सा राहत केंद्र-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिला अस्पताल1-उत्तराखंड चिकित्सा इकाई की पहचान करने के लिए इमारतों पर स्पष्ट नाम बोर्ड देखें।2- यदि आप या आपके परिवार के किसी भी सदस्य को नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई भी महसूस हो रहा है, तो कृपया तुरंत निकटतम चिकित्सा इकाई पर पहुंचें त्वरित जांच आपके जीवन को बचा सकती।*आपको चिकित्सा इकाई से कब संपर्क करना है।* 1-सीने में दर्द की शिकायत2-सांस की तकलीफ (बात करने में कठिनाई)3-लगातार खांसी चक्कर आना/भटकाव (चलने में कठिनाई)4-उल्टी5-बर्फीली/ठंडी त्वचा6-शरीर के एक तरफ कमजोरी / सुन्नता 7-उच्च ऊंचाई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। एक मिनट की सावधानी आपका जीवन बचा सकती है।
  • *इन यात्रियों का रखा जाये विशेष ध्यान।*
  • 1- 55 वर्ष से अधिक आयु वाले यात्री
  • 2- गर्भवती महिलाएं 3- हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, और मधुमेह के इतिहास वाले यात्री
  • 4- अधिक मोटापे से ग्रस्त (30 बी.एम.आई) यात्री*यात्रियों को सलाह*1- यात्रा के दौरान शराब, कैफीनयुक्त ड्रिंक्स, नींद की गोलियां और मजबूत/ शक्तिशाली दर्द निवारक दवाओं का सेवन न करें, धूम्रपान से भी बचें।2- यात्रा के दौरान कम से कम 2 लीटर तरल पदार्थ पीएं और भरपूर पौष्टिक आहार लें।हम आपकी सेवा में उपलब्ध है- किसी भी असुविधा के मामले में हमारे स्वास्थ्य स्क्रीनिंग केंद्रों अथवा चिकित्सा इकाइयों पर संपर्क करें और अपने स्वास्थ्य की जांच करवाएं।इसके अतिरिक्त, कोई भी स्वास्थ्य सम्बंधित आपातकालीन घटना होने पर कृपया हमसे 104 हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।

सीएम धामी ने लगाया लोक सेवा आयोग के प्रस्ताव पर ब्रेक

लोक सेवा आयोग की योजना CM पुष्कर सिंह धामी ने की फेल. लोक सेवा आयोग को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खाली हाथ लौटा दिया है। लोक सेवा आयोग के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने फिलहाल टाल दिया है। यानी जुलाई के महीने में आयोजित होने वाली लोक सेवा आयोग की परीक्षा पुराने पैटर्न पर ही होगी । लोक सेवा आयोग उत्तराखंड के कार्मिक विभाग के साथ मिलकर नई योजना पर काम कर रहा था।

इसके मुताबिक नए सिलेबस के हिसाब से लोक सेवा आयोग पीसीएस परीक्षा आयोजित करने की तैयारी कर रहा था। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आयोग की इस योजना पर फिलहाल रोक लगा दी है । लोक सेवा आयोग अभी तक प्रारंभिक और मुख्य दो स्तर पर परीक्षाओं का आयोजन पीसीएस के लिए करता है। प्रारंभिक परीक्षा में पास होने वाले अभ्यर्थियों को सबसे पहले एक पेपर भाषा का देना होता है। इसके अलावा कई अन्य विषयों से संदर्भित परीक्षाएं होती है। यह परीक्षाएं काफी लंबी होती हैं और उनकी तैयारियों के लिए भी अच्छा खासा समय चाहिए होता है । लेकिन अब लोक सेवा आयोग उत्तराखंड में संघ लोक सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की तर्ज पर परीक्षा के पैटर्न और सिलेबस में बदलाव करने की दिशा में कदम बढ़ाया था।

इसके मुताबिक एक तो वैकल्पिक विषय को परीक्षा के लिए रखा गया था और साथ-साथ अंग्रेजी विषय को भी परीक्षा में शामिल कर लिया गया था ।उत्तराखंड में वैकल्पिक विषय को लेकर तो ज्यादा हंगामा नहीं हुआ लेकिन अंग्रेजी विषय को रखने को लेकर राज्य के कई सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा विरोध दर्ज किया गया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने भी यह सारी बातें स्पष्ट रूप से रखी गई।

इसमें तर्क दिया गया कि उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को अंग्रेजी से थोड़ी परेशानी हो सकती है ।ऐसे में परीक्षा के नतीजों में राज्य के युवाओं को नुकसान हो सकता है। मुख्यमंत्री सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की बात से सहमत हो गए थे ।अब जब लोक सेवा आयोग और कार्मिक विभाग प्रस्ताव के साथ मुख्यमंत्री के सामने पहुंचा तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंग्रेजी को ध्यान में रखते हुए नए प्रस्ताव को लौटा दिया है। कहा गया है कि नए पैटर्न के हिसाब से परीक्षा कराने के लिए छात्र छात्राओं को समय दिया जाना चाहिए। फिलहाल परीक्षाएं आयोजित होंगी।