उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर दबाव बनाए हुए हैं। सतपाल महाराज की मांग है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अधिकारियों की एसीआर लिखने का अधिकार मंत्रियों को दें । सतपाल महाराज इसके लिए कई बार कैबिनेट बैठक में चर्चा कर चुके हैं और मीडिया में बयान दे चुके हैं। महाराज कई बार अपने अधिकारियों को भी कई बार लताड़ लगा चुके हैं।
सतपाल महाराज ने एक बार फिर से यह शिगूफा पिछली कैबिनेट मीटिंग में छेड़ा था। मीटिंग में एजेंडा नहीं था, लेकिन सतपाल महाराज ने अपने सचिवों की एसीआर लिखने की मांग पुष्कर सिंह धामी से की । एसीआर यानी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट। अभी तक यह व्यवस्था है कि मुख्यमंत्री ही तमाम सचिवों प्रमुख सचिवों की एसीआर लिखा करते हैं। लेकिन यह व्यवस्था हमेशा से नहीं थी। पहले मंत्रियों को अपने सचिवों की एसीआर लिखने का अधिकार था । जिस समय एनडी तिवारी की सरकार थी उस समय यह व्यवस्था चला करती थी । लेकिन बीसी खंडूरी की सरकार आने के बाद इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया।
इस पर कोई ज्यादा हो हल्ला किसी मंत्री ने नहीं मचाया। लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार बनने के बाद 2017 से कैबिनेट मंत्री की भूमिका में रहे सतपाल महाराज एसीआर लिखने को अपना अधिकार मानते हैं सतपाल महाराज का मानना है कि अगर एसीआर लिखने का अधिकार मंत्रियों के पास होगा तो इससे अधिकारी नियंत्रण में रहेंगे और मंत्री अपने काम करा सकेंगे। लेकिन वास्तव में किसी मुख्यमंत्री ने सतपाल महाराज की इस मांग पर कोई ज्यादा तवज्जो नहीं दी। अब एक बार फिर से सतपाल महाराज ने अपनी मांग को लेकर दबाव बनाना शुरू किया हुआ है।
सतपाल महाराज की मांग पर दूसरे कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एसीआर कोई भी लिखे इससे क्या फर्क पड़ता है। इसका यह मैसेज गया कि जैसे सुबोध उनियाल को एसीआर से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता और वह सतपाल महाराज की बात को सीधे सीधे तरीके से खारिज कर रहे थे। लेकिन इस बयान के बाद सतपाल महाराज ने एक बार फिर से कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कहां है ऐसे तो मंत्री हंसी के पात्र बन रहे हैं।अब देखना यह है कि अपने कैबिनेट मंत्रियों की मांग पर या उनके दबाव पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी क्या फैसला लेते हैं?
ग्याहरवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले गये।
बाबा केदार में पहली पूजा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नाम से की गई।
श्रद्धालुओं पर की गई पुष्प वर्षा।
कपाट खुलने पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री केदारनाथ में की पूजा-अर्चना।
मुख्यमंत्री ने देश एवं प्रदेश की सुख-समृद्धि की बाबा केदार से की प्रार्थना।
ग्याहरवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाट विधि विधान के साथ मंगलवार को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिये गये हैं। श्री केदारनाथ में पहली पूजा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नाम से की गई। रावल भीमाशंकर लिंग तथा पुजारी शिवलिंग एवं धर्माचार्यों द्वारा पूजा अर्चना की गई।
कपाट खुलते समय सेना के बैंड तथा भजन कीर्तन एवं जय श्री केदार के उदघोष से केदारनाथ धाम गुंजायमान रहा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गयी।
श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री केदारनाथ में पूजा-अर्चना कर देश एवं प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। सभी देश एवं प्रदेशवासियों के सुखमय जीवन की उन्होंने बाबा केदार से प्रार्थना की। मुख्यमंत्री ने बाबा केदार के दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं का स्वागत भी किया। मुख्यमंत्री ने मंदिर परिसर में मुख्य सेवक द्वारा आयोजित भंडारा कार्यक्रम में प्रतिभाग किया ।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड की चारधाम यात्रा को सुगम एवं सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव प्रयास किये गये हैं। समाजिक संगठनों, स्वयं सेवी संस्थाओं का भी यात्रा के लिए पूरा सहयोग मिल रहा है। पिछले वर्षों के अनुभवों के आधार पर यात्रा व्यवस्थाओं को आगे बढ़ाने का कार्य किया गया है।
उन्होंने बाबा केदार के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि मौसम की जानकारी लेकर बाबा केदार के दर्शन लिए आयें, ताकि किसी को भी मौसम की वजह से कोई असुविधा न हो। गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम में यात्रा सुचारू रूप से चल रही है। 27 अप्रैल को भगवान बद्री विशाल के कपाट भी श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुल जायेंगे।
इस अवसर पर श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री अजेन्द्र अजय, विधायक केदारनाथ श्रीमती शैला रानी रावत , जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती अमरदेई शाह , जिला अध्यक्ष भाजपा सिंह महावीर पंवार, पूर्व अध्यक्ष भाजपा श्री दिनेश उनियाल, जिलाधिकारी श्री मयूर दिक्षित , पुलिस अधीक्षक सुश्री विशाखा अशोक भदाणे, मुख्य कार्याधिकारी केदारनाथ योगेंद्र सिंह एवं श्रद्धालु मौजूद थे।
विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट विधि विधान के साथ शनिवार को अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए है। तय कार्यक्रमानुसार गंगोत्री धाम के कपाट सुबह 12 बजकर 35 मिनट पर और यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर 12 बजकर 41 मिनट पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए है। अब अगले छह माह तक श्रद्धालु गंगोत्री में मां गंगा एवं यमुनोत्री धाम में मां यमुना के दर्शन कर सकेंगे।
दोनों धाम में पहली पूजा, मुख्यमंत्री श्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नाम से संकल्प करवाकर करवाई।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को खरशाली, यमुनोत्री में पूजा अर्चना की। उसके बाद मां यमुना जी की उत्सव डोली को शनि देव की अगुवाई में खरशाली से यमुनोत्री धाम के लिए रवाना किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा की आज मां यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो चुका है।
25 अप्रैल को श्री केदारनाथ एवं 27 अप्रैल को श्री बद्रीनाथ के कपाट खुलेंगे। चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं का देव भूमि आगमन पर स्वागत किया गया। श्रद्धालुओं पर हैलीकॉप्टर के माध्यम से पुष्प वर्षा की गई है।मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा हर्षोल्लास के साथ होगी। उन्होंने देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का देवभूमि उत्तराखंड में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भगवान बद्री विशाल, बाबा केदार, मां यमुनोत्री एवं गंगोत्री की कृपा सभी पर बनी रहे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर देश एवं प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना भी की।मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गंगोत्री धाम में पूजा-अर्चना कर मां गंगा जी का आशीर्वाद लिया ।
मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा की चारधाम यात्रा के लिए देश विदेश से जो भी श्रद्धालु आएंगे उनके दर्शन कराए जाएंगे। चार धाम यात्रा के दृष्टिगत सभी तैयारियां की गई है। सुरक्षित एवं सुगम यात्रा के लिए राज्य सरकार कृत संकल्पित है। राज्य में श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि यात्रा की सभी व्यवस्थाओं की नियमित निगरानी की जा रही है।गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष हरीश सेमवाल ने बताया कि शुक्रवार को 12:15 मिनट पर मां गंगा की उत्सव डोली अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव से गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुई। रात्री विश्राम भैरव घाटी स्थित भैरव मंदिर में करने के उपरांत अगले दिन सुबह 8 बजे मां गंगा की उत्सव डोली गंगोत्री धाम पहुंची। जहां विधिविधान के साथ गंगा पूजन, गंगा सहस्त्रनाम पाठ एवं विशेष पूजा अर्चना के बाद सर्वाथ अमृत सिद्ध योग पर 12:35 पर गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए।
यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने बताया कि मां यमुना की डोली शनिवार सुबह अक्षय तृतीय के पर्व पर अपने शीतकालीन प्रवास खरसाली गांव से प्रात: 8 बजे शनिदेव की अगुवाई में यमुनोत्री धाम को रवाना हुई। डोली 11 बजे यमुनोत्री धाम पहुंची। जहां पूजा अर्चना एवं हवन करने के बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अभिजीत मूहूर्त में 12:41 पर यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोल दिए गए है। इस अवसर पर विधायक सुरेश चौहान, जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला,एसपी अपर्ण यदुवंशी,जिलाध्यक्ष बीजेपी सतेंद्र सिंह राणा,अध्यक्ष कॉपरेटिव बैंक विक्रम सिंह,सहित मंदिर समिति के पदाधिकारी,श्रद्धालु एवं अधिकारीगण उपस्थित थे।जिला सूचना अधिकारी,उत्तरकाशी।
अक्षय तृतीया के अवसर पर गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किये हैं। इस बार तीर्थयात्रियो को यात्रा मार्ग पर पहले से बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। राज्य सरकार का विशेष फोकस केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहत्तर बनाने पर रहा है। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत परखने सचिव डॉ आर राजेश कुमार पैदल मार्ग से केदारनाथ पहुंचे।
10 एमआरपी, 2 सीएचसी, और 5 हैल्थ एटीएम हैं स्थापित.स्वास्थ्य सचिव के मुताबिक केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर इस बार सरकार का विशेष फोकस है। यहां 10 मेडिकल रिलीफ पोस्ट बनाई गयी है। इसके साथ ही यात्रा मार्ग पर दो पीएचसी सेटर भी स्थापित हैं।
चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों को पहले से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए स्वास्थ्य महकमे ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत के निर्देश पर स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार चारधाम यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत परख रहे हैं। इस कड़ी में स्वास्थ्य सचिव ने बदरीनाथ धाम के बाद आज केदारनाथ धाम तक की पैदल यात्रा कर जगह-जगह स्वास्थ्य इकाइयों का निरीक्षण कर रहे हैं।
स्वास्थ्य सचिव पहले रुद्रप्रयाग पहुंचे। सुबह स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग में पढ़ने वाले 10 मेडिकल रिलीफ प्वाइंट और दो पीएचसी का निरीक्षण कर तमाम व्यवस्थाओं का जायजा लिया। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर छौड़ी, चीरबासा, जंगल चट्टी, भीमबली, रामबाड़ा, छोटी लिनचोली, बडी लिनचोली, छानी, रुद्रा पॉइन्ट, बेस कैम्प, केदारनाथ में मेडिकल रिलीफ प्वाइंट बनाये गये हैं।
केदारनाथ धाम पैदल यात्रा के पहले पड़ाव गौरीकुंड से पैदल शुरू हुआ सचिव स्वास्थ्य का काफिला दोपहर बाद केदारनाथ धाम में जाकर रूका। इस दौरान रास्ते में मौसम का बदला मिजाज भी देखने को मिला। यात्रा मार्ग पर जगह-जगह भारी बर्फ जमी हुई देखने को मिली। बर्फबारी के बावजूद हर मेडिकल रिलीफ प्वाइंट पर स्वास्थ्य विभाग की टीम मुस्तैद नजर आई। स्वास्थ्य सचिव ने यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले प्रत्येक मेडिकल रिलीफ प्वाइंट का बारीकी से निरीक्षण कर दवाओं का स्टॉक, ऑक्सीजन सिलेंडर व अन्य सामान का स्टॉक जांचा। इसके साथ ही स्वास्थ्य सचिव ने टेली मेडिसन यूनिट का भी निरीक्षण किया। स्वास्थ्य सचिव ने कहा टेलीमेडिन सेवा स्वास्थ्य संबधी गंभीर परिस्थिति उत्पन्न होने पर यह यात्रियों के लिए वरदान साबित होगा। इसके द्वारा किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति में 24 घंटे विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह प्राप्त की जा सकती है। जिससे बीमारी का तुंरत उपचार शुरू हो सकेगा।
इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों-कर्मचारियों को पूर्ण सेवाभाव और मनोयोग से यात्रियों की स्वास्थ्य जांच व सहयोग करने की अपील की। स्वास्थ्य सचिव ने स्वास्थ्य सेवाओं पर संतुष्टि जाहिर की। इस दौरान उनके साथ डिप्टी सीएमओ रूद्रप्रयाग डॉ बिमल गुसाईं, आईसीबीसीसी चमोली के अधिकारी उदय सिहं रावत समेत अन्य स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर मिलेंगी पहले से बेहत्तर स्वास्थ्य सेवायें – डॉ आर राजेश कुमार
पैदल मार्ग से केदारनाथ धाम पहुँचे स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार,
यात्रा से पहले निरीक्षण किया सचिव ने
प्रत्येक मेडिकल रिलीफ पोस्ट में चिकित्सकों के साथ ही लगभग आधा दर्जन प्रशिक्षित मेडिकल स्टॉफ तैनात किया गया है। वहीं दोनों सीएचसी में विशेषज्ञ चिकित्सों के साथ ही एक दर्जन से अधिक प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती की गई है। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर पांच स्थानों पर हेल्थ एटीएम की स्वीकृति दी गई थी। इनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गुप्तकाशी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फाटा, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गौरीकुंड और माधव चिकित्सालय नारायणकोटी में हेल्थ एटीएम की स्थापना कर दी गई है। एक हेल्थ एटीएम की स्थापना केदारनाथ धाम से पहले बेस कैंप के एमआरपी में की जा रही है।
हेल्थ एटीएम में ब्लड प्रेशर, शुगर, वजन, लंबाई, शरीर का तापमान, शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा आदि की जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि पांचों हेल्थ एटीएम में कार्य करने वाले तकनीकि स्टॉप को बुधबार प्राथमिक) स्वास्थ्य केंद्र गुप्तकाशी में प्रशिक्षण दिया गया है।*डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, ऑक्सीजन सिलेंडर और दवाओं की प्रयाप्त व्यवस्था*स्वास्थ्य सचिव के अनुसार यात्रा मार्ग पर ऐसे डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गयी है जो कि हृदय संबंधी रोगों के उपचार और निदान में पारंगत हों। उन्होंने कहा कि हम चारधाम यात्रा को पूरी तरह से सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए संकल्पित हैं। यात्रा मार्गों पर मौजूद अस्पतालों में डाक्टर, स्टाफ, आक्सीजन सिलेंडर और दवाओं की व्यवस्था की गयी है। चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के इंतजाम किए गए हैं। केंद्र सरकार की ओर से राज्य को पूरा सहयोग मिल रहा है। इस बार किसी भी यात्री को स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।
उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा पर एक बार फिर से अपना पुराना फैसला पलट दिया है । राज्य सरकार की तरफ से अब नया फरमान जारी किया गया है। पहले चार धाम यात्रा में आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या को नियंत्रित कर दिया गया था। लेकिन अब सरकार ने अपने पुराने फैसले को वापस ले लिया है।
व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिहाज से राज्य सरकार ने सबसे पहले बद्रीनाथ धाम में हर रोज 18000 तीर्थ यात्रियों को ही दर्शनों की अनुमति देने का फैसला लिया था। केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 15000 गंगोत्री में 9500 और यमुनोत्री में 5500 तीर्थ यात्रियों को ही दर्शनों की अनुमति दिए जाने का कठोर कदम राज्य सरकार ने उठाया था। लेकिन अब राज्य सरकार ने किसी भी धाम में यात्रियों की संख्या को सीमित नहीं करने का फैसला लिया है।
राज्य सरकार के सामने चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों और व्यापारी वर्ग ने मुलाकात की ।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आग्रह किया और उसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने तमाम अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद इस फैसले को पुराने फैसले को पलट दिया। आपको बता दें कि उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था चारों धामों पर टिकी हुई है ।
लेकिन राज्य सरकार ने यात्रियों के रजिस्ट्रेशन पर अपना फैसला बरकरार रखा है। कोई भी तीर्थयात्री रजिस्ट्रेशन कर के दर्शनों के लिए आ सकता है। हालांकि इसमें भी एक छूट भी राज्य सरकार ने दी है। यदि कोई यात्री या पर्यटक भूलवश उत्तराखंड में आ जाता है तो वह ऑफलाइन या किसी स्थान विशेष में जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकता है। अब यह व्यवस्था कितनी कारगर होगी यह देखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होगा ।
राज्य सरकार ने अपने स्वास्थ्य सचिव को केदारनाथ धाम की यात्रा का जायजा लेने के लिए भेजा है । डॉक्टर राजेश कुमार सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक पैदल यात्रा करके स्वास्थ्य की सुविधाओं का परीक्षण कर रहे हैं। आपको बता दें कि पिछले साल चार धाम यात्रा में 250 से ज्यादा तीर्थयात्रियों की मौत स्वास्थ्य कारणों से हो गई थी ।इसलिए राज्य सरकार इस बार स्वास्थ्य परीक्षण कराए जाने पर सबसे ज्यादा जोर दे रही है और अपनी व्यवस्थाओं को भी चाक-चौबंद करने के लिए तैयारियों में जुटी हुई है ।राज्य सरकार के साथ-साथ इस साल केंद्र सरकार भी यात्रा पर खास फोकस कर रही है और एम्स ऋषिकेश को उसने नोडल एजेंसी बनाया है। अब देखना यह है कि इस बार यात्रा में व्यवस्थाओं को सुचारू रखने में राज्य सरकार और क्या क्या कदम उठाती है ।
22 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट पूरे विधि विधान से खोल दिए गए ।25 अप्रैल को श्री केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाने हैं और 27 अप्रैल को श्री बद्री विशाल धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को आईएसबीटी, ऋषिकेश में संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति द्वारा अयोजित “ऋषिकेश से चारधाम यात्रा – 2023” के शुभारंभ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने चार धाम जा रहे श्रद्धालुओं का माल्यार्पण कर स्वागत किया एवं यात्रा हेतु श्रद्धालुओं से भरी बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। हंस फाउंडेशन द्वारा चालकों, परिचालकों एवं श्रद्धालुओं हेतु दी जा रही राहत किट का वितरण भी मुख्यमंत्री धामी द्वारा किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा हेतु आए सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए कहा कि बाबा केदार, बद्रीविशाल, मां गंगोत्री और मां यमनोत्री से प्रार्थना करता हूँ कि विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी चारधाम यात्रा हर्षोल्लास एवम् धूमधाम से सकुशल संपन्न हो। उन्होंने कहा हमें पूर्ण विश्वास है की इस वर्ष की चारधाम यात्रा अपने पिछले सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ेगी। राज्य सरकार सुरक्षित चारधाम यात्रा के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। सरकार द्वारा प्रत्येक स्तर पर चारधाम यात्रा संबंधी तैयारियों की निरंतर समीक्षा की जा रही है। हमारा प्रयास रहेगा कि जो भी श्रद्धालु, यात्रा खत्म होने के उपरांत अपने घर लौटे वह देवभूमि उत्तराखंड में बिताए गए समय की स्वर्णिम यादों को साथ लेकर जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चार धाम यात्रा उत्तराखंड राज्य के लिए एक उत्सव है। उन्होंने कहा देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड आते हैं। इससे राज्य में रोजगार के कई अवसर पैदा होते हैं। इस वर्ष अभी तक 16 लाख लोगों द्वारा यात्रा हेतु रजिस्ट्रेशन करवाया गया है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक श्रद्धालुओं की यात्रा शुभम सुरक्षित शत प्रतिशत हो। 2022 में यात्रा खत्म होते ही सरकार 2023 की यात्रा की तैयारियों में जुट गई थी। चार धाम आने वाले श्रद्धालुओं पर भगवान की विशेष कृपा होती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केदारनाथ का भव्य एवं दिव्य पुनर्निर्माण कार्य हुआ है साथ ही इस वर्ष से श्रद्धालुओं को बद्रीनाथ धाम में भी मास्टर प्लान के कार्य दिखेंगे। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री जी ने हेमकुंड साहिब एवं गौरीकुंड से केदारनाथ तक के रोप-वे का शिलान्यास कर दिया है इससे आने वाले समय में यात्रा और ज्यादा शुभम होगी। ऑल वेदर रोड के निर्माण से पहले के मुकाबले आज यात्री बेहद कम समय में ऋषिकेश से चार धाम पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा राज्य में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु की चिंता करना सरकार का कर्तव्य है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति श्रद्धालुओं को यात्रा संपन्न कराने में अपना सहयोग प्रदान करती हैं। जो कि अत्यधिक सराहनीय है। उन्होंने कहा राज्य सरकार का प्रयास है कि जब श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आएं तो उन्हें हर सुख सुविधा उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे भविष्य में बार – बार उत्तराखंड आने का मन बनाएं, जिससे हमारे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिल सके।
इस बार सरकार की तरफ से चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत में “हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा” करने का भी निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने चार धाम यात्रा में लगे सफाई कर्मचारियों से लेकर सुरक्षा में तैनात रहने वाले प्रत्येक पुलिस के जवान और प्रशासनिक अधिकारी से अपील करते हुए कहा कि हम सभी अपने स्तर में सर्वश्रेष्ठ कार्य करें। जिससे यात्रा में आने वाले किसी भी श्रद्धालु को असुविधा का सामना न करना पड़े। आपसी सहयोग और भगवान के आशीर्वाद से हम सभी इस बार की यात्रा को भी सुरक्षित संपन्न कराने में सफल रहेंगे।
कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि यहां आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु हमारे परिवार समान हैं। आप सबकी सुगम यात्रा हो यह हमारा कर्तव्य है उन्होंने कहा प्रत्येक निकाय/ पालिका में रेन बसेरा एवं शौचालय में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वह जहां भी विश्राम करें एवं भोजन करें वहां से बिल अवश्य लें। साथ ही स्थानीय उत्पादों कि अधिक से अधिक खरीदारी करें।हंस फाउंडेशन की संरक्षक माता मंगला जी ने कहा कि इस वर्ष राज्य सरकार से समन्वय बनाकर हंस फाउंडेशन द्वारा चार धाम के प्रत्येक पड़ाव में विभिन्न प्रकार के सेवा कैंप लगाए गए हैं। चार धामों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार विभिन्न स्थानों पर हंस फाउंडेशन के सेवकों की तैनाती की गई है। उन्होंने श्रद्धालुओं से यात्रा के दौरान सफाई का विशेष ध्यान रखने का आग्रह भी किया
कांग्रेस आलाकमान ने अपने दो वरिष्ठ नेताओं को देहरादून भेजा है। दोनों लोग प्रदेश में चल रहे घमासान की थाह लेने और आलाकमान को जानकारी देंगे । अगले 3 दिन तक कांग्रेस में पूर्व विधायक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जिला अध्यक्ष पूर्व सांसदों के साथ बैठकों का दौर चलता रहेगा। कांग्रेस की तरफ से पर्यवेक्षक पीएल पुनिया और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव देहरादून पहुंच चुके हैं।
प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के खिलाफ उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने खोला मोर्चा खोला हुआ है। माना जा रहा है कि प्रदेश में चल रहे घमासान को निपटाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने यह टीम देहरादून भेजी है।कांग्रेस की समस्या यह है कि वह कई चुनाव लगातार उत्तराखंड में भी बीजेपी से हार रही है। अगले 6 महीने में उत्तराखंड में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं। उसके बाद अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। पिछले स्थानीय निकाय चुनाव , 2 लोकसभा चुनाव और 2 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी के सामने घुटने टेक दिए।
उत्तराखंड में कांग्रेसी नेताओं के बीच रस्साकशी की खबरें चुनाव के बाद भी आम है। यही वजह है कि कांग्रेस आलाकमान थोड़ा परेशान दिखाई दे रहा है और उसने अपने दो वरिष्ठ नेताओं को देहरादून में भेजा है। लेकिन आलाकमान ने इन दोनों में से एक ऐसे नेता को देहरादून भेजा है, जिनके खिलाफ उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मोर्चा खोला है । देवेंद्र यादव वर्तमान में उत्तराखंड के प्रभारी है और प्रीतम सिंह देवेंद्र यादव को राजनीति के क्षेत्र में बहुत गंभीर व्यक्ति नहीं मानते। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रीतम सिंह ने एक बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि देवेंद्र यादव को राजनीति की एबीसीडी भी नहीं आती।
ऐसे में यह देखना काफी महत्वपूर्ण होगा कि देवेंद्र यादव और पीएल पुनिया उत्तराखंड कांग्रेस के भीतर चल रहे घमासान को कैसे शांत करने की कोशिश करेंगे । और कैसे यहां का फीडबैक लेकर वह आलाकमान को देंगे फिलहाल तीन तक कांग्रेस के भीतर बैठकों का दौर चलेगा उसके बाद शायद किसी नतीजे पर खुद कांग्रेसी नेता पहुंच पाए
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश की मातृशक्ति अपनी क्षमता एवं दक्षता से राज्य का सम्मान तथा गौरव बढ़ा रही है। प्रदेश की समृद्ध एवं गौरवशाली परम्परा को आगे बढाने का दायित्व भी हमारी नारी शक्ति बखूबी निभा रही है। हमारी संस्कृति अर्द्धनारिश्वर की उपासना के साथ देवियों की पूजा की परम्परा रही है। सोमवार को परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा उत्तराखण्ड की प्रदेश कार्य समिति की बैठक में प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री ने महिला शक्ति को महाशक्ति बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में तो स्त्री ही सृष्टि की समग्र अधिष्ठात्री है, क्योंकि नारी सृजनात्मक शक्ति का प्रतीक होने के साथ ही संस्कृति एवं परंपराओं की संवाहक होती हैं एवं आदिकाल से भारतीय संस्कृति में महिलाओं को काफी ऊंचा स्थान हासिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई, जीजाबाई, अहिल्याबाई होल्कर एवं सती सावित्री जैसी अनेक नारियों ने अपनी क्षमता के बूते समय-समय पर इसको प्रमाणित करने का कार्य किया। हमारी सांस्कृतिक विरासत में मां का स्थान सर्वश्रेष्ठ माना गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज भारत पुनः अपनी पुरातन विचार संस्कृति की ओर लौट रहा है। उन्होंने कहा कि आज देश महिला विकास से आगे बढ़कर महिलाओं के नेतृत्व की बात कर रहा है। उन्होंने कहा कि आप सभी महिला कार्यकर्ताओं पर प्रदेश की आधी आबादी के प्रतिनिधित्व की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, हमारे देश और प्रदेश की समृद्ध एवं गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण दायित्व भी आप पर है। हमारी सरकार ने महिलाओं के कल्याण के लिए अभूतपूर्व कार्य किए है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पास अपार उपलब्धियां और योजनाएं है और इन उपलब्धियों और योजनाओं को लेकर हर बहन तक पहुंचने की जिम्मेदारी महिला मोर्चा की है। उन्होंने कहा कि महिला मोर्चा लगातार पार्टी के कार्यक्रमों के साथ ही रचनात्मक और सामाजिक कार्यो में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और उन्हें पूर्ण विश्वास है कि आगामी समय में महिला मोर्चा और भी महत्वपूर्ण कार्य करेगा। महिला शक्ति ही महाशक्ति है इसलिए महिला मोर्चा की आप सभी उत्साही कार्यकर्ता जब घर-घर संपर्क करेंगी तो जनता का हमारे प्रति विश्वास और अधिक मजबूत होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमारी नारीशक्ति ने अपने कार्यों से, आत्मबल से और आत्मविश्वास से स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने खुद को तो आगे बढ़ाया ही है, साथ ही देश और समाज को भी आगे बढ़ाने और एक नए मुकाम पर ले जाने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि जब देश में महिलाओं का हर क्षेत्र में सहयोग एवं योगदान बढ़ता है, तब देश का विकास सुनिश्चित हो जाता है। आखिर हमारा न्यू इंडिया का सपना यही तो है, जहां नारी सशक्त हो, सबल हो और देश के समग्र विकास में बराबर की भागीदार हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार राजनीति के एजेंडे की धुरी बदलने का काम किसी ने किया है तो वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जो काम देश में हो रहे हैं वे नए भारत की तस्वीर को प्रस्तुत करते हैं। नए भारत की तस्वीर में महिला पीछे नहीं बल्कि समाज का नेतृत्व करने के लिए आगे खड़ी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों में महिला सशक्तिकरण हमेशा से प्राथमिकता पर रहा है। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की ही सरकार है जिसने तीन तलाक की कुप्रथा को खत्म करके वर्षों से इस कुप्रथा का दंश झेल रही मुस्लिम महिलाओं को सम्मान के साथ जीवन यापन करने के लिए प्रेरित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज वित्तीय समावेश से लेकर सामाजिक सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा से लेकर आवास, शिक्षा से लेकर उद्यमिता तक, हमारी नारी शक्ति को भारत की विकास यात्रा में सबसे आगे रखने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। ये प्रयास आने वाले समय में और भी अधिक उत्साह के साथ जारी रहेंगे। उज्ज्वला योजना, हर घर नल से जल, शौचालयों का निर्माण ये सभी कार्य इसके उदाहरण हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं का दर्द किसी ने समझा तो वो आदरणीय मोदी जी ने ही समझा। ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ही थे जिन्होंने देश में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसा अभियान प्रारंभ किया।
हमारी सरकार ने भी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण का संपूर्ण लाभ देने के लिए जिस तेज गति से काम किया, उससे आप हमारी प्रतिबद्धता को समझ सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रदेश की समस्त माताओं और बहनों ने अपने अथक परिश्रम से जहां एक ओर आर्थिक रूप से अपने आपको आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया है वहीं देवभूमि की सभ्यता और संस्कृति को भी जीवंत रखा है। हमारा लक्ष्य उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का है और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें आपका आशीर्वाद चाहिए, आपका समर्थन चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि महिला मोर्चा प्रदेश कार्यसमिति की यह बैठक हमारी सरकार के “सशक्त मातृशक्ति सशक्त राज्य“ के संकल्प को पूर्ण करने में सहायक सिद्ध होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी मातृशक्ति ने समय-समय पर अपनी क्षमताओं से प्रदेश का गौरव और सम्मान बढ़ाने का कार्य किया है, हमारी सरकार के सर्वश्रेष्ठ उत्तराखण्ड निर्माण के “विकल्प रहित संकल्प“ की सिद्धि के लिए भी आप अपना योगदान सुनिश्चित करेंगी इसका भी भरोशा मुख्यमंत्री ने जताया।
राज्य सरकार के स्वास्थ्य महकमे की तरफ से यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। और वर्तमान में वित्त विभाग के पास यह प्रस्ताव है। वित्त की अनुमति मिलने के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट के पास जाएगा । कैबिनेट की मंजूरी के बाद नई नीति लागू हो पाएगी। लेकिन राज्य के ढाई हजार से ज्यादा सरकारी डॉक्टर्स इन दिनों इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं । डॉक्टर्स का मानना है कि राज्य सरकार एनपीए बंद करने की दिशा में आगे बढ़ रही है और यह सिर्फ एक बहाना ही है। राज्य सरकार के हिसाब से अभी किसी भी डॉक्टर की बेसिक पे का 20% हिस्सा उसे नॉन प्रैक्टिस अलाउंस के रूप में दिया जाता है ।लेकिन भविष्य में सभी डॉक्टर्स को नॉन प्रैक्टिस अलाउंस शायद ना मिले। क्योंकि जो भी व्यक्ति इस से बाहर निकलने का विकल्प चुनेगा वह कहीं भी जाकर प्रैक्टिस कर सकेगा अपनी छुट्टी होने के बाद। अब देखना यह है कि डॉक्टर्स अपनी बात को कितने वजन दार तरीके से शासन के सामने रखते हैं, और शासन कितनी मजबूती के साथ अपने प्रस्ताव पर अडिग रहता है।
एनसीईआरटी की किताबों से उत्तराखंड का चिपको आंदोलन हटा दिया गया है। एनसीईआरटी की किताबों में यूपी हिल्स के नाम से चिपको आंदोलन का एक हिस्सा था। 1970 के दशक में यह आंदोलन तत्कालीन उत्तर प्रदेश के चमोली जनपद में बहुत तेजी से फैला था । स्थानीय ग्रामीण पेड़ों के कटान का विरोध कर रहे थे । वन विभाग ने जंगल के ठेकेदारों को हजारों पेड़ काटने का ठेका दिया था। इसके बाद यह आंदोलन तेज हो गया।
इस आंदोलन को चार प्रमुख नेताओं ने नेतृत्व प्रदान किया। सुंदरलाल बहुगुणा, चंडी प्रसाद भट्ट ,गोविंद सिंह रावत और गौरा देवी इस आंदोलन को लीड कर रहे थे। इनके पीछे पूरे क्षेत्र की जनता थी पहाड़ के दूसरे हिस्सों से भी इस आंदोलन को जबरदस्त समर्थन मिल रहा था। ग्रामीण पेड़ों के कटान के समय पेड़ों से चिपक गए और सीधा कहा कि पेड़ के साथ-साथ हमारी गर्दन भी काटी जाएगी।
इसी का नतीजा हुआ कि पहले तो उत्तर प्रदेश सरकार और बाद में केंद्र सरकार को भी इस आंदोलन के बारे में पता चला। इस आंदोलन का प्रभाव यह हुआ कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वनों के कटान पर अगले 15 वर्षों के लिए रोक लगा दी थी। और साथ-साथ वन एवं पर्यावरण जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय इसी के बाद तैयार किया गया ।अब उत्तराखंड के चिपको आंदोलन की जानकारी छात्र छात्राओं को एनसीईआरटी की किताबों में नहीं मिलेगी।
इसको लेकर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने इस पर अपने टिप्पणियां की हैं। दिनेश प्रसाद सकलानी मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं और वह इस समय एनसीईआरटी के अध्यक्ष हैं ।कई लोग उनसे सीधा सवाल पूछ रहे हैं कि आप तो उत्तराखंड के ही हैं , ऐसे में आपने चिपको आंदोलन को क्यों एनसीआरटी के सिलेबस हटाया?